मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोले- ‘कका अभी जिंदा हे…’, सिंहदेव को कहा महाराज साहब

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को राजधानी रायपुर के एक आयोजन में ‘कका अभी जिंदा हे…’ कहकर न केवल नारेबाजी करने वालों को अपनी चिर-परिचित अंदाज में रिस्पांड किया, बल्कि अनेक सियासी सवालों के भी अप्रत्यक्ष जवाब दिए। मंच से जैसे ही उन्होंने मुस्कुराते हुए ऐसा कहा, तालियों और नारे दोबारा गूंज उठे। पढ़िए पूरी खबर-

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार 25 सितंबर को राजधानी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में फॉर्मासिस्ट कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया। इस आयोजन के मौके पर एक रोचक दृश्य यह देखने को मिला कि सीएम भूपेश बघेल की मौजूदगी में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ ‘कका…जिंदाबाद’ के नारे लग रहे थे। इस नारेबाजी को सुनकर सीएम भी खुश हुए। उन्होंने भी नारे लगाने वालों की ओर मुखातिब होते हुए मंच से कहा- ‘कका अभी जिंदा हे..’। जैसे ही सीएम ने ऐसा कहा, वहां एक बार फिर ठहाके और तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। दरअसल, इस आयोजन में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव भी मौजूद थे। उनके साथ राज्यसभा सांसद छाया वर्मा समेत कई नेतागण मौजूद थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने फार्मासिस्टों की चार सूत्रीय मांग सीएम के सामने रखी। उन्होंने फार्मासिस्ट एसोसिएशन के गठन की मांग की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पद नाम की स्थापना सभी जगह होनी चाहिए। व्यवहारिकता की कमी जल्दी से दूर होगी। उन्होंने कहा कि सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ को अब मार्ग प्रशस्त करने वाला राज्य बनाया है। देशभर में छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा हो रही है।

इसके बाद सीएम भूपेश बघेल ने अपने सम्बोधन में कहा कि कोरोना काल में जितनी मेहनत फार्मासिस्ट से जुड़े साथियों ने किया, उसे देखकर मैं उन सभी सेवकों सेल्यूट करता हूँ। कोरोना के इस भयावह दौर में कितने घरों की व्यवस्थाएं छिन्न-भिन्न हो गईं। इस बीच फार्मासिस्ट्स ने मानवता की सेवा का मिसाल पेश किया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोरोना से लड़ने के लिए एकजुटता है। कोरोना नहीं आया था, तब हम ऑक्सीजन बेड नहीं जानते थे। वेंटिलेटर को हम पहले खतरा समझते थे। आईसीयू में जाने पर लगता था, जान बच जाएगी। लेकिन, कोरोना से पहले शरीर में कितना ऑक्सीजन होना चाहिए नहीं जानते थे। पहली लहर में ऑक्सीजन की मांग नहीं थी। दवाइयों की पूर्ति करने की जिम्मेदारी फार्मासिस्ट ने की है। दूसरी लहर में ऑक्सीजन की जरूरत का पता चला। उद्योगपतियों ने साढ़े 19 हजार ऑक्सीजन सिलेंडर दिये। छत्तीसगढ़ में रेमडीसीवीर इंजेक्शन की कमी नहीं पड़ी। आज हम सब परिवार में रहते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वास्थ्य मंत्री की मांग पर कहा- कि महाराज साहब की पे-स्केल और प्रमोशन की मांग पर परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण के बाद सरकार निर्णय लेगी।