अपने धर्म , देश पर कुर्बान हो जाए ऐसी संतान जिसके घर में आती है वो पीढ़ियां तर जाती हैं – आचार्य देवकीनंदन ठाकुर , संगीतमय श्री मदभागवत कथा सप्ताह में उमड़ रहा श्रोताओं का सैलाब

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज अंबिकापुर । चाहे आपका बच्चा ना पढ़ सके इंग्लिश, ना बन सके डॉक्टर, इंजिनियर लेकिन आपका बच्चा सच्चा मानव ज़रुर बनना चाहिए, परमात्मा को प्रिय लगे ऐसा मानव ज़रुर बने। याद रखना कि इस देश को पृथ्वी के बोझों की ज़रुरत नहीं है, इस देश को या तो राम भक्त हो या देश भक्त हो ऐसे बच्चों की परम आवश्यकता है। या तो अपने धर्म पर कुर्बान हो जाए या अपने देश पर कुर्बान हो जाए ऐसी संतान जिसके घर में आती है वो पीढ़ियां तर जाती है, उस मां का कोख धन्य हो जाता है।उक्त बातें वृंदावन से पधारे देश के प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य श्री देवकीनंदन ठाकुर ने अम्बिकापुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह के तीसरे दिन आयोजित कथा प्रसंग के दौरान कही।

श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस की शुरुआत विश्व शांति प्रार्थना के साथ की गई। जिसके बाद पूज्य महाराज श्री ने पधारे सभी प्रभू प्रेमियों को – “मेरा तार प्रभू संग जोड़े ऐसा कोई संत मिले” भजन श्रवण कराया।कथा के तृतीय दिवस की शुरुआत में अजय अग्रवाल (सभापति नगर निगम) पंडाल में पहुंचें एवं आरती में शामिल हुए और उन्होंने पूज्य महराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया।

आज के बच्चे ,लड़का हिरोईन तो लड़की हीरो का जाप कर रहीं ,ईश्वर का जाप होना चाहिए

ठाकुर जी ने विशेष तौर से बच्चों का मार्गदर्शन करने का प्रयास किया। यह बात तो हम सभी जानते हैं कि आज की पीढ़ी के बालक किस व्यवहार के हैं और उनका भक्ति के अलावा बाकी के कार्यों में मन लगता है। ऐसे ही बच्चों के लिए पूज्य महाराज श्री ने आगे कहा- आज के समय के बच्चे क्या जाप करते हैं? यदि लड़का है तो हिरोइन का जाप कर रहा है और लड़की है तो हीरो का जाप कर रही है। अगर ये दोनों नहीं तो पैसे का जाप चल रहा है। लेकिन ईश्वर का जाप होना चाहिए। मनुष्य को किसका त्याग करना चाहिए, वो यह भी नहीं जानता। छोड़ने योग्य – काम, क्रोध, ईर्ष्या, मोह लेकिन मनुष्य इसे कभी नहीं छोड़ता। जो छोड़ने के योग्य नहीं है वो है भगवान की कथा , जिसे मनुष्य जब मन चाहे आसानी से छोड़ देता है।

कथा हमें जीवन जीना सिखाती है

पूज्य महाराज श्री देवकी नंदन ठाकुर ने कथा प्रसंग के दौरान कहा की कथा हमें जीवन जीना सिखाती है और जीना बचपन से ही सीखना चाहिए। क्योंकि पूरी जिंदगी जीना है। जब आपको बचपन में पता चल जाए कि आपको कैसे जीना है तो आपकी जवानी खराब नहीं होगी और जिसकी जवानी खराब नहीं होती उसकी जिंदगानी खराब नहीं होती। कथा के आगे के क्रम में ठाकुर जी ने ध्रुव चरित्र एवं स्वर्ग नरक के बारे में विस्तार से बताया कि मनुष्य को कौन से कर्म करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और किस बुरे कर्म को करने से कौन सी नरक में यातनाएं भोगनी पड़ती है। और कथा के अंत में बामन अवतार के दर्शन के साथ कथा की संध्या आरती की गई।