पोलियो भी नहीं तोड़ पाया इस खिलाड़ी हौंसला…पैरा बेडमिंटन में बनाई पहचान…

ज्वालामुखी । हौंसलों से उड़ान होती है, मंजिल उन्हें मिलती है, जिनके सपने में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता हौंसलों से उड़ान होती है। किसी शायर की यह पंक्तियां बहुत लोगों ने सुनी होगी लेकिन दिल्ली निवासी चरनजीत कौर ने पैरा बैडमिंटन में हार नहीं मानी और बनाई अपनी अलग पहचान। चरणजीत का जन्म 25 मई 1983 को पटियाला में हुआ। इनके पिता का नाम करनैल सिंह और माता हरपाल कौर हैं। चरनजीत कौर आज पूरे भारतवर्ष में एक खिलाड़ी के रूप में जानी जाती हैं जो अपने नाम कई मेडल भी कर चुकी हैं। चरनजीत कौर आजकल ज्वालामुखी से कुछ ही दूरी पर कुंडलीहार नामक स्थान पर कपूर एकेडमी में अभ्यास कर रही हैं। चरनजीत कौर ने पंजाब केसरी से विशेष बातचीत की ।

खास बातचीत में चरनजीत कौर ने सबसे पहले बताया कि बचपन से ही उनका खेलों कि तरफ झुकाव था। चरनजीत को 3 वर्ष की उम्र में पोलियो हो गया। इस बीच उनके पापा ने काफी इलाज करवाया लेकिन यह ठीक नहीं हो पाया। चरनजीत का सरकारी स्कूल पटियाला में दाखिला करवाया गया। चरनजीत ने बताया कि पापा ने पिं्रसिपल से बात की कि बेटी को यह दिक्कत है तो डॉक्टर ने इसे खेलने का सुझाभ दिया है। फिर मैं हर खेल में बचपन से ही हिस्सा लेने लगी। लेकिन मुझे स्कूल की तरफ से होने बाली किसी खेल प्रतियोगिता में लेकर नहीं जाते थे। हर बार यही कहते कि अगले साल ले चलेंगे। तब मन को बड़ी ठेस पहुंचती थी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी और मैंने बैडमिंटन पर फोकस करना शुरू कर दिया। फिर भी मुझे यही सुनने को मिलता कि यह क्या खेलेगी उस समय बड़ा दुख होता था।

चरनजीत कौर ने बताया कि पटियाला में जब ग्राउंड में प्रैक्टिस करने जाती थी तो मुझे एक सीनियर खिलाड़ी मिले। उस समय मुझे पैरा गेम्स के बारे में पता चला। फिर मैंने पैरा गेम्स में अप्लाई किया। जहां मुझे सफलता मिलनी शुरू हो गई। फिर मेरा विश्वास बड़ा और मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने बताया कि उन्होंने स्नातक की पढ़ाई वूमैन कॉलेज पटियाला से की। पढ़ाई के साथ में खेल को भी जारी रखा और विश्वास बढ़ता गया। उन्होंने बताया कि शादी के बाद वह दिल्ली आ गई लेकिन उन्होंने खेलना नहीं छोड़ा। चरनजीत को पति समीर का भी पूरा साथ मिला। चरनजीत का एक बेटा भी है गुरमेहर, जिसे भी खेलने का शौक है। चरनजीत ने बताया कि लॉकडाउन में दिल्ली में घर पर ही वह प्रैक्टिस करती थी। चरनजीत ने बताया कि इस दौरान वह रोजाना 8 घंटे प्रैक्टिस करती हैं। दिल्ली में ट्रैफिक जाम और रोजाना घर से प्रैक्टिस के लिए जाना मुश्किल हो रहा था। फिर एक फ्रेंड ने कपूर एकेडमी के बारे में बताया, ऐसे में 2 माह से वह यहां पर हैं। बताते चलें कि चरनजीत कौर उन दिव्यांग बच्चों के लिए भी प्रेरणास्त्रोत है, जोकि दिव्यांग होने के बाद अपने हौंसलों को उड़ान नहीं दे पाते हैं। चरनजीत मानती है कि यदि हौंसले बुलन्द हो तो किसी भी कामयाबी को हासिल किया जा सकता है।

चरनजीत कौर ने कपूर एकेडमी की तारीफ की, कहा बढ़िया करवाया जा रहा अभ्यास
चरनजीत कौर ने बताया कि हमें रोजाना एक्स्ट्रा डाइट लेनी पड़ती है। चरनजीत शाकाहारी है। अपनी डाइट में दूध, नट्टस, प्रोटीन, केला आदि खाने के अलावा लेती हैं। उन्हें हिमाचल आकर बड़ा अच्छा लगा यहां आकर अच्छा माहौल मिल पाया जो दिल्ली में नही मिल पा रहा था। उन्होंने एकेडमी कि भी तारीफ की ओर कहा कि यहां पर बढ़िया अभ्यास करवाया जा रहा है।

बैडमिंटन उनकी जान, ओलंपिक में खेलने का सपना
चरनजीत ने बताया कि बैडमिंटन उनकी जान है। उनका सपना है कि अब वह ओलंपिक में खेलें, जिसके लिए वह पूरी लगन से मेहनत कर रही हैं। चरनजीत ने बताया कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खिलाड़ी को प्रोत्साहन देते हैं, उसके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दे रहे हैं, ऐसे में खिलाड़ियों का विश्वास बहुत बढ़ता है।

हर माह खिलाड़ी को मिलनी चाहिए एक फिक्स राशि
चरनजीत बताती हैं कि जब मेडल मिलता है तब खिलाड़ी को प्रोत्साहन राशि मिल जाती है, लेकिन वह चाहती हैं कि हर माह खिलाड़ी को एक फिक्स राशि मिलनी चाहिए जिससे खेलों पर होने वाले खर्चे निकल सकें, ऐसी मांग उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष की है व इस बाबत कोई ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है।

चरनजीत के नाम पदक
– वर्ष 2016 के हरियाणा में 16वीं सीनियर नेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप स्वर्ण पदक
– वर्ष 2018 के वाराणसी में आयोजित नेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक
– वर्ष 2019 के रुद्रपुर में आयोजित थर्ड नेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में रजत पदक
– वर्ष 2019 के थाईलैंड में आयोजित ओपन पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट रहा
– वर्ष 2021 के दुबई में आयोजित थर्ड पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में कांस्य पदक