छत्तीसगढ़ की उर्जानगरी कोरबा में बुलडोजर लेकर प्रभावितों को बेदखल करने पहुंचे एसईसीएल जीएम राजस्व मंत्री के सवालों से भाग खड़े हुए,जानिए मामला ……

खम्हरिया में 6 दशक पूर्व अर्जित भूमि पर कलेक्टर के निर्देशों की अवहेलना कर बिना रोजगार,व्यवस्थापन ,मुआवजा दिए आधिपत्य के लिए किया जा रहा था बेदखल

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। बुधवार को एसईसीएल कुसमुंडा खदान प्रभावित ग्राम खम्हरिया में अर्जित भूमि पर काबिज प्रभावित भू -विस्थापित ग्रामीणों को बुलडोजर लेकर बेदखल करने पहुंचे एसईसीएल के जीएम को ग्रामीणों के भारी विरोध एवं राजस्व मंत्री के पहुंचते ही बेरंग वापस लौटना पड़ा। दरअसल कलेक्टर द्वारा बेदखली से पूर्व 6 बिंदुओं वाली दिशा निर्देश का पालन कराने संबंधी निर्देश की अवहेलना करने पर राजस्व मंत्री की फटकार के बाद एसईसीएल का तोड़ू दस्ता सहित जीएम भाग खड़े हुए।

दरअसल एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना ग्राम खम्हरिया में 6 दशक पूर्व अर्जित अपनी भूमि पर आधिपत्य की कवायद में जुटा है। बुधवार को खम्हरिया में खेत व खाली पड़ी जमीन पर समतलीकरण कर आधिपत्य में लेने जीएम संजय मिश्रा के नेतृत्व में तोड़ू दस्ता पहुंच गया । खेतों की मेड़ों को जेसीबी तोड़ने लगा। ग्रामीणों की भारी विरोध पर भी जब एसईसीएल ने अपनी मनमानी नहीं रोकी तो सूचना पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल दलबल के साथ पहुंच गए। राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल को देख एसईसीएल के जीएम श्री मिश्रा व अतिक्रमण तोड़ू दस्ता हक्का बक्का रह गया। राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल ने एसईसीएल के जीएम को अर्जित भूमि पर बेदखली से पूर्व कलेक्टर द्वारा 11 मई को जारी 6 बिंदुओं का पालन सुनिश्चित कराने सबंधी दिशा निर्देश पत्र दिखाया। जिसमें मूल भू -स्वामियों के परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कर मुआवजा दिए जाने , पात्र भू -स्वामियों को विस्थापन लाभ (आरएंडआर ) दिए जाने ,खम्हरिया की पुरानी बस्ती को मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित किए जाने जैसे मंगलभवन ,खेलमैदान ,देवस्थल ,तालाब एवं निस्तारी के लिए अलग से जमीन छोंड़ने ,मूल ग्रामवासियों के 18 वर्ष से अधिक आयु के आश्रितों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करने ,पुनर्विस्थापन देवस्थल को विकसित करने ,रोजगार के स्थायी प्रकरणों का शीघ्र निराकरण की कार्रवाई किया जाना शामिल है।यहां तक कि कई प्रभावितों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है ,प्रकरण में जुलाई माह में अंतिम सुनवाई है । श्री अग्रवाल ने जीएम श्री मिश्रा से कहा कि कहा कि एसईसीएल प्रबंधन उक्त निर्देशों की धज्जियां उड़ाती हुई खम्हरिया में बुलडोजर लेकर पहुंच गई है। जिससे विस्फोटक स्थिति निर्मित हो सकती है।राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल ने दो टूक लहजे में कहा कि कलेक्टर के पत्र में उल्लेखित 6 बिंदुओं पर पहले अमल करें उसके पश्चात ही आएं वरना मेरे विरोध का सामना करना पड़ेगा। श्री अग्रवाल के तल्ख तेवर देख जीएम श्री मिश्रा भाग खड़े हुए। जाते जाते मीडिया से उन्होंने कहा कि मुझे बेइज्जती लग रही है इस वजह से मैं जा रहा हूँ। उन्होंने प्रकरण के संदर्भ में पीआरओ से जानकारी लेने की बात कही।

मंत्री के इन सवालों घबराए जीएम उठकर चलते बने

मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने महाप्रबन्धक संजय मिश्रा से पूछा कि आपने कलेक्टर के आदेश पर क्या काम किया है । जीएम श्री मिश्रा ने कहा हम करेंगे इस पर मंत्री ने कहा कि एसईसीएल की जुबान पक्की नही है आप लोग न समय से मुआवजा देते हैं और न ही नौकरी देते हैं। कोरबा क्षेत्र की जितनी माईनस है और जहां भी बसाहट है मुझे चल कर दिखाइए की कहाँ आपने मूलभूत सुविधाएं दी हुई है । कोरबा में एसईसीएल के क्वाटर्स की हालात जर्जर है सड़को का पता ही नहीं है पानी की सप्लाई अक्सर बाधित रहती है । इतना सुनना था कि जीएम श्री मिश्रा उठकर चलते बने ।

