कोरबा में वर्किंग वूमेन हॉस्टल के संचालन के लिए मंगाए गए अभिरुचि में नहीं दिखी रुचि ,नहीं आए एक भी दावेदार ,शिक्षा विभाग द्वारा डीएमएफ से 94 लाख की फर्नीचर आपूर्ति पर उठ रहे सवाल

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। जिले के निजी व सरकारी संस्थानों में कार्यरत महिलाओं को शहर में किराए पर हास्टल सुविधा मुहैया कराने के लिए सुभाष चौक के निकट फल उद्यान के पीछे जिला खनिज संस्थान न्यास मद से 9.11 करोड़ की लागत से तैयार किया गया वर्किंग वूमेन हॉस्टल भवन के संचालन के लिए अभी और इतंजार करना पड़ेगा । होगा ।कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा छात्रावास संचालन के लिए 17 मार्च तक अभिरुचि का प्रस्ताव आमंत्रित किया गया था। जिसमें एक भी संस्थानों ने रुचि नहीं दिखाई। लिहाजा अब आमंत्रित अभिरुचि के प्रस्ताव की मियाद आगे बढ़ानी पड़ेगी। एक तरफ संचालन को लेकर तमाम दिक्कतें बनी हुई है दूसरी तरफ वर्किंग वूमेन हॉस्टल के लिए शिक्षा विभाग के माध्यम से डीएमएफ मद से 94 लाख की फर्नीचर की आपूर्ति सुर्खियां बटोर रही।

जिले में बढ़ते औद्योगिकीकरण के लिहाज से महानगरीय तर्ज पर कामकामी महिलाओं के लिए आवसीय हास्टल की सुविधा महसूस की जा रही थी । जिसे देखते हुए
तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के कार्यकाल में जिला खनिज संस्थान न्यास मद से वित्तीय वर्ष 2018 -19 में कामकाजी महिला छात्रावास भवन (वर्किंग वूमेन हॉस्टल) निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। सुभाष चौक के निकट फल उद्यान के पीछे स्थित भू -भाग में भवन तैयार करने क्रियान्वयन एजेंसी नगर पालिक निगम कोरबा के अनुबंधित फर्म मेसर्स विजय कुमार अग्रवाल को 9 करोड़ 11 लाख 12 हजार रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि 4 साल बाद भी ऑन रिकार्ड भी यह भवन पूर्ण नहीं हो सका था । जिसका प्रमाण बाहर लगाए गए साइन बोर्ड है । जिसमें कार्य पूर्णता दिनांक -का कॉलम तारीख का इंतजार कर रहा था । नगर निगम द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग को भवन हैंडओवर किए जाने की बात कही जा रही थी ,वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की मानें तो निरीक्षण के बाद हास्टल कैंपस में बचे छोटे-मोटे कामों को भी जल्द पूरा करने के निर्देश के साथ साफ सफाई कराई जा रही थी । जिसे लेकर 12 फरवरी को हसदेव एक्सप्रेस ने प्रमुखता से समाचार प्रकाशन कर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था। खबर प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन सहित सम्बंधित विभाग हरकत में आया ।

25 फरवरी को कामकाजी महिलाओं के लिए निर्मित सखी निवास छात्रावास के संचालन के लिए अभिरूचि का प्रस्ताव आमंत्रित किया गया।छात्रावास संचालन के लिए अभिरूचि का प्रस्ताव इच्छुक एनजीओ, महिला स्वसहायता समूह या पंजीकृत महिला संगठनों से 20 मार्च की दोपहर 03 बजे तक आमंत्रित किया गया था । प्रस्ताव स्पीड पोस्ट, रजिस्टर पोस्ट या व्यक्तिगत माध्यम से कार्यालय जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग कलेक्टोरेट परिसर कोरबा के पते पर मंगाए गए थे । अभिरूचि का प्रस्ताव आवेदन का प्रारूप कोरबा जिले के वेबसाइट पर अपलोड किया गया था । अभिरूचि हेतु प्रस्तावित कार्य विवरण, अभिरूचि प्रस्ताव एवं शर्तें जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विभाग कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत कर प्रति आवेदन 500 रूपए शुल्क सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण मद में चालान जमा कर आवेदन प्राप्त किया जा सकता था। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग में 20 मार्च को दोपहर 03 बजे तक प्राप्त आवेदनों का मुहर बंद लिफाफा 20 मार्च को शाम साढ़े 4 बजे खोली जाना था। लेकिन औद्योगिक जिला कोरबा के लिए यह अत्यंत निराशाजनक बातें रही कि तय मियाद में सखी निवास छात्रावास के संचालन के के लिए एक भी फर्मों ने रुचि नहीं दिखाई । लिहाजा अआमंत्रित अभिरुचि के प्रस्ताव की मियाद आगे बढ़ानी पड़ेगी।

