2 करोड़ 96 लाख की लागत से तैयार किए गए 149 चबूतरों का कोई पैमाना नहीं,चबूतरे कमीशनखोरी की खुद दे रहे प्रमाण
हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा (भुवनेश्वर महतो ) ।शासन द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर समितियों में खरीदे जाने वाले धान को दीमक ,बारिश,ओले जैसे प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से जिले में तैयार किए गए चबूतरा निर्माण अधिकारियों एवं निर्माण एजेंसियों की कमाई का जरिया बन गया है। जिले के अधिकांश उपार्जन केंद्रों में बिना तकनीकी मापदंड के गुणवत्ताहीन चुबूतरे तैयार कर लाखों रुपए का वारा न्यारा कर दिया गया है । दिसम्बर माह की पहली तारीख से शुरू हो रही धान खरीदी अभियान के दौरान समिति को धान के सुरक्षित रखरखाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा ।

यहाँ बताना होगा कि राज्य शासन द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर आदिवासी सेवा सहकारी समितियों द्वारा धान खरीदी का कार्य किया जाता है । समितियों के माध्यम से उपार्जन केंद्रों में किसानों से खरीदे गए धान को दीमक ,बारिश ,ओले से बचाने व्यवस्थित स्टेकिंग , राईस मिलरों को सुगमतापूर्ण धान परिदान के लिए चुबतरों का निर्माण किया जाता है । जिले में भी इस साल शासन ने 42 समितियों के 49 उपार्जन केंद्रों में व्यवस्थित धान खरीदी के लिए मनरेगा एवं डीएमएफ के अभिसरण से 2 करोड़ 96 लाख 67 हजार 500 रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी है । इसमें मनरेगा मद की 2 करोड़ 53 लाख 30 हजार तो डीएमएफ की 43 लाख 37 हजार 500 रुपए की हिस्सेदारी है । प्रत्येक चबूतरा निर्माण के लिए 2 लाख 29 हजार रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली है । निश्चित तौर शासन प्रशासन की यह पहल अरबों रुपए की धान को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सार्थक कदम है। लेकिन शासन प्रशासन की मंशा को जमीनी स्तर पर निर्माण एजेंसियों ने पानी फेर दिया है । चबूतरा निर्माण की एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया है । लेकिन पंचायतों ने समितियों के उपार्जन केंद्रों में जिस तरह से चबूतरा तैयार किया है वो हैरान करने वाली है । न कोई तकनीकी मापदंड न कोई पैमाना । पँचायत ने अपने स्तर पर तकनीकी मापदंडों से परे गुणवत्ताहीन चबूतरा तैयार किया है । हसदेव एक्सप्रेस की टीम ने जमीनी स्तर पर निर्माण एजेंसियों की इस गड़बड़ी को अपने कैमरे में कैद किया है । करतला ब्लाक के चिकनीपाली,तुमान ,केरवाद्वारी एवं पोंडी उपरोड़ा ब्लाक के पोंडी उपरोड़ा समिति में बेहद ही गुणवत्ताहीन चबूतरे तैयार किए गए हैं । चिकनीपाली में 3 नग चबूतरे तैयार किए गए हैं । कागजों में भले निर्माण पूर्ण हैं और जमीनी हकीकत कुछ और है । चबूतरा निर्माण में इतनी पतली ढालाई की गई है कि किनारों से सरिया झांक रही है । निर्माण कार्य के दौरान सामग्री भी सही ढंग से प्रयुक्त नहीं की गई है । रेत और मुरुम भरकर ढलाई करने का प्रावधान है । लेकिन निर्माण एजेंसी पँचायत ने मिट्टी भरकर ढलाई कर दी है । चबूतरा के किनारे अभी से दरकने लगे हैं । भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां कर रहे हैं । तुमान में 6 नग चबूतरे बनाए गए हैं । उसमें भी इसी तरह की तकनीकी मापदंडों को नजरअंदाज किया गया है । यहाँ तो एजेंसी के कारनामे और भी हैरान करने वाले हैं । कायदे से चबूतरा की ऊंचाई जमीन से कम से कम डेढ़ फीट की होनी चाहिए लेकिन यहाँ तैयार किए गए आधे चबूतरों की ऊंचाई एक फीट भी नहीं है । फड़ में तेज बारिश होने पर चबूतरे में रखे धान की स्टेक तक पानी पहुंच जाएगा। केरवाद्वारी व पोंडी में भी कमोबेश यही हाल है। जिले के अन्य उपार्जन केंद्रों में भी तैयार चबूतरों में किस तरह गुणवत्ता की अनदेखी की गई होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है ।

