मनमौजों का ‘अभयारण्य’ बना अचानकमार टाइगर रिजर्व, कैमरे में कैद हुईं वन्य प्रेमियों की ओछी हरकतें

पेंड्रा। जानवरों के लिए सुरक्षित रखे जाने वाले वनांचल को अभयारण्य नाम दिया जाता है। ऐसा अरण्य यानी कि जंगल जहां जानवर बिना भय के विचरण कर सकें। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है मानो छत्तीसगढ़ के अभयारण्य इन दिनो शिकारियों और मनमौजी युवाओं के लिए बिना भय के मनमानी करने के अड्डे बन गए हैं।

ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, बाकायदा ऐसे दृश्यों के वीडियो बनाए गए हैं। वह भी किसी आम आदमी के द्वारा नहीं बल्कि वन और वन्यजीव विशेषज्ञ द्वारा। प्राण चड्डा छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले मध्यप्रदेश के जामने में भी स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के मेंबर रहे हैं। वनों और वन्यजीवों के मामले में उनकी राय बड़ी अहम मानी जाती रही है। हम यहां जिस घटना का जिक्र कर रहे हैं, उसमें हुआ कुछ यूं कि हाल ही में वन्य जीव प्रेमी प्राण चड्ढा और शिरीश डामरे वनभ्रमण पर निकले थे। रास्ते में उनको तीन चीतलों को दो आवारा कुत्ते शिकार करने के लिए दौड़ाते हुए दिखे। इसी प्रकार दूसरी जगह चीतलों का झुंड रोड क्रास कर रहा था तो बाइक सवार तीन युवकों ने उनके झुंड के बीच में बाइक ले जाकर खड़ी कर दी, जिससे कुछ चीतल राह नहीं पार कर सके। ऐसे में उनके झुंड से बिछड़कर अलग होने का खतरा रहता है। युवाओं की ये हरकत देखकर श्री चड्ढा और श्री डामरे ने उन युवाओं को समझने की कोशिश की, लेकिन मनमौजी युवा अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। सड़क पार करने का पहला अधिकार वन्य जीवों का है, मगर युवाओं को यह बात समझ नहीं आई। श्री चड्ढा और श्री डामरे बताते हैं कि इसी दिन हमने जो तीसरी घटना देखी वह तो कल्पना से परे है। वे बताते हैं कि एक नर इंडियन गौर सड़क से कुछ दूर था, तभी बाइक पर सवार तीन युवकों ने बाइक रोकी और एक ने सड़क से पत्थर उठाकर विशाल गौर याने इंडियन बाइसन को मारा। आमतौर पर अकेला नर बहुत आक्रमक होता है। यदि उसका मूड बिगड़ जाता तो वहां कोई बड़ी अनहोनी उनकी आँखों के सामने घटित होती। ये तीनों घटनाक्रम अचानकमार और बिन्दावल गांव की सड़क पर घटती इन लोगों ने देखी है। इनमें दो के तो वीडियो भी बना लिए गए हैं। लोगों की ऐसी ही हरकतों की वजह से अचानकमार टाइगर रिज़र्व की बदतर दशा पर वहां के शानदार जीव जार-जार रोते होंगे। इस टाइगर रिजर्व के भीतर 19 गांव हैं, जिनके रहवासियों को यह समझना और समझााना जरूरी है, कि वो वन्यजीवों के आश्रयदाता बन कर रहें ना कि वन्यजीवों को परेशान करें। गांव के आवारा कुत्ते यहां शिकारी कुत्तों की भांति छोटे-छोटे जानवरों की बड़ी समस्या बन गई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां तैनात अफसर जंगल में नहीं रहते। इसी वजह से पार्क इस तरह की समस्याओं का अभयारण्य बना दिखता है।