Korba अनियमितता: पीडीएस दुकानों के आवंटन में राजनीति हावी… पात्र- अपात्र सूची को लेकर विवाद… जिनपर करोड़ों की रिकवरी उन्हें फिर आवंटित की जा रही दर्जनों राशन दुकानें

कोरबा. खाद्य विभाग की कारस्तानियाँ कम होने का नाम नहीं ले रही. कोरोना काल में जहां केंद्र और राज्य सरकारें गरीबों को मुफ्त राशन बांटकर राहत देने को तत्पर नजर आती हैं, वहीं खाद्य विभाग ने सरकारी राशन की अफरा-तफरी करने वाले हिस्ट्रीशीटर जिनपर करोड़ों की रिकवरी पेंडिंग है, उन्हें फिर से नई महिला समूहों के नाम से राशन दुकानें आवंटित करने की तैयारी कर ली है !

नगर निगम क्षेत्र में खाद्य विभाग ने लगभग 1 साल पहले 50 नवीन दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ की थी. जिसके लिए आवेदन मंगाए गए और बड़ी संख्या में विभाग को महिला समूहों के आवेदन प्राप्त हुए. उसके बाद शुरू हुआ राशन दुकानों के आवंटन का खेल ! प्राप्त आवेदनों के मूल्यांकन के लिए एक समिति का गठन किया गया. जिसमें खाद्य विभाग के अधिकारी और नगर निगम के उपायुक्त समाहित थे जिसके बाद विभाग द्वारा पात्र और अपात्र आवेदकों की सूची जारी की गई. लेकिन इसी के साथ शुरू हुआ राजनीतिक दबाव- प्रभाव और पैसों का खेल !

पीडीएस दुकानदारों का आरोप है कि जिनको पहले विभाग ने पात्र सूची में डाला था उन्हें अपात्र कर दिया गया और अपात्र समूहों को राजनीतिक दबाव- प्रभाव में पात्र बताकर नवीन दुकानों का आवंटन किया जा रहा है. जिसे लेकर पीडीएस दुकानदारों और महिला समूहों में रोष व्याप्त है. खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली और आवंटन प्रक्रिया को लेकर पूर्व में कलेक्टर को शिकायत भी की गई थी जिसके बाद दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया को शिथिल कर दिया गया. लेकिन प्रशासनिक फेरबदल के साथ फिर नवीन राशन दुकानों के आवंटन का जिन्न बाहर आ गया है.

संपूर्ण आवंटन प्रक्रिया ही विवादों में घिरी नजर आती है. वस्तुस्थिति जो भी हो लेकिन जानकार इसे खाद्य विभाग का गड़बड़झाला बता रहे हैं. उनका तथ्य है कि, लगभग 1 साल से नवीन दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया चल रही है.दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया स्पष्ट एवं पारदर्शी नहीं होने के कारण इतने दिनों से लंबित बताई जा रही है. वहीं शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि महिला समूहों की आड़ में राशन माफिया जिनपर पूर्व में विभाग की करोड़ों रुपए की रिकवरी पेंडिंग है उन्हें फिर से नए नामों से राजनीतिक दबाव प्रभाव और उपकृत करने के लिए नवीन दुकानों का आवंटन किया जा रहा है. ऐसे में गरीबों के हक के राशन पर डाका डलना तय है.

जगजाहिर है कि, शहर में बड़ी मात्रा में गरीबों का चावल, नमक, चना और केरोसिन की अफरा-तफरी होती है. ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी विभाग को नहीं है. लेकिन ” लूट के माल में सब बराबर के हिस्सेदार हैं ! ” अतिशयोक्ति नहीं होगी यदि नवीन दुकान के आवंटन की प्रक्रिया भी राशन माफियाओं और राजनीति की भेंट चढ़ जाए.

खाद्य विभाग के आवंटन के पूर्व ही एक सूची सोशल मीडिया में ट्रोल हो रही है जिसे राजनीतिक दबाव में नवीन राशन दुकानें आवंटित किया जाना बताया जा रहा है. ( हम इसकी प्रमाणिकता का दावा नहीं करते)