सरकारी सप्लाई कोरोना टीका को निजी क्लीनिक में लोगों से मोटी शुल्क लेकर लगाने वाले डॉक्टर माखीजा की हुई छुट्टी

कलेक्टर ने डीएमएफ की संविदा चिकित्सक की सेवाएं समाप्त की

हसदेव एक्सप्रेस कोरबा ।सरकार द्वारा आम जनता की जिंदगी को कोरोना के कहर से महफूज करने सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की गई कोरोना (कोविड -19 ) टीका को अपने निजी क्लीनिक में लोगों को मोटी शुल्क लेकर लगाने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरबा में डीएमएफ से संविदा चिकित्सक के रूप में सेवाएं दे रहे शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ अशोक माखीजा की छुट्टी कर दी गई है। कलेक्टर ने इस शासकीय टीके का दुरुपयोग करने के गम्भीर मामले में उनकी संविदा सेवाएं समाप्त कर दी है ।

यहाँ बताना होगा कि एक तरफ जहां जिले में लोगों को कोरोना से अपनी जिंदगी को महफूज करने टीकाकरण कराने के लिए टीके की सीमित आपूर्ति की वजह से घण्टों एवं हफ्तों तक कतार में लगनी पड़ रही है अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिन जिला प्रशासन ने जिन कंधों पर जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है वो चिकित्सक रूपी रक्षक ही आपदा के इस घड़ी में मानवता को शर्मसार कर भक्षक बने हुए हैं। जिला प्रशासन ने शासन स्तर पर चिकित्सकों के रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया फिलहाल बन्द होने की वजह से डीएमएफ से संविदा चिकित्सकों की नियुक्ति की है ताकि जिलेवासियों को हर विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाएं मिल सके । मरीज की जिंदगी समय पर उपचार कर बचाई जा सके। इन्हीं चिकित्सकों में से एक थे शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अशोक माखीजा। डॉ माखीजा पूर्व में जिला अस्पताल में शासकीय चिकित्सक थे । कई बार उन पर ईलाज में लापरवाही ,विलंब से आने की शिकायतें रहती थी। जिसकी वजह से अपने पद से ईस्तीफा देकर रिटायरमेंट ले लिया था। इस बीच डीएमएफ से संविदा चिकित्सकों की भर्ती हुई तो उन्होंने मोटी सैलरी में जॉइन कर लिया। वे अभी रानी धनराज कुंवर अस्पताल में पदस्थ हैं। लेकिन सरकारी अस्पताल में कम निजी क्लीनिक में कम सेवाएं देते हैं। हाल ही में इन्होंने ऐसा काम किया जिससे चिकित्सा जगत भी हैरान व शर्मसार है। इन्होंने गरीब व जरूरतमंदों की जिंदगी को कोरोना के कहर से बचाव के लिए सुरक्षा कवच देने निःशुल्क टीकाकरण के लिए आपूर्ति की गई टीके को अपने निजी क्लीनिक में लोगों से 600 रुपए की मोटी शुल्क लेकर लगा दिया। चिकित्सक से इस करतूत के खुलासे के बाद जिला प्रशासन में हड़कम्प मच गया। कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए तत्काल जांच टीम गठित की । टीम ने जांच में शिकायत सही पाया ।जिसके आधार पर डॉ.अशोक माखीजा की संविदा चिकित्सक की सेवाएं कलेक्टर श्रीमती साहू ने तत्काल समाप्त कर दी है ।

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एफआईआर दर्ज नहीं कराने पर उठ रहे सवाल

शासकीय सप्लाई कोरोना टीका को जिम्मेदार पद पर रहते हुए भी निजी क्लीनिक में शुल्क लेकर लोगों को लगाने वाले शिशु रोग चिकित्सक अशोक माखीजा की संविदा चिकित्सक की सेवाएं समाप्त जरूर की गई है पर इतने बड़े प्रकरण में यह कार्यवाई नाकाफी बताई जा रही है। लोगों की मानें तो जिला प्रशासन को इस गम्भीर मामले में सम्बंधित चिकित्सक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर ऐसे मानवता के दुश्मन चिकित्सकों के खिलाफ एक कड़ा संदेश देना चाहिए। सूत्रों की मानें तो इस मामले में भी प्रशासनिक कार्यवाई के आड़े राजनीति आ गई । जिसकी वजह से ऐसी कोई बड़ी कार्यवाई नहीं की जा सकी जिसकी अपेक्षा जन सामान्य को थी।