साहब हमें कर दो जिंदा, मौत से पहले मार दिए गए लोगों की हैरान करने वाली सच्चाई

मुंगेली – कलेक्ट्रेट में उस वक्त हंगामा मच गया जब अचानक यहां कुछ भूत पहुंच गए। काफी पहले मर चुके यह भूत कलेक्टर से गुहार लगाने लगे कि कलेक्टर कुछ जादू चला कर उन्हें वापस जिंदा कर दे। हैरान करने वाली यह खबर दरअसल सरकारी कामकाज की चुगली करती है । शासन का अधिकार अंतिम पायदान तक पहुंचाने के मकसद से जिस पंचायती राज की शुरुआत की गई थी उसकी हकीकत यह कथित भूत खोल रहे हैं । यह मामला लोरमी विकासखंड के चेचानडीह ग्राम पंचायत का है। शासन की जनहितकारी योजनाओं का लाभ किसे मिलेगा और किसे नहीं इसका फैसला गांव के जनप्रतिनिधि करते हैं। जिनकी साजिश, लालच और आपसी विद्वेष, नतीजों को मनचाहे ढंग से आकार देती है । यह मामला भी उसी से जुड़ा हुआ है। गांव के सात हितग्राहियों ने अपना आवेदन सरपंच को प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए दिया था लेकिन सरपंच ने साजिश करते हुए इन सभी हितग्राहियों को सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित करते हुए इनका नाम ही पंचायत सूची से गायब कर दिया । सरपंच के इस कारनामे से यह सभी बड़ी आसानी से शासन की हितकारी योजनाओं से अपने आप बाहर हो गए।

जब इन्हें बताया गया कि यह तो काफी पहले ही मर चुके हैं तो इनके पैरों तले जमीन खिसक गई। अब इन्हें हर जगह जाकर अपने जीवित होने का प्रमाण देना पड़ रहा है। गांव में यह चलते-फिरते भूत जैसे हैं, जो सरकारी दस्तावेजों में तो मृत है लेकिन असल में यह दिखाई भी पड़ते हैं ,भोजन भी करते हैं ,घूमते हैं, लोगों से मिलते जुलते और बात भी करते हैं लेकिन फिर भी कोई मानने को तैयार नहीं कि ये जीवित है। लाचार होकर सरपंच की करतूत उजागर करने यह सभी कलेक्ट्रेट पहुंचे । यहां उन्होंने स्वयं के जीवित होने की गुहार लगाते हुए कलेक्टर से मांग की कि वे उन्हें वापस जीवित कर दे ताकि उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंच और सचिव की मिलीभगत से भ्रष्टाचार के नए-नए उदाहरण तैयार हो रहे हैं ।कहीं बना बनाया कुंआ चोरी हो जाता है ,तो कहीं मकान । जीवित आदमी मृत घोषित कर दिया जाता है और फिर भी कुछ लोगों को गुमान है कि पंचायती राज में ग्रामीणों को सुविधा हासिल हो रही है । यह मामला नजीर है कि किस तरह गांव में विरोधियों के खिलाफ साजिश की जा रही है । यहां पंच परमेश्वर नहीं यमराज है । जनप्रतिनिधियों द्वारा जिस प्रकार गांव के ही जीवित व्यक्तियों को दस्तावेजों में मृत घोषित कर उनका अधिकार छीना जा रहा है उसकी शिकायत के बाद कलेक्टर इस मामले में क्या कदम उठाएंगे यह देखने वाली बात होगी लेकिन इस घटना ने यह उजागर जरूर कर दिया है कि पंचायती राज के नाम पर किस तरह से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग अपनी मनमानी चला रहे हैं।

यह तो हद ही हो गई जब जीते जी कुछ लोगों को दर-दर जाकर यह बताना पड़ रहा है कि वह मरे नहीं ,जिंदा है। मौत से पहले ही मार दिए गए इस मौत के क्या मायने हैं यह वही समझ सकता है जिसके लिए यह आप बीती है।