कोरबा। नगर निगम के विभिन्न विकास कार्य समेत अन्य मदों से कराए गए कार्य की बकाया 40 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं मिलने पर नाराज ठेकेदारों ने लेखापाल कार्यालय में जमकर हंगामा किया और धरने में बैठ गए। लगभग 4 घंटे तक चले घेराव के बाद आयुक्त प्रभाकर पांडेय ने शनिवार को वार्ता कर समस्या निदान का आश्वासन दिया, तब आंदोलन खत्म किया गया।
800 करोड़ रुपये से अधिक का बजट वाले नगर पालिक निगम की हालत इन दिनों डगमगाई हुई है। लगभग एक वर्ष से भुगतान नहीं मिलने से नगर निगम के ठेकेदारों में असंतोष व्याप्त है। पत्राचार के बाद भी अभी तक भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। इससे ठेकेदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। निगम के ठेकेदार कांट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष असलम खान ने बताया कि अधिकारियों के टेबल में कई माह से फाइल पेडिंग पड़ी हुई है, लेकिन ठेकेदारों का भुगतान नहीं हो पाया है। छोटे ठेकेदारों के यहां अपनी पारिवारिक से लेकर कई तरह की निजी समस्याएं हैं और इन समस्याओं के निराकरण में आर्थिक से दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि निगम में पत्राचार के बाद भी समस्या का निदान नहीं किया गया। ठेकेदारों का कहना है कि निगम के अधिकारी और इंजीनियर समस्याओं को समझने की बजाय मध्यस्थता पर जोर देते हैं जबकि वे समस्याओं को भली-भांति जानते हैं और आयुक्त को इससे अवगत करा कर समाधान करा सकते हैं, पर ऐसा नहीं किया जाता है। नाराज ठेकेदारों ने गुरूवार को लेखापाल आनंद गुप्ता कार्यालय में पहुंच कर हंगामा किया और भुगतान कराने की मांग रखी। विवाद बढ़ने पर ठेकेदार कार्यालय में ही धरना देकर बैठ गए। लगभग चार घंटे तक घेराव व प्रदर्शन करने के बाद आखिर आयुक्त प्रभाकर पांडेय की ओर से शनिवार को सुबह 11 बजे साकेत भवन कार्यालय के सभाकक्ष में वार्ता करने का आश्वासन दिया गया, इसके बाद ठेकेदार शांत होकर वापस लौटे।
आयुक्त के समय नहीं देने से बढ़ी नाराजगी
असलम ने बताया कि लेखापाल कार्यालय में घेराव की नौबत नहीं आती, पर आयुक्त के पास वार्ता करने के लिए समय नहीं है। बार- बार पत्राचार कर वार्ता करने का प्रयास किया गया, तो आयुक्त ने पत्राचार का महत्व नहीं देते हुए वार्ता करना मुनासिब नहीं समझा। गुरूवार को हंगामा के दौरान निगम के अधीक्षण यंत्री एमके वर्मा व कार्यपालन अधिकारी आरके माहेश्वरी ने समझाइश देते हुए ठेकेदारों को पांच प्रतिनिधि को आयुक्त से चर्चा करने प्रस्ताव रखा, पर प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया। आयुक्त के चेंबर में कुछ ठेकेदारों ने जाकर दो टूक कह दिया कि सभी ठेकेदारों के साथ एक साथ मुलाकात करनी होगी। आखिरकार आयुक्त को मुलाकात का वक्त देना पड़ा।
आखिर क्यों नहीं हो रहा भुगतान ,कार्यशैली को लेकर चर्चा
विकास कार्य कराने के एक साल बाद भी ठेकेदारों को भुगतान नहीं होने का मामला कोरबा में काफी सुर्खियों में है। नगर निगम के अफसरों की कार्यशैली को लेकर तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त है। सूत्रों की मानें तो सभी कार्य पूर्व आयुक्त के कार्यकाल के हैं ,यही वजह है कि नए आयुक्त भुगतान में संजीदगी नहीं दिखा रहे। वैसे नियमतः सभी विभागीय कार्य हैं कार्य पूरा होने के बाद पद पर बैठे किसी भी अधिकारी को नियमतः भुगतान करना ही होगा। लेकिन नए अधिकारी आने के बाद पुराने कार्यों के भुगतान को लेकर कुछ इसी तरह की परेशानियों से तमाम शासकीय विभागों में ठेकेदारों को चक्कर काटनी पड़ती है। जांच व अन्य औपचारिकता के नाम पर भुगतान टाली जाती है।
इन कार्यों की रूकी राशि एक नजर में
कार्य -राशि
फोरलेन सड़क- 3 करोड़
शारदा विहार तालाब- 70 लाख
पीएम आवास- 18 करोड़
निगम मद- 5 करोड़
अधोसरंचना मद-8 करोड़
पार्षद व एल्डरमेन निधि- 5 करोड़