मध्यान्ह भोजन व्यवस्था में बदलाव , अब चावल के साथ सोयाबीन बड़ी , तेल-आचार नहीं, मिलेंगे पैसे
,कोरोना के चलते स्कूल बंद रहने के दौरान छात्रों को बांटे गए थे सूखा राशन पैकेट

रायपुर। कोरोना संक्रमण के चलते जिन जिलों में स्कूलों में ताले लटक गए हैं, वहां छात्रों को फिर से सूखा राशन वितरित किया जाएगा। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा इस संदर्भ में आदेश जारी कर दिया गया है।

हालांकि छात्रों को सूखा राशन के रूप में सिर्फ चावल का ही वितरण किया जाएगा। मध्यान्ह भोजन के दौरान चावल के साथ मिलने वाली अन्य सामग्री के स्थान पर छात्रों को पैसे दिए जाएंगे। यह राशि छात्रों के खाते में जाएगी। छात्रों के बैंक अकाउंट नहीं होने की स्थिति में पालकों के खाते में यह राशि डाली जाएगी। इसके पूर्व कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी स्कूल बंद कर दिए गए थे। उस दौरान भी छात्रों को एकमुश्त सूखा राशन प्रदान करने कहा गया था। पहली और दूसरी लहर के वक्त छात्रों को चावल, दाल, सोयाबीन बड़ी, तेल व आचार के पैकेट बनाकर बांटे गए थे। इस बार पहली से आठवीं तक के छात्रों को चावल व पैसे दिए जाएंगे।

मिलती है इतनी राशि

प्राथमिक कक्षा अर्थात पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को मध्यान्ह भोजन के लिए 5 रुपए 19 पैसे की राशि मिलती है। वहीं माध्यमिक कक्षा अर्थात छठवीं से आठवीं कक्षा तक के प्रति छात्र 7 रुपए 45 पैसे के हिसाब से राशि प्रदान की जाती है। जिन जिलों में स्कूल बंद हैं वहां के छात्रों को यह राशि प्रदान की जाएगी। प्रतिदिन लागत के आधार पर पूरी राशि एक साथ छात्रों को दी जाएगी। जिन जिलों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट 4 प्रतिशत से कम है और जहां स्कूल खुले हुए हैं, वहां छात्रों को अब भी पका भोजन ही दिया जाएगा।

इसलिए लिया गया फैसला

प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में छात्रों को जो राशन मिलता है उसकी राशि केंद्र द्वारा प्रदान की जाती है। जबकि चावल राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। राज्य सरकार द्वारा चावल की खरीदी पहले ही सोसायटी के जरिए कर ली जाती है। इसलिए राज्य सरकार पैसे प्रदान ना कर चावल ही प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त केंद्र से जो पैसा आता है, उससे खाद्य सामग्री की खरीदी कर छात्रों तक पैकेट बनाकर पहुंचाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। छात्रों के मध्य संक्रमण का खतरा भी इसके चलते बना रहता है। इस कारण केंद्र की राशि से राशन प्रदान करने की जगह सीधे पैसे दिए जा रहे हैं।