यदि आप वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके हैं, तब भी आप वायरस से पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। US के डॉ. शशांक हेडा का कहना है कि, ओमिक्रॉन ने ऐसे लोगों को भी संक्रमित किया है, जो वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे। हालांकि, जिनकी बॉडी में कोरोना होने के बाद एंटीबॉडी बनी है, उन्हें ये वायरस कितना इंफेक्ट कर रहा है, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आई है।
CovidRxExchange के फाउंडर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर डॉ. हेडा कोविड से जुड़ी पॉलिसी मेकिंग में कई सरकारों को सलाह भी देते हैं जिनमें भारत की महाराष्ट् सरकार भी शामिल है। उन्होंने तमाम सवालों के जवाब दिए। पढ़िए इंटरव्यू के प्रमुख अंश।
ओमिक्रॉन को बहुत खतरनाक बताया जा रहा है, इसकी रिएलिटी क्या है?
यह खतरनाक इसलिए है क्योंकि इसके करीब 50 म्यूटेशंस हैं। जबकि, पहले आए वेरिएंटस जैसे एप्सिलॉन, अल्फा, गामा, डेल्टा में इतने म्यूटेशंस नहीं पाए गए। किसी में भी म्यूटेशन इतनी तेजी से नहीं बन रहे थे।
स्पाइक प्रोटीन (कोरोना वायरस की जो लाइन बाहर की तरफ निकली होती है, ये स्पाइक प्रोटीन होते हैं) में ही 30 म्यूटेशन होते हैं और ह्यूमन एसीई रिसेप्टर में इसके दस म्यूटेशन होते हैं, जो इम्युनिटी को कमजोर बनाते हैं। यह वायरस तेजी से संक्रमण फैला सकता है गंभीर बीमारी पैदा कर सकता है।
क्या वैक्सीन इस पर कारगर है, जिन्होंने एक डोज लगवाया वो कितने सुरक्षित हैं?
वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने वालों को भी यह वायरस संक्रमित कर चुका है। वैक्सीन इससे बचाने में कारगर भी है। इसलिए जिन्होंने एक डोज लगवाया है उन्हें तुरंत दूसरा डोज लगवाना चाहिए, ताकि वे ज्यादा सुरक्षित हो सकें।
फाइजर, मॉडर्ना, एस्ट्राजेनका सभी को स्पाइक प्रोटीन का मुकाबला करने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत की कोवैक्सिन भी बेहतर है, लेकिन ऐसा नहीं है कि जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है उन्हें 100 प्रतिशत सुरक्षा मिल चुकी है।
यह वेरिएंट सबसे ज्यादा किस एज ग्रुप के लोगों को इफेक्ट कर रहा है?
अभी तक इस बारे में कोई डाटा नहीं आया है, लेकिन यह बहुत कम समय में 15 देशों में फैल चुका है। हमें बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसा भी नहीं है कि यह जंगल में आग की तरह फैल रहा हो। ध्यान देने वाली ये है कि यह एसिम्प्टोमैटिक और वैक्सीन लगवा चुके मरीजों में भी देखा जा रहा है। इसलिए हमें कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर को फॉलो करना चाहिए

जो लोग एल्कोहल, स्मोकिंग करते हैं, क्या यह वेरिएंट उनके लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है?
स्मोकिंग और एल्कोहल का कोई सीधा संबंध वायरस के इंफेक्शन से नहीं है। स्मोकिंग करने से फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है, जिससे रिस्क फैक्टर बढ़ता है। ऐसे में स्मोकिंग से बचना चाहिए।
क्या इस वेरिएंट का मौसम से कोई कनेक्शन है। अभी ठंड चल रही है, ऐसे में क्या यह ज्यादा डेंजर हो सकता है?
ओमिक्रॉन उत्तरीय और दक्षिणी दोनों ही गोलार्द्धों में लगभग एक साथ पाया जा रहा है। ऐसे में मौसम से इसका कोई रिलेशन नहीं देखा गया। कोरोना के पहले वाले वेरिएंट्स में भी हमने देखा कि उसका ठंड, गर्मी या किसी भी मौसम से कोई संबंध नहीं रहा। मौसम के बजाए कमजोर लोग जैसे, बुजुर्ग, जिनका इम्युन सिस्टम कमजोर है, कैंसर पेशेंट, डायबिटीज या मोटापे का शिकार पेशेंट्स को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है।
इस वेरिएंट के बाद सिम्टम्स कैसे आ रहे हैं, पहले जैसे ही या कोई नए सिम्टम्स देखने को मिल रहे हैं?
हाल ही में पता चला है कि, इसमें थकान, सिरदर्द, शरीर में दर्द, गले में खराश और खांसी होती है। शुरूआती ऑब्जर्वेशन में ये भी देखने में आ रहा है कि, इसमें सूंघने की क्षमता कम नहीं हो रही है, जबकि पहले वाले वेरिएंट में सूंघने की क्षमता कम हो जाती है। एक ऑब्जर्वेशन ये भी है कि, इसे संक्रमित होने के बाद हल्की बीमारी देखी जाती है। हालांकि, यह ऑब्जर्वेशन अभी बहुत कम रोगियों पर दिखे संकेतों के आधार पर हैं। अभी इसका कोई सांख्यिकी डाटा मौजूद नहीं है।
क्या इस वेरिएंट के चलते भारत में तीसरी लहर आ सकती है?
अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी है। मैं तो ये कहना चाहता हूं कि, आप तीसरी लहर आएगी, ऐसा क्यों सोच रहे हैं। आप कोविड के नॉर्म्स को फॉलो करें, वैक्सीन के दोनो डोज लगवाएं, सरकारें पॉलिसी लेवल पर काम करें जैसे ट्रैवल रिस्ट्रिक्शन, क्वारैंटाइन, फ्रीक्वेंट टेस्टिंग, ट्रेसिंग, जीनोम एनालिसिस तो तीसरी लहर आएगी ही नहीं। हर किसी को सिर्फ अलर्ट होने की जरूरत है