हसदेव एक्सप्रेस न्यूज़ कोरबा(भुवनेश्वर महतो)। पश्चिमी विक्षोभ के कारण बेमौसम बारिश से 4 दिन तक प्रभावित हुए धान खरीदी का कार्य मौसम साफ होते ही मंगलवार से गति पकड़ चुका है। लेकिन जिन 35 सौ किसानों ने डेढ़ लाख क्विंटल धान इस दौरान उपार्जन केंद्रों में नहीं बेचा था ,उनका टोकन शेष बचे खरीदी दिवसों के लिए एक्सटेंड कर दिया गया है जिसका असर धान उपार्जन केंद्रों में बुधवार को देखने को मिला। उपार्जन केंद्रों में क्षमता से डेढ़ गुना किसानों का टोकन काटा जा रहा है यही वजह है कि धान उपार्जन केंद्रों में पांव रखने की जगह नहीं। खरीदी केंद्रों में पर्याप्त जगह नहीं होने एवं हमालों की कमी की वजह से धान उठाव के लिए राइस मिलरों के पर्याप्त वाहन भी लग पा रहे। हालात यह है कि 14 उपार्जन केंद्रों में बफर लिमिट क्रास कर गया है। 10 हजार क्विंटल से अधिक धान जाम हो गया है जिसकी वजह से आने वाले दिनों में खरीदे गए धान के उठाव में गति नहीं लाई गई तो खरीदी बंद होने की नौबत तक आ सकती है।
यह बताना होगा कि राज्य शासन द्वारा प्रदेश में 1 दिसंबर से 31 जनवरी तक नगद एवं लिंकिंग व्यवस्था के तहत पंजीकृत किसानों से धान खरीदी की जा रही है । जिले में 41 समितियों के 55 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से धान खरीदी की जा रही है। 19 जनवरी की शाम 6 बजे तक प्राप्त आंकड़ों कद तहत जिले में 40 हजार 472 पंजीकृत किसानों में से 27 हजार 624 किसानों से 12 लाख 48 हजार 381 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 242 करोड़ 18 लाख 82 हजार 488 रुपए के धान की खरीदी की जा चुकी है। जिसमें से 8 लाख 39 हजार 252 क्विंटल धान का उठाव किया जा चुका है। यह तरह देखें तो 67 . 29 फ़ीसदी धान का उठाव किया जा चुका है। अधिकारियों का दावा है कि धान उठाव के मामले में पूरे प्रदेश में कोरबा जिला अव्वल है। कोरबा खेतिहर जिला नहीं होने की वजह से यहां धान की पैदावार कम होती है, लिहाजा सीमित धान खरीदी की वजह से उठाव के मामले में भी कोरबा हमेशा अव्वल रहता है। लेकिन वर्तमान में धान उठाव के आंकड़े जो भी कहें करीब डेढ़ दर्जन उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी का कार्य प्रभावित हो रहा है। जिले में अभी भी कुल खरीदे गए धान में से 4 लाख 7 हजार 989 क्विंटल समर्थन मूल्य पर 79 करोड 14 लाख 99 हजार 824 रुपए का धान उठाव के लिए उपार्जन केंद्रों में पड़ा हुआ है। इस शासकीय धान की रखवाली व सुरक्षित शत प्रतिशत परिदान का कार्य सबसे महत्वपूर्ण है । लेकिन इसे हैरानी की बात ही कहें कि 14 उपार्जन केंद्रों में ही डेढ़ लाख क्विंटल से अधिक धान जाम है। फिर उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी के लिए सीमित जगह की वजह से किसान एवं समिति प्रबंधकों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है हालात ऐसे ही रहे और उठाव में तेजी नहीं लाई गई तो इन धान उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी बंद करने की नौबत आ सकती है।
इन केंद्रों में खरीदी व्यवस्था हो रही प्रभावित
जिले के 14 उपार्जन केंद्रों में 10 हजार क्विंटल से अधिक धान जाम है सभी उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी के लिए जो बफर लिमिट तय की गई है वह पार कर चुका है। उपार्जन केंद्र बार देखे तो सिरमिना, अखरापाली उतरदा ,करतला ,कोरकोमा ,कोरबी (पाली), कोरबी (पोड़ी उपरोड़ा) नवापारा ,बेहरचुआं , बरपाली (कोरबा) बरपाली (बरपाली) भैसमा रामपुर एवं श्यांग शामिल हैं। उतरदा में तो 19 हजार क्विंटल एवं बरपाली एवं कोरबी (पाली) में 15 -15 हजार क्विंटल धान जाम है। उतरदा में पांव रखने की जगह नहीं मिल रही। फिर भी धान खरीदी में अव्वल रहने का गुमान में रहने वाली जिला विपणन अधिकारी इस समस्याओं से बेखबर है।
