रोजगार की आश में ठेकेदार की चंगुल में फंसा पहाड़ी कोरवा किशोर ,राजस्थान से लगा रहा छुड़ाने की गुहार

कलेक्टर से पीड़ित पहाड़ी कोरवा दम्पत्ति ने लगाई पुत्र को सुरक्षित छुड़ाने की गुहार ,कलेक्टर ने शीघ्र कार्यवाई का दिलाया भरोसा ,दिए निर्देश

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा महफूज नहीं है । बेरोजगारी का फायदा उठा उनके नाबालिग बच्चों को चोरी छिपे दीगर प्रांतों में ले जाकर मजदूरी करवाया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मामला सोमवार को कलेक्टोरेट में सामने आया। जहां कोरबा ब्लॉक के ग्राम गढ़कटरा के बाघमाडा मोहल्ला निवासी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा फागुराम के 16 वर्षीय नाबालिग पुत्र को लामपहाड़ निवासी ठेकेदार जगेश्वर यादव बहला फूसलाकर राजस्थान ले गया है। उससे बोरवेल खनन का कार्य करवा रहा है। साथ ही पहाड़ी कोरवा किशोर द्वारा परिजनों के पास वापस भेजने की गुजारिश करने पर मारपीट कर रहा है। गरीब पहाड़ी कोरवा दम्पत्ति ने कलेक्टर से पुत्र को आततायी ठेकेदार के चंगुल से सुरक्षित छुड़ाने की गुहार लगाई। कलेक्टर रानू साहू ने मामले में पुलिस के सहयोग से शीघ्र आवश्यक कार्यवाई किए जाने का पीड़ित पहाड़ी कोरवाओं को आश्वासन दिया।

जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा महफूज नहीं है । बेरोजगारी का फायदा उठा उनके नाबालिग बच्चों को चोरी छिपे दीगर प्रांतों में ले जाकर मजदूरी करवाया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मामला सोमवार को कलेक्टोरेट में सामने आया। जहां कोरबा ब्लॉक के ग्राम गढ़कटरा के बाघमाडा मोहल्ला निवासी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा फागुराम के 16 वर्षीय नाबालिग पुत्र सुखदेव कोरवा को लामपहाड़ निवासी ठेकेदार जगेश्वर यादव काम दिलाने के बहाने बहला फूसलाकर राजस्थान ले गया है। उससे बोरवेल खनन का काम करवा रहा है। साथ ही पहाड़ी कोरवा किशोर द्वारा परिजनों के पास वापस भेजने की गुजारिश करने पर मारपीट कर रहा है।पीड़ित पहाड़ी कोरवा दम्पत्ति ने बताया कि उनका पुत्र सुखदेव बांगो थाना अंतर्गत ग्राम हिर्रीआमा अपने जीजा बिरन कोरवा के यहाँ गया हुआ था। इसी दौरान जगेश्वर यादव ठेकेदार उसे बहला फुसलाकर राजस्थान ले गया। दो दिन पूर्व उनके पुत्र सुखदेव ने अपने मोबाईल नंबर 9098651591 से गांव में ही रहने वाले कन्हई यादव नामक व्यक्ति को फोन कर आपबीती बताई। परिजनों को कन्हई ने सुखदेव से बात कराया तो सुनकर सन्न रह गए। गरीब पहाड़ी कोरवा दम्पत्ति ने कलेक्टर से पुत्र को आततायी ठेकेदार के चंगुल से सुरक्षित छुड़ाने की गुहार लगाई है । साथ ही अपने पुत्र के साथ अप्रिय घटना की आशंका व्यक्त करते हुए ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की गुहार लगाई है। कलेक्टर रानू साहू ने मामले में पुलिस के सहयोग से शीघ्र आवश्यक कार्यवाई किए जाने पीड़ित पहाड़ी कोरवा दम्पत्ति को आश्वासन दिया।

सक्रिय हैं मजदूर दलाल, क्या कर रही लेमरू पुलिस

पहाड़ी कोरवा फागुराम के पुत्र को रोजगार मुहैया कराने का लालच देकर ठेकेदार द्वारा ले जाने की यह एकमात्र घटना नहीं है । पहाड़ी कोरवा फागुराम ने बताया कि लालपुर के ठिर्रीआमा निवासी बबलू एवं पटेल नामक दो युवाओं को भी ठेकेदार बहला फुसलाकर राजस्थान ले जा चुका है। अन्य पहाड़ी कोरवा गांवो में भी वो पहाड़ी कोरवा युवाओं को बहला फुसलाकर दीगर प्रान्त ले जाकर काम करवा रहा है। वापस जाने के आग्रह करने पर मारपीट कर रहा है। इस घटना के खुलासे के बाद लेमरू पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। क्या राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों की सुरक्षा के लिए लेमरू पुलिस द्वारा ऐसे अपराधिक छवि के ठेकेदारों पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाई नहीं कर सकती।क्या पुलिस का यह नैतिक कर्तव्य नहीं है कि वो स्वतः ऐसे लोगों को बेनकाब कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करें। पहाड़ी कोरवा अनपढ़ व बेहद कम पढ़े लिखे रहते हैं वो पुलिस व थाना चौकी जाने से बेहद डरते हैं। ऐसे में पुलिस की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है ।

प्रशासन रोजगार का प्रबंध करे तभी रुकेगा यह सिलसिला

निश्चित तौर पर इस घटना के पीछे प्रमुख कारण बेरोजगारी ही है। जिले में कहने को तो 29 पारे टोलों में 643 पहाड़ी कोरवा परिवार व 2464 सदस्य हैं। इनमें से कोरबा ब्लॉक में ही 25 पारे टोलों में 610 परिवार के 2338 सदस्य निवासरत हैं। शेष पोंडी ब्लॉक में हैं। इतनी सीमित आबादी संख्या में होने के बाद भी राष्ट्रपति के इन दत्तक पुत्रों को स्थाई रोजगार दिलाने आज पर्यन्त कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी । जबकि इनके कल्याण ,विकास ,इन्हें स्वरोजगार से जोड़ने विभिन्न प्रशिक्षणों कार्यक्रमों योजनाओं आदि के नाम पर अरबों रुपए का वारा न्यारा किया जा चुका है।डीएमएफ से भी एक बड़ी राशि जिले को मिलती है उसका भी लाभ इन्हें सही मायने में नहीं मिल रहा। यही वजह है रोजगार की तलाश में पैसे की लालच में ये ठकेदारों के चंगुल में आ जाते हैं। जहाँ से निकलना आसान नहीं होता। जिला प्रशासन को इस दिशा में सार्थक पहल करनी चाहिए।