कलेक्टर ,एसपी के जाते ही ,नक्सली आ धमके ,आधा घण्टा चलाना सीखा ,फिर ले उड़े नगर सेना की इकलौती रबर बोट

बीजापुर। नक्सलियों ने नगर सेना के मोटर रबर बोट को पिछले दो दिनों से अपने कब्जे में रखा है। जिसे उस परि घाट के इर्द-गिर्द इंद्रावती नदी के किसी दूसरे तट पर रखे जाने की खबर है। नक्सलियों ने इस घटना को तब अंजाम दिया था जब विधायक, कलेक्टर और एसपी दौरा कर वापस लौट चुके थे।

दरअसल, यहां 39 आदिवासियों की मौत के दावे की पड़ताल करने और ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए टीम गई हुई है। इनके लिए प्रशासन की ओर से नदी पार करने के लिए बोट की व्यवस्था की गई थी। जिसे नक्सलियों ने अपने कब्जे में ले लिया है. बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने पहले करीब आधे घंटे तक बोट चलाकर देखा, फिर उसे ले भागे।

नगर सेना के पास थी इकलौती रबर बोट

घटना के बाद से जिले में नगर सेना के पास विकल्प के रूप में कोई दूसरी रबर बोट नहीं है। प्लाटून कमांडर निर्मल साहू का कहना है कि नक्सलियों ने जिस नाव को अपने कब्जे में रखा है उसमें 10 लोग बैठ सकते हैं। 2020 में नगर सेना मुख्यालय से जिले को ये नाव मिली थी। तब 2020 में ही इसका इस्तेमाल बाढ़ आपदा के समय किया गया था। इस साल भी जून से अगस्त के बीच भैरमगढ़ इलाके में आई बाढ़ के बीच सर्वाधिक रेस्क्यू ऑपरेशन में इसी नाव का इस्तेमाल हुआ है।

नक्सलियों ने ग्रामीणों को बैरंग लौटाया

प्लाटून कमांडर ने बताया कि बोट में 40HP का इंजन लगा हुआ है। ये मिट्टी तेल या पेट्रोल दोनों से चल सकती है। फिलहाल इस समय नगर सेना केवल एक HDPE BOAT (रेस्क्यू बोट) के भरोसे है। इधर खबर ये भी है कि बोट को दोबारा हासिल करने के लिए कुछ ग्रामीणों की मदद ली गई थी, लेकिन नक्सलियों ने उन्हें बैरंग लौटा दिया। हालांकि अधिकृत रूप से इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।

2013 में नक्सलियों ने डुबोई थी नाव

दक्षिण बस्तर में बोट हाइजैक की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले 2013 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नक्सलियों ने बारसूर इलाके में मतदाताओं के लिए प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई गई दो दुरुस्त नाव और ग्रामीणों की डोंगियों को मिलाकर लगभग 6 नावों को इंद्रावती में डुबो दिया था। ताकि नदी पार बसे गांवो के ग्रामीण मतदान ना कर सकें।