रायपुर — केंद्रीय कृषि कानूनों में संशोधन के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रस्तावित विशेष सत्र की फाइल राज्यपाल ने लौटा दी है। सरकार ने 27 और 28 अक्टूबर को दो दिवसीय सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा था। मंगलवार को फाइल लौटाते हुए राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सरकार से पूछा है कि ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि विशेष सत्र बुलाने की जरूरत पड़ गई है।
शाम ढलने से पहले सरकार ने राज्यपाल के सवालों का जवाब देते हुए फाइल फिर से राजभवन भेज दी और बताया है कि केंद्रीय कानूनों से राज्य के किसानों के हितों की रक्षा और आशंकाओं को दूर करने के लिए यह सत्र जरूरी है। इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पूर्ण बहुमत की सरकार को विधानसभा का सत्र बुलाने से राज्यपाल नहीं रोक सकतीं।
सरकार का जवाब – किसानों के हितों की रक्षा और आशंकाओं को दूर करने को बनाना है कानून में संशोधन कृषि व संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि केंद्रीय कृषि कानूनों से छत्तीसगढ़ के किसानों के हित भी प्रभावित होंगे। यह आवश्यक है कि एक दिसंबर को धान खरीदी शुरू होने से पहले विधानसभा के माध्यम से नया कानून बनाया जाए। मंत्री चौबे ने कहा है कि शीतकालीन सत्र दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ही होगा। विशेष सत्र जरूरी है ताकि छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में आवश्यक संशोधन किया जा सके। विधि विशेषज्ञों के अनुसार, विधानसभा का सत्र बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के पास है। वे जब चाहे सत्र बुला सकते हैं।
इस बीच नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि सत्र बुलाए जाने पर विपक्ष को कोई आपत्ति नहीं है। जरूरत है कि 15 दिन का विशेष सत्र हो। ड्रग्स मामले के तार नाइजीरिया तक जुड़ गए हैं। प्रदेश में दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं और किसान आत्महत्या कर रहे हैं। सरकार को सभी विषयों पर विस्तार से चर्चा करनी चाहिए।