शिक्षा विभाग में डीएमएफ की राशि का बंदरबाट करने वाले जल्द नपेंगे ,मंगाया जा रहा भौतिक सत्यापन प्रपत्र

शुरुआती जांच में ही कई तरह की गड़बड़ी ,कलेक्टर की निगरानी में जांच अंतिम दौर में,पूर्व डीईओ के कार्यकाल में करीब 70 करोड़ की क्रय की गई थी सामाग्री

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जिला खनिज संस्थान न्यास के कार्यों में गड़बड़ी करोड़ों रुपए के अपव्यय की प्रशासनिक जांच अंतिम चरण में हैं। कलेक्टर रानू साहू की निगरानी में जांच दल ने प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं के प्रधानपाठकों से सामग्रियों के भौतिक सत्यापन पपत्र जारी कर प्रतिवेदन मंगाया जा रहा है ।जल्द ही इस प्रकरण में जिम्मेदारों पर कार्यवाई की गाज गिरेगी।

यहाँ बताना होगा कि जिले में डीएमएफ एवं सीएसआर मद का विभिन्न कल्याणकारी एवं जनहित की योजनाएं के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसी के मद्देनजर आकांक्षी जिला के रूप में शामिल कोरबा शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एवं उत्तम शैक्षणिक वातावरण तथा विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्य सहगामी सामग्रियां एवं उचित पोषण प्रदान करने के लिए कई प्रकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं संचालित की गई । इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए पिछले 2 सालों में करीब 70 करोड़ रुपए से अधिक का बजट दिया जा चुका है। लेकिन एक माह पूर्व मुंगेली स्थानांतरित हुए जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडेय के कार्यकाल में इस बजट में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है lशिक्षक संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने कलेक्टर को 13 बिंदुओं में इसकी शिकायत की थी । जिसमें डीएमएफ द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं जैसे स्मार्ट क्लास ,व्हाइट बोर्ड/ग्रीन बोर्ड एवं मैग्नेटिक बोर्ड पंखा, वाटर प्यूरीफायर आरओ ,सेनेटरी पैड मशीन, सैनिटाइजर ,विविध बर्तन भाड़े एवं पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकासखंड कटघोरा में संचालित की जाने वाली सोन चिरैया योजना में होने वाले व्यापक भ्रष्टाचार को उल्लेखित किया था l इन शिकायतों के आधार पर हसदेव एक्सप्रेस की टीम ने जमीनी स्तर पर इसका जायजा लिया। जहाँ शिकायत लगभग सही पाई गई थी। जिसका प्रमुखता से समाचार प्रकाशन कर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था। कलेक्टर रानू साहू ने उक्त शिकायतों को गंभीरतापूर्वक लिया था। उन्होंने शिक्षा विभाग में डीएमएफ से क्रय की गई सामग्रियों की अनियमितता की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी थी। साथ ही वो स्वयं पूरी जांच प्रक्रिया की निगरानी कर रही हैं। कमेटी की जांच अब अंतिम चरण में है। समस्त निविदा प्रपत्र ,क्रय आदेश ,चेकपंजी ,नोटशीट उपयोगिता प्रमाण पत्र सहित समस्त नस्तियाँ कमेटी ने महीनों पहले ही मंगा ली थी। अब उक्त सामग्रियों के भौतिक सत्यापन का दौर चल रहा है। कार्यालय प्रधानपाठक प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शाला को भौतिक सत्यापन प्रपत्र जारी कर जानकारी मांगी जा रही है।
जिसमें सामग्री का विवरण ,प्राप्त मात्रा,स्पेशिफिकेशन के अनुसार प्राप्ति का विवरण कॉलम में जानकारी भरकर दी जाएगी। उक्त प्रपत्र में जानकारी दर्ज करने के उपरांत संस्था प्रमुख ,एवं दो शिक्षक अपना हस्ताक्षर करेंगे। जिसे डीईओ कार्यालय के माध्यम से जांच कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

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इन सामग्रियों की मांगी गई है जानकारी

०फर्नीचर (डेस्क बेंच )-नर्सरी राइटिंग टेबल,नर्सरी बेंच

०व्हाईट /ग्रीन बोर्ड

०सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन एवं भस्मक मशीन

०स्मार्ट क्लास सामग्री

०मिनी साइंस सामग्री

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प्रारंभिक जांच में मिल रही गड़बड़ी

जांच कमेटी की शुरुआती जांच में ही गड़बड़ी सामने आ रही है । कमेटी के एक सदस्य के अनुसार आपूर्तिकर्ता फर्म से निर्धारित टैक्स की कटौती न कर अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। शासन को वित्तीय नुकसान पहुंचाया गया है।यही नहीं कई संस्थाओं में पुराने फर्नीचर को नई आपूर्ति में दर्शाया गया है। जहां जरूरत नहीं वहां बिना मांग पत्र के फर्नीचर दिए गए हैं। प्रकरण में जल्द ही दोषी नपेंगे। बहरहाल डीएमएफ की जांच की आंच से बचने विभाग के अधिकारी कर्मचारी तरह तरह की जुगत में लगे हुए हैं। अब ये आने वाला वक्त ही बताएगा कि उनकी जुगत रंग लाएगी या प्रशासन की कार्यवाई में उनके सारे प्रयास विफल विफल साबित होंगे।