छत्तीसगढ़ के इस जिले में पेशा एक्ट का उल्लंघन कर उद्योगपतियों को संरक्षण देने का आरोप,ग्राम सभा की अनुमति बिना जमीन नहीं देने 110 किमी पदयात्रा कर राष्ट्रपति ,राज्यपाल के नाम आक्रोशित ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन …जानें मामला

रायगढ़ । औद्योगिक प्रदूषण की मार झेल रहे तमनार से 110 किलोमीटर की पदयात्रा कर रायगढ़ पहुंचे ग्रामीणों ने भू-अर्जन के खिलाफ कलेक्ट्रेट के सामने जमकर हुंकार भरी। पेशा कानून लागू होने का हवाला देते हुए ग्रामीणों ने ग्राम सभा के प्रस्ताव के बगैर जमीन देने से साफ इंकार कर दिया है। वहीं, उन्होंने राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्य न्यायधीश के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

गुरुवार दोपहर कलेक्ट्रेट गेट के सामने बेरिकेड्स लगाते हुए पुलिस की चाक चौकस व्यवस्था रही। दरअसल औद्योगिक भू-अर्जन, बढ़ते प्रदुषण और अंधाधुंध पेड़ कटाई के विरोध में तमनार थाना क्षेत्र के शताधिक महिला-पुरूष 3 रोज तक पैदल चलते हुए गुरुवार को रायगढ़ आए और कलेक्ट्रेट का घेराव कर दिया।
तमनार से 110 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर जिला मुख्यालय पहुंचे गारे- पेलमा और डोलेसरा सहित 82 पंचायतों के ग्रामीणों का आरोप है कि एसईसीएल हो या निजी कम्पनियां अपनी निजी स्वार्थ के लिये अनगिनत पेड़ों की बलि चढ़ा रहे हैं, लिहाजा क्षेत्रवासियों को प्रदूषण की मार के कारण कई प्रकार की बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है। ग्रामीणों के पक्ष में आवाज बुलंद करने वाले जनचेतना मंच के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी और सविता रथ का कहना था कि पेशा कानून लागू होने के बाद भी जिला प्रशासन ऐसे उद्योगों का शरण दे रही है जो पर्यावरण सन्तुलन का रत्तीभर भी ख्याल नहीं रखते। यही नहीं, उन्होंने पेशा कानून लागू होने का हवाला देते हुए यह भी कहा कि नियमानुसार ग्राम सभा की अनुमति के बगैर भू-अर्जन कतई नहीं किया जा सकता।

ग्रामसभा की अनुमति के बिना हो रहा भूअर्जन

इसके बाद भी निजी कम्पनियां और कोयला खदान के लिये ग्राम सभा की अनुमति के बिना भू-अर्जन कर रही है। इन तमाम मुददों को लेकर हाथ में तिरंगा थामे काफी संख्या में ग्रामीणों ने राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए न्याय की गुहार भी लगाई। वहीं, तमनार से पदयात्रा कर आए ग्रामीणों ने बताया कि उनके साथ न विधायक है और न ही कोई सांसद।ऐसे में अगर उनकी मांगों को नजर अंदाज किया जाता है तो वे आगामी विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करते हुए अपनी भड़ास निकालेंगे, क्योंकि वोट देकर जनप्रतिनिधि चुनने के बाद भी उनको अपने हक के लिए लड़ाई जो लड़नी पड़ रही है। उन्होंने एसईसीएल पर अपना भड़ास उतारते हुए यह भी कहा कि 2010 में ग्रामसभा से अनुमति नहीं लेने के बावजूद एसईसीएल ने ग्रामीणों की भूमि का जिस तरह अर्जन किया वह पूरी तरह गैर कानूनी है, इसलिए उसे रद्द किया जाए।