धान खरीदी से 10 दिन पहले मिली स्वीकृति नए उपार्जन केंद्रों में बिगड़े हालात
सबसे ज्यादा दिक्कत नए उपार्जन केंद्रों में आ रही है धान खरीदी से महज 10 से 15 दिवस पूर्व स्वीकृत किए गए नए उपार्जन केंद्रों में आनन-फानन में धान खरीदी की जा रही है खुले मैदान को धान खरीदी केंद्र बनाया गया है जहां न तो पर्याप्त चबूतरे हैं ना फड़ तक जाने के लिए सुगम मार्ग है नहीं गोदाम है न ही कर्मचारियों के लिए कार्यालय बना है। निरधि एवं बेहरचुआं जैसे धान उपार्जन केंद्रों में तंबू गाड़ कर उपार्जन केंद्र के कर्मचारी धान खरीदी के कार्य कर रहे हैं। निरधि में तो बुधवार को हालात बद से बदतर नजर आए ,खरीदी केंद्र (फड़) तक पहुंचने के लिए सुगम मार्ग भी नहीं है अधिकारियों को भी अपने वाहन को उपार्जन केंद्र के बाहर ही रख कर पैदल उपार्जन केंद्र तक पहुंचना पड़ेगा ।यहां पांव रखने तक की जगह नहीं है 4हजार क्विंटल की लिमिट वाले नए उपार्जन केंद्र में 9हजार क्विंटल से अधिक धान जाम है।
डीएमओ जिम्मेदारी से बच रहीं ,बोलीं कार्यालयीन समय पर ही जबाब दूंगी,खाद्य अधिकारी ने दिया पूरा ब्यौरा

जिले में धान खरीदी अंतिम चरण में है। प्रतिदिन रिकार्ड धान खरीदी के साथ-साथ समय पर उठाव के लिए भी चुनौतियां सामने आ रही हैं। उठाव का कार्य जिला विपणन अधिकारी का है लिहाजा सक्षम अधिकारी इस संबंध में बेहतर जानकारी दे सकती हैं। हसदेव एक्सप्रेस न्यूज़ ने बुधवार को पाली ब्लॉक के उपार्जन केंद्रों का जायजा लेने के बाद उठाव नहीं होने से आ रही दिक्कतों को लेकर डीएमओ सुश्री जानवी जिल्हारे से उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उन्होंने रात 8.30 में कॉल करते ही निरुत्तर जवाब दिया। उन्होंने सीधे रूखे स्वर में कहा कि ये कोई कॉल करने का समय है जबकि उनको पुनः बताया गया कि खरीदी केंद्रों में बफर लिमिट क्रास होने से खरीदी व्यवस्था प्रभावित हो रही है पर मैडम स्कूल के शिक्षक की तरह अपना प्रोटोकॉल तय कर बोलीं कि कार्यालयीन समय में ही कॉल करें। निश्चित रूप से किसी भी सरकारी सेवक को कॉल उठाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता ,पर धान खरीदी जैसे महत्वपूर्ण अभियान के दौरान केवल लिंग के आधार पर इस तरह के प्रोटोकॉल का हवाला देकर मीडिया से बेअतबी से बात करना यह दर्शाता है कि अधिकारी किस तरह अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। कटे फ़टे बारदानों को दबावपूर्वक समिति में भंडारण कराकर पूरा दाम वसूलने वाली मैडम पहले से ही सुर्खियों में हैं। खाद्य अधिकारी जे के सिंह ने गंभीरता से पूरी बात सुन यह स्वीकारा कि मौसम खुलने के बाद धान खरीदी शुरू होने से आवक बढ़ी है। खराब मौसम की वजह से 3300 किसान डेढ़ लाख क्विंटल धान नहीं बेच पाए थे । उनका भी टोकन एक्सटेंड हुआ है लिहाजा दोगुनी भींड़ उमड़ रही। पर खरीदी कहीं बन्द नहीं होगी ऐसी नोबत नहीं आने देंगे। समिति के हमाल ही राईस मिलरों के वाहनों में धान लोड करते हैं वो आवक बढ़ने से अभी लगातार व्यस्त हैं लिहाजा शनिवार रविवार को उठाव के लिए अधिक संख्या में वाहन लग रही।अभी फड़ में किसानों के वाहनों की वजह से मिलरों के वाहन के लिए जगह भी नहीं मिल रही। इस वजह से खरीदी समाप्त होने के बाद फड़ में पर्याप्त जगह मिलने पर गाड़ी लगेगी व एक सप्ताह में धान का पूरा उठाव कर लेंगे।