तीन पीढ़ी से काबिज व्यक्ति पट्टे के लिए 3 दशक से लगाता रहा गुहार ,फर्जी व्यक्ति के नाम पट्टा चढ़ाकर एनएच में अर्जित कराकर बांट दिया 27 लाख का मुआवजा

पाली तहसील के ग्राम कांजीपानी का मामला ,कलेक्टर ने जांच की बात कही

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा(भुवनेश्वर महतो ) । राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 में शामिल कटघोरा- बिलासपुर फोरलेन के भू -अर्जन मुआवजा पत्रक तैयार करने में फर्जीवाड़े की परत दर परत पोल खुल रही है। इस बार राजस्व विभाग ने 3 पीढ़ी से भूमि पर काबिज व्यक्ति की जगह निजी स्वार्थ के लिए कूटरचना कर दीगर गांव के फर्जी व्यक्ति के नाम पर पट्टा बनाकर रिकार्ड में भू -स्वामी दर्शाकर एनएच में अर्जित भूमि के एवज में 27 लाख रुपए मुआवजा राशि बांट दिया । हैरानी की बात तो ये रही कि हाईकोर्ट में पारित आदेश के तहत भू -अर्जन अधिकारी सह एसडीएम कार्यालय के समक्ष न्याय के लिए गुहार लगाने के बाद भी पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिली। कलेक्टर ने प्रकरण में जांच की बात कही है।

मामला पाली अनुविभाग के चैतमा राजस्व निरीक्षक मंडल के पटवारी हल्का नम्बर 23 काँजीपानी की है । यहाँ के घाटपार में निवासरत कन्हैयालाल पिता प्रेमसिंह राजस्व विभाग के अधिकारियों की निजी स्वार्थ की वजह से 27 लाख के मुआवजे से वंचित रह गया। कन्हैयालाल पिता प्रेमसिंह कंजीपानी के घाटपार में खसरा नंबर 564 /1 के 3 एकड़ भूमि में में पिछले तीन पीढ़ी (150 वर्षों )से सपरिवार निवासरत था।उक्त भूमि पर पट्टा प्रदान करने कन्हैया लाल ने अविभाजित मध्यप्रदेश के शासनकाल में 4 जून 1990 को तत्कालीन कलेक्टर राकेश बंसल के कार्यकाल से गुहार लगाई थी। तब से लेकर सन 2020 तक छत्तीसगढ सरकार के कार्यकाल में भी भूमिहीन कन्हैया पट्टे के लिए गुहार लगाता आ रहा है । लेकिन उक्त भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 में शामिल कटघोरा- बिलासपुर फोरलेन के दायरे में आ गई । 2020 को जब मुआवजा पत्रक बना तो उक्त भूमि का भू -स्वामी दीगर गांव चैतमा निवासी जयराम वल्द कंसराम को बनाकर पट्टा दे दिया गया। साथ ही एनएच में उक्त भूमि के अर्जित होने के एवज में जयराम के नाम पर 27 लाख का मुआवजा पत्रक तैयार कर दिया गया । जब वास्तविक काबिज -भू स्वामी कन्हैया को इस कूटरचना की जानकारी मिली तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। कन्हैया ने राजस्व अधिकारियों के इस कारनामे के विरुद्ध हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने अन्य आवेदकों के साथ लगाए गए याचिका की सुनवाई कर 21 ,28 सितंबर 5 एवं 7 अक्टूबर 2020 को आदेश पारित करते हुए 90 दिवस के भीतर लागू विधिक प्रावधानों के अंतर्गत आवेदन का निराकरण करने का निर्देश दिया था। कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा ने कार्यालय नायब तहसीलदार पाली को 14 अक्टूबर 2020 को प्रकरण की जांच का निर्देश दिया था। तत्कालीन नायब तहसीलदार पाली एम एस राठिया ने पटवारी श्रीमती विमला मरकाम से प्राप्त जांच प्रतिवेदन अनुसार अपना अभिमत दिया था। जिसके तहत उल्लेख किया गया था कि ग्राम काँजीपानी स्थित भूमि खसरा नंबर 564/1रकबा 1.214 हेक्टेयर में से रकबा 0.259 हेक्टेयर भूमि एनएच में अर्जित हो रही है । उक्त भूमि वर्तमान में वर्तमान में जयराम पिता कंशराम एवं दो अन्य व्यक्तियों के नाम पर भूमि स्वामी हक में दर्ज है। मुआवजा राशि जयराम पिता कंशराम एवं अन्य 2 के नाम पर प्रकाशित हुआ है। उल्लेख किया गया था कि आवेदक कन्हैया लाल का उक्त भूमि में तीन पीढ़ी से कब्जा है। उक्त प्रतिवेदन भू -अर्जन अधिकारी सह अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कटघोरा को मूलतः भेज दी गई थी। यही नहीं पँचायत का अनापत्ति प्रमाण पत्र भी संलग्न किया गया था। जिसके तहत प्रकरण के निराकरण होने तक राशि पँचायत के खाते में जमा करने की बात कही गई थी। लेकिन इन सब तथ्यों को दरकिनार कर उस गांव में कभी काबिज नहीं रहने वाले दीगर गांव के व्यक्ति जयराम पिता कंशराम पटेल के नाम पर मुआवजा राशि जारी कर दिया गया। अब पीड़ित व्यक्ति ने कलेक्टर से जांच की गुहार लगाई है।

