शौचालय एक ऐसी सुविधा है जो मानव के मल एवं मूत्र के समुचित व्यवस्था के लिये प्रयोग किया जाता है। शौचालय शब्द का प्रयोग उस कक्ष के लिये किया जा सकता है जिसमें मल-मूत्र विसर्जन कराने वाली युक्ति लगी होती है; या यह उस युक्ति के लिये भी प्रयुक्त होता है।
आज के समय में भारत में एक बड़ी समस्या है खेतों में टॉयलेट जाने की. और कभी कभी ये सुन के मेरे दिल में ख्याल आता है की राजा महाराजाओ के समय में कौन से टॉयलेट हुआ करते थे. तो इस बात की पुष्टि करने के लिए मैंने इंटरनेट पर थोड़ी सी रिसर्च की. तो जो मेरे हाथ लगा आज में वो तसवीरें आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ. इन्हें देखकने के बाद आपको भी समझ में आ जायेगा की राजा महाराजाओ के समय में भी टॉयलेट हुआ करते थे.
ये सभी टॉयलेट जो आपके सामने में आज ले कर आया हूँ ये पुरातत्व बिभाग को खुदाई में मिले है. जिसका सीधा अर्थ होता है की ये सभी टॉयलेट्स पुराने समय में इस्तेमाल किये जाते थे.
पुराने समय में चाहे टॉयलेट आज के समय के मॉडर्न टॉयलेट जैसे नहीं होते हो . लेकिन इन तस्वीरों से साफ़ जाहिर होता है की उस समय भी टॉयलेट हुआ करते थे.
इन सभी टॉयलेट की शेप और अकार तो अलग अलग है लेकिन इन सभी का पर्पस तो एक ही है.
अभी वैसे तो ये टॉयलेट आपको बाहर दिख रहे होंगे. पर दोस्तों आपको मैं बता देना चाहता हूँ की ये टॉयलेट उस समय अंदर ही हुआ करते थे. पर ये खुदाई में उन महलों में मिले है जो की तहस नहस हो चुके है.
ये सभी टॉयलेट आज के आधुनिक टॉयलेट्स से बिलकुल अलग दीखते है. क्युकी ये सभी अलग अलग जगहो में पाए गए है. इसलिए इन सभी के शेप एक जैसी नहीं है.
हम 2020 में भी टॉयलेट के लिए लड़ रहे है ताकि भारत में हर घर में टॉयलेट हो. लेकिन आज से हज़ारों साल पहले भी टॉयलेट हुआ करते थे इस बात की पुष्टि तो सिंधु घाटी की खुदाई से भी हुई है.
जैसे आज के समय में पब्लिक टॉयलेट होते है इन्हें देखकर तो ऐसा लग रहा है जैसे की ये भी कुछ वैसे ही टॉयलेट है.
वैसे दोस्तों एक बात तो सोचने वाली है उस समय न तो पाइप का आविष्कार हुआ था और ही किसी और चीज़ का. फिर भी ये लोग अपने लिए टॉयलेट बना लिया करते थे. ताकि साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखा जा सके.