ग्रामीणों के साथ खड़े हैं, नहीं चलने देंगे अधिकारियों की गुंडागर्दी – मंत्री श्री अग्रवाल

इस मामले में राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि “हम अधिकारियों की गुंडागर्दी किसी कीमत पर नहीं चलने देंगे। एसईसीएल की कोयला खदान केंद्रीय सरकार का उपक्रम है। हम लोकतांत्रिक और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आंदोलन करेंगे। लेकिन किसी कीमत पर ग्रामीणों का नुकसान नहीं होने देंगे। ग्रामीणों की रोजगार,पुनर्वास और मुआवजा की मांग दशकों पुरानी है। एसईसीएल के अधिकारियों ने बिना इसे पूरा किये ग्रामीणों को उनकी जमीन से बेदखल करना शुरू कर दिया है। अधिकारी जबरदस्ती मशीन लेकर ग्रामीणों को जमीन से बेदखल कर रहे हैं। यह बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं”।

हाई कोर्ट के स्टे के बाद भी कर रहे जमीन से बेदखल

गांव खमरिया के ग्रामीण राजेश कुमार यादव ने बताया कि “जिस स्थान पर हम वर्तमान में निवासरत हैं. यहां लगभग 85 परिवार है और विगत 40 सालों में परिवार बढ़ भी चुके हैं। हममें से कुछ ग्रामीण हाईकोर्ट की शरण में भी जा चुके हैं हाईकोर्ट ने जुलाई महीने में अंतिम सुनवाई की तिथि निर्धारित कर दी है जिसमें अब लगभग 1 महीने का समय शेष है इसके बावजूद एसईसीएल के अधिकारी इतनी जल्दबाजी में हैं कि वह हाईकोर्ट के स्टे की भी अवहेलना कर, हमें जमीन से बेदखल करना चाहते हैं। हम बेहद परेशान हैं। नौकरी, मुआवजा और पुनर्वास की मांग वर्षो से लंबित है। अब हमारे घर की छत को भी उजाड़ा जा रहा है

ये है पूरा मामला

इन दिनों अधिक से अधिक कोयला उत्पादन का दबाव अधिकारियों पर है। कुसमुंडा कोयला खदान विस्तार के लिए खदान के किनारे बसे ग्रामीणों को विस्थापित करने के लिए जोर शोर से तैयारियां चल रही है। कुछ माह पूर्व जहां बरमपुर दुरपा बस्ती में भी स्थान चिन्हित किया गया, उसके बाद वैशाली नगर के खमरिया में भूमि चिन्हित की गई। एसईसीएल प्रबंधन द्वारा खेतों की मेड़ों को बराबर किया गया। उसके बाद अवैध कब्जों को हटाने का कार्य भी बीते मंगलवार से शुरू किया गया है। कुसमुंडा प्रबंधन के अधिकारियों ने बताया कि वैशाली नगर में बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे हुए हैं, जिन्हें नोटिस दिया जा रहा है। जल्द से जल्द बेजा कब्जे हटाने की बात की जा रही है। जो मूल निवासी हैं, उनके भूमि और मकानों के भी सर्वे किया जा रहा है। प्रबंधन ने यह भी कहा है कि उन्हें जमीन का मुआवजा और मलबे का भुगतान दिया जाएगा।

40 साल पहले हुआ था अधिग्रहण ,अब मशीन लेकर पहुंचे अधिकारी

कुसमुंडा खदान के समीप 40 वर्ष पहले इस भूमि का अधिग्रहण एचपीसीएल ने किया था एक भाग में वैशाली नगर का पुनर्वास ग्राम भी है यहां विस्थापित ग्रामीण को एसईसीएल ने बसाहट दी है अब एकाएक 40 वर्ष बाद यहां के लोगों को हटाया जा रहा है। अधिकारियों को ग्रामीणों का विरोध भी झेलना पड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रबंधन द्वारा बिना बताए उनके मकानों को तोड़ा जा रहा है। प्रबंधन ने अस्थाई नौकरी, मुआवजा देने की बात कही थी। पुराने प्रकरणों का निपटान भी करने की बात कही थी। अब तक आधे दर्जन जेसीबी के माध्यम से खेतो के मेड़ों को बराबर करने के दिशा में कार्य किया जा रहा है। लगभग 100 से 150 एकड़ भूमि समतल की का चुकी है। यहां लगभग 400 एकड़ जमीन को एसईसीएल प्रबंधन ने चिन्हित किया है।