सीईओ जिला पंचायत के आदेशों की भी नहीं है परवाह ,उपस्थिति दर्ज कराने के बाद प्रभार के लिए भटक रहा नया सचिव
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । जनपद पंचायत कोरबा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रजगामार के सचिव को उच्च अधिकारी के आदेशों की परवाह नहीं है। जिला पंचायत सीईओ के तबादला आदेश के करीब एक पखवाड़ा बाद भी सचिव आज पर्यन्त कार्यमुक्त होकर नए सचिव को पदभार नहीं दे रहे। पिछले 2 सालों में पंचायत विकास कार्यों के लिए मिले करोड़ों रुपए की राशि का बंदरबाट करने के आरोपों से घिरे सचिव तबादला रुकवाने की जुगत में जुटा हुआ है । इधर पँचायत में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद से लेकर आज पर्यन्त नए सचिव चार्ज के लिए जनपद पंचायत का चक्कर काट रहा है।
यहाँ बताना होगा कि कार्यालय जिला पंचायत सीईओ कोरबा ने जिले के कोरबा ब्लॉक में पदस्थ 4 ग्राम पंचायतों रजगामार ,माखुरपानी,अजगरबहार,एवं खो खोड़ड़ल के सचिव का स्थानांतरण आदेश जारी किया था। 7 जुलाई को जारी आदेश के तहत नए पदस्थापना स्थल में पंचायत सचिवों को 3 दिवस के भीतर संपूर्ण प्रभार लेकर जिला कार्यालय को अवगत कराने का उल्लेख है। लेकिन ग्राम पंचायत रजगामार के सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी को उक्त आदेश से कोई परवाह नहीं है। उन्होंने स्थानांतरण आदेश के तहत माखुरपानी से रजगामार पंचायत सचिव बने नागेंद्र धर दीवान को पंचायत में जॉइनिंग के बाद भी आज पर्यन्त प्रभार नहीं सौंपा। जबकि उन्हें 10 जुलाई तक हर हाल में प्रभार सौंपना था। प्रभार नहीं सौंपने की सूचना सचिव नागेंद्र धर दीवान ने कार्यालय जनपद पंचायत कोरबा में दे दी है । ताकि इस दौरान किसी भी प्रकार के आदेश निर्देश ,जांच कार्यवाई का ठीकरा उनके सिर पर बेवजह न फूटे।
तबादला रुकवाने में जुटे ,सचिव को डराने की भी सूचना
बताया जा रहा है कि पंचायत सचिव कौशल प्रसाद सोनवानी अपना तबादला आदेश निरस्त करवाने की जुगत में लगे हुए हैं। कांग्रेस समर्थित सरपंच के सपोर्ट का फायदा उठा पंचों को अपने पक्ष में कर स्थानांतरण आदेश निरस्त करने दबाव बना रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो रजगामार से ही कुछ व्यक्ति नए सचिव नागेंद्र धर दीवान को प्रभार न लेने दबाव डालने से लेकर धमका रहे हैं।
कहीं गड़बड़ी उजागर होने का तो डर नहीं
ग्राम पंचायत रजगामार जनपद पंचायत कोरबा के सबसे बड़े पंचायतों में से एक है। यहाँ हर साल लाखों रुपए का आबंटन शासन की वी विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए दी जाती है। पिछले 3 सालों में यहाँ करोड़ों रुपए विकास कार्यों के लिए दिए गए। लेकिन सूत्रों की मानें तो इस राशि का जमकर बंदरबाट किया गया है। इसकी पोल न खुले इसलिए सूचना के अधिकार के तहत भी सहायक जन सूचना अधिकारी सूचना के अधिकार के तहत भी आवेदकों को जानकारी नहीं देते। यहाँ तक कि प्रथम अपीलीय अधिकारी जनपद पंचायत सीईओ कार्यालय तक मे पेशी में नहीं आते।