राजस्व मंत्री के जिले में राजस्व वसूली में नजूल विभाग फिसड्डी,65 करोड़ के लक्ष्य में 13 करोड़ की वसूली,नजूल तहसीलदार बोले प्रभारी अपर कलेक्टर का नहीं मिल रहा सहयोग

प्रकरण नहीं बढ़ रहा आगे, रियायतों के बाद भी नहीं बढ़ रही राजस्व प्राप्तियां

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। एक तरफ राज्य शासन प्रदेश में राजस्व प्राप्तियों में इजाफा करने में जुटी हुई है। शासकीय नजूल भूमि का आबंटन ,व्यवस्थापन में बड़ी रियायतें देकर भू -स्वामियों को रिझा रही है वहीं दूसरी ओर राजस्व मंत्री के जिले से ही नजूल विभाग की राजस्व प्राप्तियों में भागीदारी नगण्य नजर आ रही। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में नजूल विभाग को नगरीय क्षेत्रों में शासकीय नजूल भूमि का आबंटन ,व्यवस्थापन ,स्थाई नजूल पट्टों का भूमि स्वामी हक में परिवर्तन एवं भू भाटक की वसूली के तौर पर 65 करोड़ का लक्ष्य मिला है। जिसकी पूर्ति में जिले में बस्तर जैसे पिछड़े जिलों जैसा हाल है। यहाँ नजूल विभाग 1105 प्रकरणों में महज 13 करोड़ 96 लाख का राजस्व अर्जित कर सका । वहीं नजूल तहसीलदार ने अपनी नाकामी छुपाने स्थाई अपर कलेक्टर के अभाव एवं प्रभारी अपर कलेक्टर द्वारा वसूली प्रकरणों में रुचि नहीं लिए जाने की वजह से ऐसे हालात निर्मित होने की बात कही है।

यहां बताना होगा कि छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग सरकार की वित्तीय स्थिति को सुधारने लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में शासकीय नजूल भूमि के आबंटन ,व्यवस्थापन में बड़ी रियायतें देकर भू -स्वामियों को रिझा रही है। ताकि राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि किया जा सके। जिसके तहत नगरीय क्षेत्र में अपने निजी भूमि के साथ शासकीय नजूल भूमि पर यदि किसी व्यक्ति ने कब्जा कर मकान का विस्तार कर लिया है तो ऐसे भू -स्वामियों को भी उस काबिज स्थल का मालिकाना हक देने राज्य शासन ने व्यवस्थापन की व्यवस्था की है। इसके तहत काबिज स्थल के अतिरिक्त भूमि पर मकान व व्यवसायिक संस्थान बनाकर कब्जा करने वाले लोगों से वर्तमान प्रचलित बाजार मूल्य के आधार पर 152 प्रतिशत शुल्क लेकर भू -स्वामी हक दिया जाएगा। उस जमीन को सम्बंधित व्यक्ति अपनी सुविधानुसार डायवर्सन कराने ,बिक्री करने के लिए स्वतंत्र होंगे। इसी तरह सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने लीज डीड पर आबंटित नजूल भूमि पर काबिज फर्म एवं संस्थाओं को भू -स्वामी हक देने का निर्णय लिया है। इसके लिए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने दर का भी निर्धारण सुनिश्चित कर दिया है। जिले में सन 1984-85 ,सन 1997-98 सन 2003 एवं 2006-07 में नजूल भूमि का आबंटन किया गया है। शासन के इन तमाम रियायतों के बाद भी जिले में बस्तर जैसे पिछड़े जिलों जैसा हाल है।चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में नजूल विभाग को नगरीय क्षेत्रों में शासकीय नजूल भूमि का आबंटन ,व्यवस्थापन ,स्थाई नजूल पट्टों का भूमि स्वामी हक में परिवर्तन एवं भू भाटक की वसूली के तौर पर 65 करोड़ का लक्ष्य मिला है। जिसकी पूर्ति में जिले में बस्तर जैसे पिछड़े जिलों जैसा हाल है यहाँ नजूल विभाग 1105 प्रकरणों में महज 13 करोड़ 96 लाख का राजस्व अर्जित कर सका । इस तरह लक्ष्य का 22 फीसदी भी राजस्व प्राप्ति नहीं हुआ है।वहीं प्रकरण में नजूल तहसीलदार हरिशंकर यादव ने गजब की सफाई दी है। उन्होंने स्थाई अपर कलेक्टर के अभाव एवं प्रभारी अपर कलेक्टर जिला पंचायत सीईओ कुंदन कुमार पर वसूली प्रकरणों में रुचि नहीं लिए जाने का ठीकरा फोड़ा है। उनका कहना है कि तहसीलों से तमाम प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद प्रकरण हस्ताक्षर के लिए सक्षम अधिकारी अपर कलेक्टर के कक्ष में प्रस्तुत कर दिया गया है लेकिन अपर कलेक्टर इस कार्य में रुचि नहीं ले रहे। नजूल तहसीलदार की मानें तो उच्च अधिकारी को दबाव नहीं बना सकते। माजरा साफ है राजस्व प्राप्तियों में इजाफा कर शासन का खजाना भरने अधिकारी गम्भीर नहीं है।