राजस्व निरीक्षक द्वारा प्रमाणित नहीं है नक्शा

नियमानुसार किसी भी खसरा नम्बर की भूमि को बटांकन के लिए काटे गए नक्शा को लाल स्याही से राजस्व निरीक्षक प्रमाणित करते हैं । तभी वो वैद्य माना जाता है । लेकिन काँजीपानी के इस प्रकरण में राजस्व निरीक्षक के द्वारा नक्शा प्रमाणित ही नहीं किया गया है। पट्टे की जमीन एनएच के दायरे में आने की जानकारी मिलते ही मुआवजे की एक बड़ी राशि का बंदरबाट करने पेंसिल से नक्शा काट दिया गया है। जो गम्भीर कूटरचित अपराध की श्रेणी में आता है। राजस्व रिकार्ड में छेड़छाड़ का यह सारा खेल अधिकारियों ने कमीशन के लिए खेला।

एनएच से प्रभावित हल्कों को नायब तहसीलदार से छीनवाकर अपने क्षेत्राधिकार में ले रखे थे तहसीलदार मस्के

पूरे प्रकरण में तत्कालीन तहसीलदार विश्वास राव मस्के जो अभी वर्तमान में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नत उपरांत एसडीएम नवागढ़ जिला बेमेतरा में पदस्थ हैं कि बड़ी भूमिका है। केवल एक प्रकरण ही नहीं दर्जनों प्रकरण में क्षेत्र के एक जनप्रतिनिधि सह अधिवक्ता के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर कूटरचना कर शासन को बड़ी आर्थिक क्षति पहुंचाई है। जिसकी लिखित शिकायत भी हो चुकी है । प्रकरण में एसडीएम कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों व भू -अर्जन शाखा देखने वाले लिपिकों की भी भूमिका संदेह के दायरे में है।कमीशन के लिए फर्जी बटांकन कर करोड़ों का मुआवजा राशि बांट शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने की शिकायतें भी पूर्व में सामने आ चुकी हैं। जिसमें शाखा लिपिक को महज प्रभार से ही हटाया गया था। तत्कालीन तहसीलदार श्री मस्के ने वे सभी हल्के जो कि एनएच 130 के प्रभावित हल्के हैं उन्हें अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत रखा था। जबकि पूर्व की स्थिति में अलग अलग तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार ( वीरेंद्र श्रीवास्तव) के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत उक्त प्रभावित हल्के आते थे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन तहसीलदार पाली विश्वास राव मस्के द्वारा उक्त एनएच 130 के प्रभावित ग्रामों के उन भू स्वामियों या कब्जेधारियों को भूमि का मुआवजा प्रभावित हो जाने का भय दिखाकर स्थानीय दलालों से मिलकर जमकर उगाही की गई थी। जिसकी जांच की मांग की गई थी।

सभी हल्कों के भू अर्जन प्रकरणों की जांच हो

जिस तरह कंजीपानी से एनएच के भू अर्जन में फर्जीवाड़ा की खबर सामने आ रही है उसने कटघोरा अनुविभाग के आला अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रह्नचिन्ह खड़े कर दिया है । राजस्व निरीक्षक मंडल चैतमा के अंतर्गत आने वाले पटवारी हल्कों
चैतमा,कंजीपानी, रजकम्मा,भेलवाटिकरा,मँगामार ईरफ आते थे। ये सभी हल्के एनएच 130 के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आते थे।इन हल्कों के अतिरिक्त अन्य हल्कों में भी एनएच के सैकड़ों भू -अर्जन के प्रकरण बने हैं। जिसमें करोड़ों रुपए का मुआवजा वितरण किया गया है। इन प्रकरणों की जांच नितांत आवश्यक है । कुटेलामुड़ा के प्रकरण में पटवारी को तत्कालीन कटघोरा एसडीएम आईएएस अभिषेक शर्मा ने निलंबित कर दिया था। पटवारी ने एनएच के प्रभावित क्षेत्र अंतर्गत आने वाले यहाँ के एक भू स्वामी को यह कहकर कि आपके जमीन का कुछ ही हिस्सा एनएच के दायरे में आ रहा है । पीछे की जमीन नहीं आ रही उसे बेच दें अच्छी कीमत पर बिकवा दूँगा कहकर झांसे में लेकर सामने के हिस्से की बेशकीमती जमीन कूटरचना कर व्यापारियों को बेच दी। जब भू अर्जन के दौरान मुआवजा पत्रक तैयार होने लगा तब पीड़ित ग्रामीण को पटवारी के फर्जीवाड़े की जानकारी मिली। उसकी पैरों तले जमीन खिसक ही थी। उसने एसडीएम श्री शर्मा के समक्ष इसकी शिकायत की थी। जिसे गम्भीरता से लेते पटवारी हातिम खान को तत्काल निलंबित कर दिया गया था।सूत्रों की माने तो अधिकारी कर्मचारियों एनएच के भू अर्जन के प्रकरणों में कूटरचना कर रिश्तेदारों के नाम पर एक बड़ी अनुपात हीन संपत्ति भी अर्जित कर की है । जिसकी जांच की जानी चाहिए।

वर्जन

जांच कराएंगे

शिकायत गम्भीर है । इसकी शीघ्र जांच कराएंगे । जांच के उपरांत जो भी तथ्य पाए जाएंगे। उसके अनुरूप विधि सम्मत कार्यवाई करेंगे।

रानू साहू ,कलेक्टर कोरबा