अंबिकापुर। सरगुजा जिले के सीतापुर ब्लाक अंतर्गत प्रतापगढ़ धान समिति केंद्र में एक ऐसा मामला सामने आया है। जहां किसान के खाते से धान समिति प्रबंधक और सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक के मैनेजर ने मिलीभगत कर लाखों रुपए का आहरण कर लिया है। जिसकी शिकायत किसान ने सीतापुर थाने में दर्ज कराई है। फिलहाल इस मामले में सीतापुर पुलिस हर पहलू पर जांच कर रही है।
सरगुजा जिले के सीतापुर विकासखंड के ग्राम चिया पारा के रहने वाले किसान ने एक वर्ष पूर्व अपने खाते से धान बेचा था। वही शासन की ओर से धान की राशि किसान के खाते में एक लाख 91 हजार पैंसठ रुपए डाल दिया गया। जिसके बाद किसान रुपये निकालने गया तो बैंक ने उसे 49,000 रुपये दिए। लेकिन जब किसान कुछ महीनो बाद दोबारा बैंक रुपये निकालने गया तो उसे पता चला कि उसके खाते में रुपये ही नहीं है। जिसके बाद पीड़ित किसान सुरेश एक्का मामले की शिकायत करने बैंक पहुंचा। लेकिन जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक के मैनेजर ने जानकारी देने से किसान को मना कर दिया। यही नही बैंक मैनेजर ने पीड़ित किसान को बैंक से भी भगा दिया। थक हार कर किसान ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की।इधर पीड़ित किसान के द्वारा इस साल 400 से अधिक बोरी धान का टोकन कटवाया गया था। लेकिन प्रतापगढ़ धान समिति के प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर की मिलीभगत से किसान मात्र 200 बोरी ही धान बेच सका। जबकि समिति प्रबंधक ने बाकी के बचे धान को किसान से लेने से मना कर दिया। वही हेराफेरी कर धान समिति प्रबंधक ने कोचियों का 203 बोरी धान किसान के खाते खपा दिया। जबकि मामले के सामने आने के बाद इस गड़बड़ी को कंप्यूटर ऑपरेटर ने खुद माना है। वही जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के मैनेजर ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि किसान के पास पासबुक है तो किसान के द्वारा ही रुपये निकाले गए होंगे. वही जिन किसानो को स्टेंटमेंट की जरुरत होती है तो उसे दिया जाता है। भीड़भाड़ होने की वजह से किसानो के पासबुक का इंट्री नहीं किया जाता है। इधर कलेक्टर के संज्ञान में मामला आते ही सीतापुर पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया है। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस मामले की जांच कर रही है। साथ ही इस हेराफेरी के मामले में धान समिति प्रबंधक और बैंक के अधिकारियों से पूछताछ भी की जा रही है। वही मामला सही पाए जाने एक बात पुलिस अपराध दर्ज करने की बात कह रही है। बहरहाल सरगुजा जिले में किसानों से सहकारी समितियों के द्वारा हेराफेरी का यह नया मामला नहीं है। इसके पूर्व भी कई ऐसे मामले आ चुके हैं। जहां किसानों के खातों से बैंक समिति प्रबंधक और धान समिति प्रबंधक मिलीभगत कर लाखों रुपए का गबन किए हैं। जिनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई है। बहरहाल अब देखना होगा कि इस मामले में पीड़ित किसान को कब तक न्याय मिलता है।