रायपुर। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ईडी की छत्तीसगढ़ में ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है।
मनी लॉन्ड्रिंग और कोल के अवैध लेन-देन के मामले में अफसर और कारोबारियों की धरपकड़ और पूछताछ जारी है। इस बीच हैरान करने वाला एक और कांड खुला है। प्रदेश में जारी छापेमार कार्रवाई और गिरफ्तारियों से कई कारोबारी और अफसर घबराए हुए हैं। ईडी से बचने के पैंतरे आजमा रहे हैं। इसी का फायदा उठाने का प्रयास एक ठग ने किया है।
ईडी मामले में फंसे एक आरोपी के परिजनों से इस ठग ने कह दिया कि प्रवर्तन निदेशालय में मेरी पहचान के अफसर हैं, सबसे मेरी सेटिंग है, 20 लाख दो और तुम्हारा नाम केस से हटवा दूंगा। खबर है कि जांच में फंसे शख्स के परिजनों ने रुपए दे भी दिए। मगर काम नहीं हो सका तो मामला खुला। इसे व्यक्ति को मुंबई से पकड़ा गया है। इसे रायपुर लाया जा रहा है।
शुक्रवार शाम को इसे कोर्ट में पेश किया जा सकता है। ईडी इसे स्थानीय पुलिस को सौंप सकती है कोर्ट के निर्देश के बाद। फिल्हाल इसके नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
सौम्या चौरसिया की बेल हो चुकी है खारिज
27 जनवरी यानी की शुक्रवार को ईडी की जांच में आरोपी बनाई गईं प्रदेश की उप सचिव सौम्या चौरसिया की रिमांड पूरी हो रही है। अंदेशा है कि आज भी सौम्या सेंट्रल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगीं। पिछले सप्ताह इनकी जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। निलंबित राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया की कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी। ED ने जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि वह प्रभावशील महिला हैं, उन्हें जमानत मिलने से जांच प्रभावित होगी। बचाव पक्ष की ओर से सौम्या के लिए कहा गया था कि जिन धाराओं में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह केस उन पर बनता ही नहीं है। ईडी की तलाशी में सौम्या चौरसिया के यहां से कोई आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद नहीं हुई है। कोल परिवहन मामले से उनका कोई लिंक भी नहीं है। मनी लांड्रिंग केस में एक महिला को इतने अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनकी देखभाल प्रभावित हो रही है।
11 अक्टूबर से चल रही है कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय ने 11 अक्टूबर को प्रदेश के कई अफसरों और कारोबारियों के 75 ठिकानों पर छापा मारा था। प्रारंभिक जांच और पूछताछ के बाद 13 अक्टूबर को इस मामले में छत्तीसगढ़ इंफोटेक प्रमोशन सोसाइटी-चिप्स के तत्कालीन सीईओ समीर विश्नोई, कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल और वकील-कारोबारी लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया था। उनको 14 दिन की रिमांड में पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया। 29 अक्टूबर को इस मामले में एक अन्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने अदालत में समर्पण कर दिया। 10 दिन की पूछताछ के बाद सूर्यकांत को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। तबसे चारों आरोपी जेल में बंद हैं। उनमें से दो के जमानत आवेदन कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है।
ED अटैच कर चुकी है आरोपियों की संपत्ति
ED ने आरोपियों से जुड़ी संपत्तियां अटैच कर ली हैं।अटैच की गई इन संपत्तियों में से सबसे अधिक 65 संपत्तियां कारोबारी सूर्यकांत तिवारी से जुड़ी हुई हैं। सौम्या चौरसिया से जुड़ी 21 संपत्तियां और निलंबित IAS समीर विश्नोई से जुड़ी पांच संपत्तियां भी अटैच की गई हैं। शेष संपत्तियां सुनील अग्रवाल और लक्ष्मीकांत तिवारी से जुड़ी हुई हैं। इन संपत्तियों में कैश, आभूषण, फ्लैट, कोलवाशरी और भूखंड शामिल हैं।