निगरानी दल नाम मात्र के
चबूतरा निर्माण कार्य की निगरानी और शिकायतों के निराकरण के लिए ब्लाक स्तर पर निगरानी दल गठित की गई है । जिसका काम न केवल निर्माण कार्य की तकनीकी मापदण्डों गुणवत्ता का ख्याल रखना है वरन प्राप्त शिकायतों के आधार पर त्वरित कार्यवाई भी करना है । लेकिन मनरेगा की यह टीम दफ्तर बैठे ड्यूटी बजा रही है ।इस दल में तकनीकी सहायक ,सामाजिक अंकेक्षण की प्रमुख भूमिका होती है । इसके अलावा शिकायतों के निराकरण का कार्य दायित्व लोकपाल के जिम्मे रहता है । लेकिन निश्चित रूप से ये अपनी जिम्मेदारी का निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं कर रहे हैं ।
अधिकारियों को पहुँच गई कमीशन,समिति के कर्मचारी शिकायत से डर रहे
बताया जा रहा है कि जिस तरह चबूतरा निर्माण का कार्य किया गया है । निश्चित रूप से चबूतरा निर्माण में भ्रष्टाचार की बोलती हुई तस्वीर नजर आ रही है । लेकिन इसके बाद नही जिला व ब्लाक स्तर से अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाई नहीं किया जाना इस बात की ओर इशारा करता है इन सब गड़बड़ी में उनकी मौन स्वीकृति है । सूत्रों की मानें तो सभी को उनके उनके हिस्से का कमीशन पहुँचा दिया गया है । समिति के कर्मचारियों को इस गड़बड़ी का अंदाजा निर्माण समयावधि से है पर वे धान खरीदी के दौरान अधिकारियों के कोपभाजन से बचने शांत बैठना ही मुनासिब समझ रहे हैं ।
दुरपा में आएगी दिक्क्त
पुरानी समितियों में दूरपा में सबसे ज्यादा दिक्कत धान के रखरखाव में आ सकती है । यहाँ पुराने चबूतरे नहीं है ,गोदाम भी क्षतिग्रस्त है ,शेड उड़ गए हैं । यहाँ एक भी नग नया चबूतरा नहीं बनाया गया है । जो हैरान करने वाला है । यहाँ इस साल 12 हजार से 15 क्विंटल तक धान खरीदे जाने की संभावना है ।
इसलिए समिति को नहीं बनाई गई एजेंसी
समितियों के कर्मचारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि किसी भी चबूतरे के निर्माण में एक लाख रुपए भी नहीं लगे हैं । बमुशिकल से 40 से 50 हजार की लागत से तैयार कर दिया गया है । लेकिन सभी को चरणबद्ध रूप से कमीशन पहुंचने की वजह से प्रत्येक चबूतरा निर्माण में 2 लाख का व्यय भी पास कर दिया गया है । निर्माण से जुड़े अधिकारियों की मानें तो स्टीमेट भी मनमाने ढंग से बनाया गया है । एक चबूतरे तैयार करने में इतनी लागत नहीं आती ।कुछ वर्ष पूर्व बने चबूतरों की लागत महज 50 हजार रुपए की थी। जिसमें गुणवत्तापूर्ण चबूतरे हुए । जो आज भी सुरक्षित हैं। मामला साफ है सारा कुछ कमीशन के लिए किया गया । कमीशन के ही फेर में समिति को एजेंसी नहीं बनाई गई । जबकि कायदे से इस कार्य की जिम्मेदारी समितियों को दिया जाना चाहिए था। पँचायत ने समिति से सामंजस्य स्थापित किए बिना मनमाने ढंग से चबूतरे बना दिए । कई समितियों में जितनी जरूरत नहीं उतने चबूतरे बनाए गए हैं ।
यहाँ बने हैं चबूतरे
कुल 149 चबूतरे बनाए गए हैं । कुदुरमाल 8,कोरकोमा 4 ,श्यांग 5,बरपाली 8,सोनपुरी 8 ,जवाली 3,अखरापाली 4,सोहागपुर 6 कोथारी 3,उमरेली 5,फरसवानी 4,कनकी 3 ,पठियापाली 2,बरपाली 2,चिकनीपाली 3, तुमान 6 ,करतला 4 ,केरवाद्वारी 15,रामपुर 3 ,नवापारा 10 ,लाफा 2 ,चैतमा 10,हरदीबाजार 4,उतरदा 5,कोरबी 5,पसान 3,जटगा 2,बिंझरा 1,पोंडी उपरोड़ा 1,मोरगा 2,सिरमिना 2,कोरबी 4 एवं पिपरिया में 2 नग चबूतरे बनाए गए हैं ।
वर्जन
जाँच कराएंगे
शिकायत की त्वरित जांच कराएंगे। जांच के बाद जो भी तथ्य पाए जाएंगे जिम्मेदारों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाई करेंगे।
कुंदन कुमार ,सीईओ जिला पंचायत