हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो)।कटघोरा वन मंडल का नया कारनामा सामने आया है ।अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर एसईसीएल द्वारा अर्जित भूमि के लिए मुआवजा राशि दे दिए जाने ,गांव के उजड़ जाने कोयला खुदाई शुरू हो जाने के उपरांत भी तकरीबन 50 लाख रुपए की कीमती 175 नग इमरती पेड़ को खुद काटकर डिपो ले जाने की जगह भू -स्वामी को काटकर ले जाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दी।शासन को बड़ी राजस्व क्षति पहुंचाने छूट दे दी। नायब तहसीलदार दीपका ने आवेदक द्वारा पेड़ की कटाई कर अन्यत्र निवासरत स्थल पर ले जाने किए गए किए आवेदन पर रोक लगा दी है।


मामला एसईसीएल गेवरा परियोजना के अर्जित ग्राम भठोरा की है। यह ग्राम परियोजना के विस्तार के लिए एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित किया जा चुका है। तथा परिसंपत्तियों (घर, जमीन,पेड़) का आंकलन नापी कर एसईसीएल द्वारा मुआवजा राशि दी जा चुकी है। अब उसमें कोल खनन भी प्रारंभ हो चुका है। लेकिन इसके बाद भी एसईसीएल शासकीय संपत्ति की सुरक्षा कर पाने में विफल साबित हो रहा है।समस्त परिसंपत्तियों का मुआवजा प्राप्त कर लिए जाने के बाद भी भठोरा निवासी आवेदक मनहरण लाल राठौर को स्वंय की नर्सरी में लगाए गए सागौन, आम ,मौहा,कोसम ,नीम ,खम्हार,तथा सागौन के 185 पेड़ को काटकर अन्यत्र स्थल ले जाने प्रस्तुत आवेदन पर अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दी। जबकि यह संपत्ति एसईसीएल शासन की थी। हैरानी की बात तो तब हुई जब आवेदक द्वारा वन मण्डलाधिकारी कटघोरा के 18 मार्च 2021 को जारी पत्रानुसार वन परिक्षेत्राधिकारी कटघोरा ने भी परियोजना में अधिग्रहित भूमि में लगाए गए पेंड की कटाई के लिए 1 अप्रैल 2021 को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दी ।जबकि उक्त पेड़ो की कटाई कर वन विभाग को स्वयं अपने डिपो में सुरक्षित ले जाना था। इस तरह वन मण्डल कटघोरा के अधिकारियों ने निहित स्वार्थ को प्राथमिकता देते हुए शासन को एक बड़ी राजस्व क्षति पहुंचाने अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दी। नायब तहसीलदार दीपका के न्यायालय में इसके आधार पर आवेदक ने खड़े वृक्षों को काटने की अनुमति प्रदान किए जाने 5 जुलाई 2021 को आवेदन प्रस्तुत किया। तत्कालीन नायब तहसीलदार शशिभूषण सोनी ने पूरे प्रकरण एवं एसईसीएल ,वन विभाग के द्वारा दी गई अनापत्ति प्रमाण पत्र पर हैरानी जताते हुए वन मण्डलाधिकारी कटघोरा को 16 जुलाई 2021 को ग्राम भठोरा ,प.ह.न. -53 ,तहसील -कटघोरा स्थित आवेदित भूमि खसरा नम्बर 46/1,118/2,119/1,201,204/3,330/3,331/3,408,420/2,458/2 कुल रकबा 0.917 हेक्टेयर में खड़े वृक्ष को काटने की आ आवेदक को अनुमति प्रदाय किए जाने के संबंध में स्पष्ट अभिमत सहित अनापत्ति प्रमाण पत्र 2 अगस्त 2021 तक न्यायालय में प्रस्तुत करने की बात कही थी।साथ ही नियत दिनांक तक स्पष्ट अभिमत सहित अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं होने की दशा में आपका अनापत्ति मान लिया जाएगा उल्लेख किया गया था।लेकिन नियत समयावधि में वन विभाग ने अभिमत सहित अनापत्ति प्रमाण पत्र न्यायालय नायब तहसीलदार दीपका के के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया। हाल ही में नवपदस्थ नायब तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव के समक्ष आवेदक एसईसीएल व वन विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए जाने के बाद भी खड़े वृक्षों को काटने अनुमति प्रदान करने बहस कर दबाब बना रहा है। नायब तहसीलदार वीरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि किसी भी सूरत में नियमों से परे जाकर शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने ,शासन को राजस्व क्षति पहुंचाने अनुमति नहीं दी जा सकती। बहरहाल इस एक प्रकरण के साथ एसईसीएल व वन विभाग की कार्यप्रणालियों को लेकर कई तरह के सवाल के उठने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो इसी तरह के अन्य प्रकरणों में भी एसईसीएल व वन विभाग द्वारा शासन को करोड़ों की राजस्व क्षति पहुंचाई जा चुकी है।
इन पेड़ों को काटने मांगी गई थी अनुमति
सागौन 15 से 20 सेमी.3 नग ,सागौन 21 से 30 सेमी.13 नग,सागौन 31 से 40 सेमी.14 नग,सागौन 41 से 50 सेमी.3 नग ,कोसम 160 सेमी.1 नग,मौहा 150 सेमी.2 नग , खम्हार 61 से 75 सेमी.10 नग,जामुन 150 सेमी.1 नग,कसही 41 से 60 सेमी.10 नग ,नीम 150 सेमी.2 नग शामिल है। अधिकारियों के मुताबिक इनकी अनुमानित कीमत तकरीबन 50 लाख की होगी।
वर्जन
नियमानुसार नहीं दे सकते अनुमति
एसईसीएल द्वारा अर्जित भूमि में आवेदक द्वारा समस्त परिसंपत्तियों का मुआवजा प्रदान कर दिए जाने के बावजूद अपना दावा कर एसईसीएल एवं वन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति प्रदान करने आवेदन प्रस्तुत किया गया है। जो कि नियम विरुद्ध है। वन विभाग को पत्र लिखे जाने के बाद भी नियत सनायवधि में स्पष्ट अभिमत सहित अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। अर्जित भूमि की संपत्ति शासन की है लिहाजा राजस्व क्षति पहचाने अनुमति नहीं दी जा सकती।
वीरेंद्र श्रीवास्तव ,नायब तहसीलदार दीपका


