कोरबा के पुरातत्व संग्रहालय से चोर फिल्मी स्टाइल में ले उड़े जमीदारी काल के संरक्षित सामान ,स्वीकृत पदों पर डेढ़ दशक बाद भी चौकीदार की नहीं हुई भर्ती,असुरक्षा का फायदा उठा दिया घटना को अंजाम

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। नगर के व्यस्ततम क्षेत्रों में शामिल निहारिका घंटाघर के ओपन थिएटर मैदान में स्थित जिला पुरातत्व संग्रहालय में शासन की अनदेखी अंततः भारी पड़ गई । भृत्य ,चौकीदार के स्वीकृत पदों पर डेढ़ दशक बाद भी भर्ती नहीं करने का लाभ उठाते हुए चोंरों ने फिल्मी स्टाईल में संग्रहालय में रखे जमींदारी काल के बंदूक,तलवार ,सिक्के,तीर धनुष ,आभूषण सहित डोर फेन को पार दिया है। संग्रहालय के मार्गदर्शक हरिसिंह क्षत्री के द्वारा घटना की रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के बाद डॉग स्क्वॉयड के साथ पुलिस घटनास्थल का जायजा लेकर जांच में जुट गई है।

पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री के अनुसार असमाजिक तत्वों ने ओपन थिएटर की छत के रास्ते संग्रहालय की छत में जाकर रस्सी के सहारे संग्रहालय के भीतर आंगन में प्रवेश किया और यहां से कुंदा तोड़कर
असुरक्षा का फायदा उठाकर संग्रहालय में चोरी की घटना को अंजाम दिया है । चोंरों ने ब्रिटिश एवं जमीदारी काल के 3 बंदूक,2 तलवार ,21 सिक्के ,20 गहने,2 तीर ,एक धनुष,बक्कल ,डोर फेन पार कर दिया है। चोरी हुए दोनों तलवार जिले की धरोहर लाफा एवं उपरोड़ा के थे। हालांकि चोंरों ने मूर्तियों को नुकसान नहीं पहुंचाया। छत पर दो बंदूकें भी बरामद हुई है। जो शायद भागते वक्त हड़बड़ी में चोर छोड़ गए । रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के बाद डॉग स्क्वॉयड के साथ पुलिस घटनास्थल का जायजा लेकर जांच में जुट गई है। चोरी के प्रयास के दौरान एक चोर को कांच तोड़ते समय चोट भी लगी है और खून भी बहा। बहरहाल मौके पर सिविल लाइन रामपुर थाना प्रभारी निरीक्षक नितिन उपाध्याय के नेतृत्व में पहुंची पुलिस टीम के द्वारा प्रारंभिक जांच पड़ताल की गई है। अज्ञात चोरों की तलाश में सिविल लाइन पुलिस व सायबर सेल की टीम के द्वारा तेजी लाई गई है।

स्वीकृत पदों पर नहीं हुई भर्ती

हरिसिंह क्षत्री 2008 से मार्गदर्शक के तौर पर संग्रहालय में सेवाएं दे रहे। वे आज पर्यन्त नियमित भी नहीं हुए। संग्रहालय में भृत्य एवं चौकीदार के पद स्थापना काल से ही स्वीकृत हैं जिस पर आज पर्यन्त भर्ती नहीं की जा सकी।

तो सुरक्षित रहते संग्रहालय के धरोहर

जिला पुरात्तव संग्रहालय का आज पर्यन्त शासकीयकरण नहीं हुआ है। हैंडओवर करने वर्षों से कवायद जारी है । पूरे छत्तीसगढ़ में रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नहीं हैं इस वजह से यहां के धरोहरों का पंजीयन तक नहीं हुआ है । इस दिशा में कई बार पत्र व्यवहार किया जा चुका है नतीजा सिफर रहा। अगर पंजीयन होता तो संग्रहालय से चोरी हुए सामान भाँवर जैसे कहीं नहीं बिकते। लिहाजा चोरी की संभावनाएं भी क्षीण हो जाती।