शिक्षा विभाग से 94 लाख की फर्नीचर आपूर्ति सवालों के घेरे में

एक तरफ जहां सखी निवास छात्रावास संचालन के लिए दावेदार आगे नहीं आ रहे वहीं दूसरी ओर जिला खनिज संस्थान न्यास से मनमाने दर पर सामग्रियों की खरीदी कर करोड़ों रुपए के बंदरबाट करने की बात सामने आ रही। शिक्षा विभाग के माध्यम से महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित किए जाने वाले सखी निवास छात्रावास भवन में करोड़ों रुपए की फर्नीचर सामाग्री की आपूर्ति की गई है। इनमें आफिस आलमारी हेबी ,ऑफिस टेबल ,स्टेडी टेबल ,ऑफिस चेयर ,स्टेडी चेयर ,ऑफिस चेयर ,छोटा पलंग (6×3 ),बड़ा पलंग ( 6 ×6 .1 /2 ),साईड टेबल ,गद्दा (6 × 3 )गद्दा (6 × 6. 1 /2) ,ड्रेसिंग टेबल ,सोफा सेट ( 3 +1.1. )
डायनिंग सेट (6 +1 ) ,( 4 + 1) ,सेंटर टेबल (लकड़ी एवं कांच ),लकड़ी की आलमारी 6 × 3 ,स्टील आलमारी ( ग्लास ) सहित अन्य शामिल हैं। फर्निशिंग सामाग्री ,पर्दा एवं अन्य सामाग्री ,टी वी फ्रीज एवं मॉनिटर सामग्री आपूर्ति किए जाने की बात सामने आ रही।करीब 94 लाख की ही फर्नीचर सामाग्री की आपूर्ति किए जाने का दावा किया जा रहा है। शिक्षा विभाग ने बाकायदा भुगतान के लिए चेक भी तैयार कर लिया है। सामग्रियों की गणना कर सत्यापन रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास विभाग से मांगा गया है । जो जल्द ही प्रदाय कर दी जाएगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या डीएमएफ से फर्नीचर के लिए इतनी बड़ी राशि व्यय किए जाने की दरकार थी।क्योंकि जगदलपुर के इन्द्रावती वर्किंग वूमेन हॉस्टल में करीब 40 लाख रुपए में उपरोक्त सभी सामग्री की खरीदी कर ली गई है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो यहाँ भी बाजार दर से कहीं अधिक दर में गुणवत्ता को हाशिए पर रख अनावश्यक सामाग्रियों की खरीदी कर राशि का अपव्यय किया गया है।ऐसी क्यापरिस्थितियां बन गई कि निगम द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालन के लिए बनाए गए वर्किंग वूमेन हॉस्टल में शिक्षा विभाग के माध्यम से डीएमएफ से इतनी बड़ी राशि व्यय कर फर्नीचर की खरीदी करनी पड़ी। क्रय से जुड़े समस्त टेंडर प्रक्रिया ,क्रय प्रक्रिया ,क्रय आदेश ,कोटेशन ,बिल वहाउचर्स ,मांग पत्र ,प्रस्ताव का परीक्षण कर सामग्रियों का गुणवत्ता परीक्षण करते हुए भौतिक सत्यापन किए जाने की दरकार है।ताकि जिले के विकास के लिए प्राप्त धनराशि का अपव्यय न हो ।