हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । ईश्वर के शरण में चले जाने पर श्रापित जीव जंतु भी पूज्यनीय बन जाते हैं। जिस तरह श्रापित चंद्रमा एवं श्रापित सर्प भगवान शिव के द्वारा धारण किए जाने पर पूजनीय हो गए।
आज हम सभी कलयुगवासियों को इनका अनुसरण करना चाहिए।

उक्त बातें नागिन झोरखी दीपका में
तिलकेजा से पधारे प्रसिद्ध कथावाचक पंडित नूतन पांडेय ने एसईसीएल कर्मी झाड़ूराम कश्यप के द्वारा अपने माताश्री रामायण देवी कश्यप के वार्षिक श्राद्ध के अवसर पर आयोजित श्री मद भागवत कथा सप्ताह के छठवें दिन गुरुवार को श्रोताओं से परीक्षित मोक्ष कथा प्रसंग के दौरान कही। संगीतमय श्रीमद भागवत कथा सप्ताह में छठवें दिन परीक्षित मोक्ष कथा विश्राम ,कलयुगी जीवों का वर्णन ,सुखदेव जी की स्तुति ,भागवत का कथा सार, दत्तात्रेय जी के 24 गुरुओं का वर्णन कथा समापन एवं चढ़ोत्तरी की गई ।जिसमें स्वजनों सहित नगरवासियों ने नाचते गाते झूमते कथा अमृत गंगा का रसपान किया। नागिन झोरखी में इन दिनों कथा अमृत गंगा प्रवाहित हो रही। प्रतिदिन कथा में झाड़ूराम कश्यप अपनी धर्मपत्नी श्रीमति बसंती कश्यप के साथ विधि विधान से पूजा अर्चना संपन्न करा रहे। परिवार के समस्त बहु बेटियां रिश्ते नातेदार भी इस पावन कथा अमृत गंगा का रसपान कर पुण्य के भागीदार बन रहे।गौरतलब हो कि अपने 88 वर्ष के जीवनकाल में श्रीमती रामायण देवी ने मानव सेवा का अनूठा उदाहरण समाज में प्रस्तुत किया था। 18 वर्ष की अल्पआयु में नेत्रहीन होकर ससुराल से त्यागी जा चुकीं अपनी नन्दन को अपने साथ रख मृत्युपर्यंत (जीवनभर) सेवा कर मिसाल पेश की थीं। क्रोध पर जीवन में हमेशा नियंत्रण रखने वालीं रामायण देवी का गत वर्ष दीपका में निधन हो गया। जिनके आत्मा की मुक्ति के मार्ग के लिए पुत्र झाड़ूराम कश्यप श्रीमद भागवत कथा सप्ताह आयोजित कर रहे।


