हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा । दस दिन विलंब ही सही रविवार से पूरे प्रदेश में सक्रिय हुए दक्षिण पश्चिम मानसून ने न केवल भीषण गर्मी से लोगों को राहत दी है वरन किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है। महज 10 फीसदी धान की बुआई से चिंतित किसान एवं शासन प्रशासन के लिए रुक रुक कर हो रही बारिश उम्मीदों की किरण लेकर आई है। पिछले 24 घण्टों में जिले में 31.5 मिलीमीटर औसत वर्षा होने से बुआई कार्य में तेजी आएगी। मौसम विभाग ने आगामी 48 घण्टों में पूरे प्रदेश में भारी वर्षा की चेतावनी दी है।

यहां बताना होगा कि समूचे भारत की तरह छत्तीसगढ़ का खेती भी दक्षिण पश्चिम मानसून पर ही निर्भर है। अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि की स्थिति मेंअन्नदाता किसान तबाह हो जाते हैं। देश में अकाल जैसी विपदाओं से जूझने लगता है। इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून ने छत्तीसगढ़ में 10 दिन विलंब से दस्तक दी है। रविवार 25 जून को पूरे प्रदेश में मानसून सक्रिय हुआ है।कोरबा में पिछले 24 घण्टे में सोमवार को जिले में औसत 31.5 मिलीमीटर (सवा इंच) वर्षा हुई है। जिले में इस साल 1319.5 मिलीमीटर औसत वर्षा का अनुमान लगाया है। वर्षाकाल 1 जून से आज मंगलवार तक जिले में 109.4 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई है। जबकि गत वर्ष इस समयावधि तक 142.91मिलीमीटर औसत वर्षा हो चुकी थी। विगत दस वर्षों के औसत वर्षा को देखें तो आज दिनांक तक कि स्थिति में 168.7 मिलीमीटर औसत वर्षा हो चुकी थी। इस तरह गत वर्ष के औसत वर्षा की तुलना इस वर्ष अब तक 76.5 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई है वहीं विगत दस वर्षों के औसत वर्षा की तुलना 64.8 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई है।
महज 10 फीसदी हुई बुआई

मानसून के इस विलंब का असर खेती किसानी के कार्यों में भी पड़ा है। इस साल जिले में 1 लाख 34 हजार 940 हेक्टेयर में ख़रीफ फसलें ली जानी है। जिसकी पूर्ति में 26 जून की स्थिति में महज 6.33 फीसदी लक्ष्य की ही पूर्ति हुई है। इसमें भी प्रमुख फसल धान की बात करें तो इस साल 83 हजार 130 हेक्टेयर में रोपा एवं बोता पद्धति से धान की फसल ली जानी है। जिसमें से अब तक 8 हजार 207 हेक्टेयर कृषि भूमि में ही बुआई हो सकी। जो लक्ष्य की पूर्ति का महज 9.87 फीसदी हिस्सा है। हालांकि मानसून के सक्रिय रहने पर अब तेजी से इस कार्य में गति आएगी।