शहरवासियों को आशियाना बनाने रेत के लिए करनी होगी जद्दोजहद : सर्वेश्वर एनीकट के नीचे रेतघाट के लिए चिन्हित स्थल की एनजीटी से नहीं मिली मंजूरी

कोरबा। निगम क्षेत्र के वार्डों को पाइप से घरों तक पानी पहुंचाने हसदेव नदी पर गेरवाघाट पुल के नीचे सर्वेश्वर एनीकट का निर्माण कराया गया है। इसके बाद से यहां के रेतघाट को बंद कर दिया गया है। वैसे भी पानी के भराव के बाद उत्खनन संभव नहीं था। इसी के मद्देनजर एनीकट के नीचे रेतघाट के लिए स्थल चिन्हित किया गया था, जिसे एनजीटी ने मंजूरी नहीं दी।

शहर समेत उपनगर दर्री में होने वाले भवन निर्माण कार्यों के लिए रेत आपूर्ति गेरवाघाट से ही होती है। शहरवासियों के लिए दूसरा विकल्प सीतामणी स्थित रेतघाट है। गेरवाघाट का रेतघाट एनीकट बनने के बाद से यहां से रेत उत्खनन बंद कर दिया गया है। अगर सीतामणी स्थित रेतघाट की बात करें तो यहां से 356 क्यूबिक मीटर उत्खनन की मिली अनुमति मई में समाप्त हो जाएगी। ऐसे में इस घाट से रेत उत्खनन बंद हुआ तो शहरवासियों को रेत की किल्लत होगी। गेरवा रेतघाट बंद होने के बाद से बिचौलियों ने अवैध उत्खनन कमाई का बड़ा जरिया बना लिया है। बता दें कि गर्मी लगते ही मकान, भवन निर्माण कार्य में तेजी आ जाती है। इसी को देखते हुए रेत माफियाओं की सक्रियता बढ़ गई है। धनगांव, घमोटा जैसे जगहों में जेसीबी से रेत भरकर अवैध ढुुलाई हो रही है। खनिज अफसरों ने बताया कि शहर में दूसरा रेत घाट के लिए गरेवाघाट सर्वेश्वर एनीकट के आगे चिन्हित स्थल को पर्यावरण संरक्षण ने मंजूरी नहीं दी है। अन्य वैकल्पक घाट की तलाश जारी है। रेत के अवैध परिवहन और उत्खनन मामले में कार्रवाई की जा रही है।