कोरोना की तीसरी लहर के पूर्व आयोजित जिला पंचायत की सामान्य सभा का सदस्यों ने किया बहिष्कार ,उठे सवाल

पन्द्रहवें वित्त आयोग की राशि के आबंटन सहित वन विभाग को एजेंडे में शामिल नहीं करने का लगा आरोप

कोरबा। मीडिया की पाबंदियों को मौन स्वीकृति देते हुए बंद कमरे में सामान्य सभा की बैठक करने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष सहित जिला पंचायत सदस्यों की जब नहीं सुनी गई तो वो उसी मीडिया का सहारा लेकर जिला पंचायत सीईओ की कार्यशैली सहित सामान्य सभा का बहिष्कार करने लगे।

यह नजारा पांचवी अनुसूची में आने वाले आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में गुरुवार को नजर आया । पन्द्रहवें वित्त की राशि आबंटन में हो रही लेटलतीफी को लेकर सीईओ जिला पंचायत और जिला पंचायत के सदस्यों में तकरार शुरू हो गई है। आबंटन में हो रहे विलंब को लेकर सदस्यों ने अध्यक्ष के नेतृत्व में सामान्य सभा की बैठक का बहिष्कार कर दिया।
वही जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिव कला कंवर का कहना था कि एजेंडे में वन विभाग के एजेंडे को शामिल नहीं किया गया और एजेंडे को हटाने के संबंध में जानकारी भी नहीं दी गई थी । अध्यक्ष का कहना था कि अभी वर्तमान में हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इस संबंध में जिला पंचायत के जनप्रतिनिधि जानकारियां लेना चाह रहे थे वहीं और भी अन्य मुद्दे थे ।वन विभाग से जुड़े मुद्दों को सामान्य सभा के एजेंडे में हटा देने के कारण जनप्रतिनिधियों ने नाराजगी जताते हुए सामान्य सभा का बहिष्कार किया।

तो छलक उठा दर्द ,सुलग रहे कई तरह के सवाल

जनता द्वारा बड़ी उम्मीदों के साथ जनप्रतिनिधियों को चुना जाता है। ग्रामीण जनता अपना विश्वास रूपी वोट प्रत्याशी को दिए रहते हैं ताकि वो निर्वाचित होकर उनकी आवाज के रूप में उचित मंच पर उनकी मांगों ,समस्याओं को प्राथमिकता से रखें। उसका निराकरण की दिशा में सार्थक पहल करें।लेकिन वर्तमान कार्यकाल में जिला पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के द्वारा क्षेत्र विशेष की समस्या को लेकर ऐसी कोई मुखर आवाज सामने नहीं आई। जिस तरह 15वें वित्त की राशि के आबंटन का मामला व वन विभाग को एजेंडे में शामिल नहीं करने की बात कहकर जिला पंचायत अध्यक्ष सहित सदस्यों ने सामान्य सभा का बहिष्कार किया। उसको लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। क्या जिला पंचायत में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों यहाँ तक कि अध्यक्ष की बातों को पदेन सचिव सह सीईओ जिला पंचायत द्वारा कोई तवज्जो नहीं दी जा रही । या फिर एक बार फिर सीईओ जिला पंचायत की कार्यशैली की सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर उन्हें हटाए जाने मीडिया के जरिए शासन स्तर तक अपनी बातें पहुंचाने की कोशिश की गई है। वर्तमान में देश मे तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है। यह कहर बनकर टूटे इससे पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक चिकित्सा व्यवस्था के संदर्भ में अपनी बात रखने का सदस्यों के पास उचित अवसर था। यही नहीं शिक्षा ,मनरेगा सहित अन्य रोजगार मूलक कार्य ,खेती किसानी की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी बात सदस्य रख सकते थे। पर सुनियोजित ढंग से सामान्य सभा का बहिष्कार कर दिया गया।