हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। आदिवासी बाहुल्य औद्योगिक जिला कोरबा में डीएमएफ सहित अन्य हितलाभ इस कदर कर्मचारियों के सिर चढ़कर बोल रहा है कि सामान्य प्रशासन विभाग के स्थानातंरण आदेशों की धज्जियां उड़ गई। आदिवासी विकास विभाग ,शिक्षा विभाग सहित राजस्व विभाग में तबादले के पखवाड़े भर बाद (14 अक्टूबर को खबर लिखे जाने तक)भी कर्मचारी जमे हुए हैं।इन कर्मचारियों को विभागीय अधिकारी क्यों रिलीव नहीं कर रहे यह सवाल प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है।

यहां बताना होगा कि सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डीडी सिंह ने हाल ही में समस्त भारसाधक सचिव छत्तीसगढ़ शासन एवं समस्त कलेक्टरों को स्थानातंरण आदेश का क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कई जिलों में स्थानांतरित अधिकारी कर्मचारियों को भारमुक्त नहीं किए जाने पर नाराजगी जाहिर कर कलेक्टर कांफ्रेंस से पूर्व 6 अक्टूबर तक आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कर अवगत कराने की बात कही थी। शासन के नियमानुसार स्थानातंरण तिथि से 15 दिवस के भीतर भारमुक्त करने का प्रावधान है ऐसा नहीं करने पर सम्बंधित अधिकारी कर्मचारी स्वमेव भारमुक्त माने जाते हैं। लेकिन कोरबा में अफसरों के माया के आगे उल्टी ही गंगा बह रही।





बात करें शिक्षा विभाग की तो डीएमएफ सूचना का अधिकार सहित कई महत्वपूर्ण शाखाओं को अपने कब्जे में लेकर अपनी कार्यशैली को लेकर बेहद चर्चित रहे डीएमसी एस के अम्बष्ट की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मूल पद प्राचार्य शा उमावि गोदईया जिला बिलासपुर के पद पर कार्य करने 30 सितम्बर को आदेश जारी किया जा चुका है। उसी दिन करोड़ों रुपए के नियम विरुद्ध टेंडर डीएमएफ से करोड़ों के गुणवत्ताहीन सामग्रियों की खरीदी को लेकर सुर्खियों में रही आदिवासी विकास विभाग के लिपिक अमन कुमार राम सहायक ग्रेड -3 का पाली स्थानातंरण कर दिया गया था। ये भी आज पर्यन्त भारमुक्त नहीं किए गए। जबकि उसी विभाग में सहायक ग्रेड -2 अरुण दुबे का स्थानांतरण गौरेला -पेंड्रा मरवाही जिले के लिए उसी दिन किया गया था। श्री दुबे को तत्काल रिलीव कर दिया गया। पर अमन राम के लिए अफसरों की ऐसी कृपा बरसी की निर्धारित मियाद ,पखवाड़े बीत गए लिपिक रिलीव नहीं किये गए। इस लिस्ट में राजस्व विभाग के चर्चित आरआई का भी नाम है । जी हाँ दर्री तहसील में सालों से पदस्थ अश्वनी राठौर भी आज पर्यन्त रिलीव नहीं किए गए। उनका स्थानातंरण कलेक्टर भू -अभिलेख शाखा बस्तर किया गया है। बहरहाल कोरबा की मिट्टी से अलग नहीं होने के अफसरों से लेकर कर्मचारियों के लगाव (प्रेम)को लेकर तरह तरह के मायने निकाले जा रहे।जिसका जवाब आने वाले वक्त में अफसरों को देना होगा।