बरपाली -तुमान मार्ग का मामला,पीएमजीएसवाई पौने 4 करोड़ की लागत से पौने 4 मीटर पुरानी तंग सड़क को साढ़े 5 मीटर चौड़ी तैयार कर रही
,आक्रोशित ग्रामीणों ने कहा जब तक मुआवजा नहीं देंगे तब तक नहीं बनने देंगे सड़क
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा(भुवनेश्वर महतो)। जिले के करतला विकासखण्ड के ग्राम बरपाली से तुमान तक दो दशक पूर्व बनाए गए पीडब्ल्यूडी के साढ़े 5 किलोमीटर लंबी पौने 4 मीटर चौड़ी सिंगल लेन जर्जर सड़क का 1200 मीटर का हिस्सा अधर में लटक गया है। सड़क को आधिपत्य में लेने के बाद नए सिरे से पीएमजीएसवाई द्वारा पौने 4 करोड़ की लागत से तैयार की जा रही सड़क का 1200 मीटर का हिस्सा दो दशक से प्रशासन द्वारा मुआवजा प्रकरण का निराकरण नहीं किए जाने की वजह से अधूरा रह जाएगा। सड़क के लिए जमीन देने के 20 साल बाद भी मुआवजा नहीं मिलने से आक्रोशित तुमान के ग्रामीणों ने 1200 मीटर सड़क का निर्माण कार्य रोक दिया है।
यहाँ बताना होगा कि करतला विकासखण्ड के ग्राम बरपाली से तुमान के मध्य सन 2000-01 में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी )द्वारा साढ़े 5 किलोमीटर सिंगल लेन (पौने 4 मीटर चौड़ी)सड़क तैयार की गई थी। समय के साथ सभी आंतरिक सड़कों को लोक निर्माण विभाग पीएमजीएसवाई को हस्तांतरित करती रही। हस्तांतरित सड़कों में बरपाली से तुमान भी शामिल था।पिछले एक दशक से मरम्मत के अभाव में सड़क अत्यंत जर्जर हो गई थी। साथ ही बढ़ते यातायात दबाव के कारण मार्ग का नए सिरे से चौड़ीकरण की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। पीएमजीएसवाई ने मार्ग को साढ़े 5 मीटर चौड़ीकरण के साथ नए सिरे से तैयार करने शासन को प्रस्ताव भेजा था।शासन ने 5 ग्रामीण सड़कों की संयुक्त पैकेज में इस सड़क की भी स्वीकृति दे दी। 3 करोड़ 80 लाख की लागत से मेसर्स आर के टी सी को मार्च 2022 तक सड़क तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन इस सड़क का ग्राम सराईडीह से आगे 1200 मीटर का हिस्सा अधूरा रह जाएगा। इस मार्ग पर सड़क तैयार करने का ग्रामीण विरोध कर सामने आ गए हैं। जिसकी वजह से ठेकेदार से लेकर विभाग के अधिकारी उक्त हिस्से को छोंड़कर शेष हिस्से की सड़क को ही प्राथमिकता से तैयार करने में जुटे हुए हैं।दरअसल यह स्थिति अर्जित निजी भूमि के लंबित मुआवजा वितरण की वजह से निर्मित हुई है। तुमान के सरपंच बबलू कंवर व अन्य ग्रामीणों की मानें तो 2000-01 में जब सिंगल लेन सड़क तैयार की गई थी। तब करीब डेढ़ दर्जनों किसानों की निजी भूमि अर्जित की गई थी। लेकिन उसके एवज में दिए जाने वाली मुआवजा राशि दो दशक गुजरने के बाद भी आज पर्यन्त प्रभावितों को नहीं मिली।जिसकी वजह से प्रभावित ठगा महसूस कर रहे हैं। और नए सिरे से पीएमजीएसवाई -2 के तहत तैयार की जा रही सड़क निर्माण के कार्य का विरोध कर रहे हैं।यही वहज है कि मार्ग के 1200 मीटर का हिस्सा लटक गया है।
तो फिर कभी नहीं मिलेगी स्वीकृति
शासन ने संयुक्त पैकेज में 5 ग्रामीण सड़कों की स्वीकृति दी है। ऐसे में महज 1200 मीटर (सवा किलोमीटर का हिस्सा )अधूरा रह जाता है तो आगामी भविष्य में भविष्य में पृथक से सड़क की स्वीकृति मिल पाना मुश्किल है। अधिकारी भी ठेकेदार को अविवादित मार्ग में ही सड़क तैयार करने की बात कह रहे हैं। शेष मार्ग की राशि शासन को समर्पित कर दी जाएगी। ऐसे में बरपाली से नवगठित सक्ति जिला जाने वाले व तुमान से बरपाली होते कोरबा जाने वाले इस शॉर्टकट सुगम मार्ग का लाभ लोगों को नहीं मिल पाएगा। उन्हीं सवा किलोमीटर तक हिचकोले खाने पड़ेंगे।
ग्रामीणों का कहना प्रशासन नहीं कर रहा सार्थक पहल
पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन पर जनप्रतिनिधि से लेकर ग्रामीण सार्थक पहल नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं। सरपंच श्रीमती ललिता पैकरा का कहना है कि प्रकरण में आवश्यक प्रक्रिया पूरी कराने संबंधित विभाग से लेकर जिला प्रशासन का अपेक्षित सहयोग आज पर्यन्त नहीं मिला। जिसकी वजह से यह स्थिति बन आई है। सरपंच का कहना है कि प्रशासन पौने 3 साल की भू -अर्जन की प्रक्रिया 20 साल बीतने के बाद भी पूरी नहीं कर सकी। सामाजिक समाघात की बैठक में सक्षम अधिकारी शामिल नहीं होते यह दुर्भाग्यजनक है। अगर प्रशासन वार्ता आयोजित कर लिखित आश्वासन देकर यह आश्वत करती है कि वो प्रकरण का जल्द से जल्द निराकरण कर प्रभावितों को मुआवजा दिलाना सुनिश्चित करेगी तभी ग्रामीण सड़क बनने देंगे।
पौने 3 साल की लंबी रहती है अर्जन की प्रक्रिया
भू -अर्जन की पूरी प्रक्रिया 32 माह की रहती है। इस लंबी प्रक्रिया में सबसे पहले संबंधित विभाग प्रस्ताव बनाकर प्रकरण प्रस्तुत करते हैं। जिसमें खसरावार प्रभावित भूमि का उल्लेख रहता है। प्रकरण के परीक्षण अधिसूचित जिला होने की वजह से ग्राम सभा आयोजित की जाती है। ग्राम सभा आयोजित होने के बाद सामाजिक समाघात दल का निर्धारण किया जाता है। जिसमें संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार ,विषय विशेषज्ञ (निजी क्षेत्र के व्यक्ति होते हैं),सामाजिक विशेषज्ञ ,दो जनप्रतिनिधि शामिल रहते हैं। ततपश्चात विशेषज्ञ दल का गठन किया जाता है। इसके उपरांत धारा-11 का प्रकाशन किया जाता है। धारा -11 के प्रकाशन के उपरांत धारा -16 के तहत पुनर्वास का प्रतिवेदन मंगाया जाता है। जिसमें यह देखा जाता जाता है कि प्रभावित व्यक्ति पूर्ण रूप से विस्थापित हो रहा है कि नहीं। तत्पश्चात धारा -19 का प्रकाशन होता है। इसके उपरांत धारा -21 के तहत सुनवाई के लिए संबंधितों को अंतिम नोटिस जारी की जाती है। तत्पश्चात धारा -23 के तहत मुआवजा राशि का निर्धारण किया जाता है। 32 माह की लंबी प्रक्रिया को राजस्व विभाग संजीदगी से पूरी करे तो डेढ़ साल में ही अवार्ड पारित किया जा सकता है। पूर्व में दर्जनों अर्जन के प्रकरणों में ऐसी ततपरता दिखाई गई थी। लेकिन यहाँ तो 20 साल बाद भी प्रकरण अधर में लटका है। वर्तमान में सामाजिक समाघात दल की बैठक कर आगामी प्रक्रिया के लिए प्रकरण जिला प्रशासन को सौंप दिया गया है। शेष प्रक्रिया में भी कम से कम साल भर का वक्त लग सकता है।
वर्जन
तत्काल मुआवजा दें ,अधिकारियों की नहीं चलेगी मनमानी
20 साल बाद भी भू -अर्जन के प्रकरण का निराकरण नहीं होना बड़ा दुर्भाग्यजनक बात है। तत्काल मुआवजा वितरण करना चाहिए। अधिकारी सड़क निर्माण कार्य अधूरा छोड़ मनमानी नहीं कर सकते। अगर ऐसा हुआ तो सम्बन्धितों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाई करने सदन में आवाज उठाएंगे।
ननकीराम कंवर ,रामपुर विधायक व पूर्व गृहमंत्री।
वर्जन
ग्रामीण व्यवधान उत्पन्न कर रहे
सड़क निर्माण के कार्य में ग्रामीण व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं।
1200 मीटर के हिस्से में सड़क निर्णाण संभव नहीं है। हमने ठेकेदार को शेष अविवादित स्थल में प्राथमिकता से तय समयावधि में निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है । भैसमा- गोढ़ी मार्ग में भी करमंदी के पास लोग सड़क निर्माण कार्य में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं।
के आर साहू
ईई ,पीएमजीएसवाई
वर्जन
प्रकरण में चल रही है आवश्यक प्रक्रिया
पूर्व के अधिकारियों ने प्रकरण को लेकर संजीदगी नहीं दिखाई। वर्तमान में प्रशासन के सहयोग से हम प्रकरण आगे बढ़ा रहे हैं। सामाजिक समाघात दल की बैठक हो चुकी है। प्रकरण में शेष प्रक्रिया जिला प्रशासन को पूर्ण करना है।
ए.के .वर्मा ईई ,पीडब्ल्यूडी ,कोरबा