आज से खत्म हो जाएगा इस बैंक का वजूद, 7 लोगों ने की थी शुरुआत

विलय नियम के मुताबिक, 27 नवंबर को लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर एक्सचेंज से डीलिस्ट हो जाएंगे. लक्ष्मी विलास बैंक के सभी ब्रांच का नाम बदलकर DBS इंडिया हो जाएगा. 94 साल पुराने लक्ष्मी विलास बैंक का नाम खत्म हो जाएगा और साथ ही इसकी इक्विटी भी पूरी तरह खत्म हो जाएगी. अब इस बैंक का पूरा डिपॉजिट DBS India के पास चला जाएगा. लक्ष्मी विलास बैंक की शुरुआत तमिलनाडु के करूर में कुछ कारोबारियों ने मिलकर की थी. शुरुआत में यह बैंक छोटे बिजनेस को लोन देता था, और फिर धीरे-धीरे बैंक का दायरा बढ़ा. बैंक की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक 7 लोगों ने मिलकर इस बैंक की शुरुआत की थी.

इंडियन कंपनीज एक्ट 1913 के तहत 3 नवंबर 1926 से लक्ष्मी विलास बैंक ने बैंक की तरह काम करना शुरू किया था. उसके बाद 10 नवंबर 1926 को बिजनेस शुरू करने का सर्टिफिकेट मिला था. लक्ष्मी विलास बैंक को 19 जून 1958 को RBI से बैंकिंग लाइसेंस मिला था और 11 अगस्त 1958 को यह शेड्यूल कमर्शियल बैंक बन गया.

पहली बार विदेशी बैंक में विलय का फैसला
यह पहली बार है, जब किसी भारतीय बैंक को डूबने से बचाने के लिए किसी विदेशी बैंक में विलय का फैसला लेना पड़ा है. सरकार के इस फैसले से बैंक के 20 लाख डिपॉजिटर और 4000 कर्मचारियों को राहत मिलेगी. RBI ने लक्ष्मी विलास बैंक को बचाने के लिए DBS इंडिया में विलय का रास्ता चुना. 

बुधवार को विलय के ऐलान के साथ ही लक्ष्मी विलास बैंक के खातों से अधिकतम 25,000 रुपये की रकम निकालने की जो सीमा थी, उसे भी हटा लिया गया. लक्ष्मी विलास बैंक इस साल का दूसरा बैंक है, जिसे RBI ने डूबने से बचाया है. इससे पहले मार्च में RBI ने यस बैंक को डूबने से बचाया था.

डीबीएस बैंक के बारे में 
डीबीएस एशिया का एक प्रमुख वित्तीय सेवा ग्रुप है, जिसकी 18 बाजारों में उपस्थिति है और जिसका मुख्‍यालय सिंगापुर में है. वह सिंगापुर के शेयर बाजार में लिस्टे‍ड भी है. विलय के बाद भी डीबीआईएल का संयुक्‍त बैलेंस शीट सुदृढ़ रहेगा और इसकी शाखाओं की संख्‍या बढ़कर 600 हो जाएगी.

संकट की शुरुआत
पिछले 10 तिमाही से लक्ष्मी विलास बैंक को लगातार घाटा हो रहा था. 30 सितंबर को खत्म तिमाही में टैक्स पेमेंट के बाद नेट लॉस 396.99 करोड़ रुपये का था. करीब 5 साल पहले लक्ष्मी विलास बैंक ने रिटेल, MSME और SME को धड़ल्ले से लोन बांटना शुरू कर दिया था. जिसमें कुछ वापस नहीं आए. जो धीरे-धीरे NPA बन गया, और बैंक संकट में घिरता गया. एक अनुमान के मुताबिक इस बैंक का 3000 से 4000 करोड़ रुपये का कॉरपोरेट लोन बैड लोन है.