इन संस्थाओं को आबंटित हुई है जमीन

जिले में 14 संस्थाओं /फर्मों को लीज डीड पर नजूल भूमि आबंटित हुई है। इनमें भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड ,अग्रसेन आईटीआई कोरबा,क्रिएटिव कैरियर सोसायटी,कोरबा शिक्षण समिति ,चेम्बर ऑफ कॉमर्स ,अंकुर विद्यालय ,ब्राम्हण समाज ,न्यू एरा प्रोगेसिव एजुकेशन सोसायटी ,सरस्वती शिक्षण समिति,श्रीमती कंचन चौरसिया ,बेला देवी अग्रवाल मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट ,दैनिक मितान,राष्ट्रीय विजय मेल समाचार पत्र एवं पत्रकार गृह निर्माण सहकारी संस्था कोरबा शामिल है। कुल 30 एकड़ से अधिक भूमि लीज डीड के रूप में आबंटित की गई है। इनमें सबसे ज्यादा 7 एकड़ से अधिक भूमि बालको को आबंटित की गई है।

15 गांव हैं नजूल घोषित ,42 प्रस्तावित

वर्ष 1974 -75 में शासन द्वारा 15 गांवों को नजूल विभाग के अधीन किया गया था। इन गांवों की व्यवस्था राजस्व विभाग से पृथक हो गई है। जमीन जायदाद से सम्बंधित सभी लेन देन एनओसी,खसरा नक्शा समेत अन्य सभी कार्यवाई इसी विभाग के अंतर्गत किया जाता है। विरासत में कुल 163.16 एकड़ जमीन अतिक्रमण के रूप में मिली। विभाग को सबसे पहले इन गांवों का सर्वे करना है।इसके बाद नक्शा तैयार किया जाना है। सीमांकन के लिए पत्थर लगाए जाने का भी प्रावधान है। वर्ष 1974-75 में कोरबा तहसील में नजूल विभाग अस्तित्व में आया । तब से लेकर आज तक 15 गांव नजूल घोषित हैं। साथ ही कटघोरा तहसील के अन्य 42 गांव भी नजूल प्रस्तावित हैं। नजूल विभाग का काम नजूल भूमि को आवेदनकर्ता व्यक्ति ,संस्थाओं/फर्मों को 30 साल की लीज डीड पर आबंटित करना है । जिसके एवज में शासन द्वारा निर्धारित प्रब्याजी भू -भाटक ,पर्यावरण उपकर ,अधोसंरचना मद के तहत निर्धारित शुल्क सालाना वसूल किया जाना है। लीज डीड समाप्त होने के उपरांत आबंटित भूमि का नवीनीकरण कराए जाने का प्रावधान है ।

कहीं कुछ और वसूली तो नहीं चल रही

नजूल विभाग भले राजस्व करों की वसूली में फिसड्डी रहा हो लेकिन विभाग में कुछ और ही वसूली चल रही है। जिसकी पूरे कलेक्टोरेट में जमकर चर्चा है। प्रखर समाचार के पास ऐसे दो नोटिस हैं जो इस बात को और बल दे रहे।न्यायालय नजूल तहसीलदार द्वारा राताखार निवासी रामकृष्ण पटेल को बिना अनुमति मकान निर्माण करने के संदर्भ में 18 जनवरी 2021 को नोटिस जारी कर सम्पूर्ण कागजात सहित 19 जनवरी 2021 को न्यायालय में उपस्थिति देने का उल्लेख है। उपस्थिति नहीं होने की स्थिति में निगम अमले से आगामी कार्यवाई की चेतावनी दी गई थी। कुछ इसी तरह का एक अन्य नोटिस दादरखुर्द निवासी कंवर जी नामक व्यक्ति को 26 फरवरी 2021 को जारी की गई थी। यहाँ भी बिना अनुमति मकान निर्माण के संबंध में नोटिस जारी कर 27 फरवरी 2021 को न्यायालय में उपस्थित होकर पक्ष रखने की बात कही गई थी। लेकिन दोनों प्रकरणों में न तो भूमि के खसरा नम्बर का जिक्र था न ही अतिक्रमित भूमि का उल्लेख है । जिससे साफ जाहिर होता है कि किस तरह लोगों को न्यायालयीन कार्यवाई के नाम पर डरा धमका कर अपनी दुकानदारी चलाई जा रही है। वैसे भी नजूल तहसीलदार बने नायब तहसीलदार हरिशंकर यादव के नेतृत्व में नजूल विभाग राजस्व वसूली में हर साल पिछड़ रहा । साथ ही यहाँ राजस्व निरीक्षक के पद पर संजय बरेठ भी पिछले 4 साल से पदस्थ हैं।नजूल विभाग के कार्यों को गति देने के साथ राजस्व वसूली में प्रगति लाने जिला प्रशासन को नए अधिकारी कर्मचारियों को दायित्व सौंपे जाने की नितांत आवश्यकता है।

वर्जन

प्रभारी अपर कलेक्टर प्रकरण आगे नहीं बढ़ा रहे ,इसलिए प्रभावित हो रहा कार्य

स्थाई अपर कलेक्टर के अभाव में प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। प्रभारी अपर कलेक्टर के थ्रू फाइल अनुमोदन के लिए कलेक्टर के पास जाता है।तहसील से सारी प्रक्रिया पूर्ण होने वाले प्रकरणों को प्रभारी अपर कलेक्टर के पास प्रस्तुत कर दिए हैं। लेकिन भेजे गए प्रकरणों को आगे बढ़ा ही नहीं रहे हैं। उच्च अधिकारी हैं हम दबाव भी नहीं बना सकते। कई लोग हमें फोन कर पूछते हैं कि हमारा प्रकरण हो गया है रजिस्ट्री करवा दीजिए,पर फाईल ही नहीं आ रही तो कुछ नहीं कर पा रहे।

हरिशंकर यादव ,नजूल तहसीलदार कोरबा