पौष माह को ही खरमास कहा जाता है। 15 दिसंबर को सूर्य देव के धनु में संक्रांति करने से खरमास का महीना आरंभ हो जाएगा। मकर संक्रांति के दिन से खरमास समाप्त हो जाता है। इस समय सूर्य का तेज कुछ कम हो जाता है। मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य फिर से तेजमय हो जाता है। सूर्य के धनु में संक्रांति करने के दिन को धनु संक्रांति कहते हैं इस दिन लोग सत्यनारायण की कथा करवाते हैं, सूर्य को अर्घ्य देते हैं। खरमास प्रतिवर्ष आता है। खरमास आरंभ होते ही मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं जो पूरे एक माह तक बंद रहते हैं। इसलिए खरमास आरंभ होने से पहले ही सारे कार्य पूरे कर लेने चाहिए। तो चलिए जानते हैं खरमास में क्या करें क्या न करें।
जानिए खरमास में क्या करना रहता है सही
- खरमास में सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।
- प्रातः और संध्या वंदन करके भगवान का स्मरण करना चाहिए।
- इस माह में सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करके उनकी उपासना करनी चाहिए।
- खरमास में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए।
- खरमास में ब्राह्मणों, गायों और गुरू की सेवा करनी चाहिए।
- खरमास के दौरान ब्रह्मचार्य का पालन करना चाहिए।
खरमास में क्या नहीं करना चाहिए।
- खरमास के दौरान विवाह, नए घर में प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।
- खरमास में मांस, शहद, चावल का मांड, चौलाई, उड़द, प्याज, लहसुन, नागरमोथा, गाजर, मूली, राई, किसी भी प्रकार की नशे की चीजें, दाल, तिल का तेल और दूषित अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
- खरमास में पलंग आदि पर नहीं सोना चाहिए, भूमि शयन करना ही उचित माना जाता है।
- खरमास में किसी के लिए अपशब्द नहीं कहना चाहिए, न ही किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए।
- इस समय सामन्य बर्तनों का प्रयोग न करके पत्तल में भोजन करना चाहिए।