डीईओ कार्यालय कोरबा को आरटीआई कानून की नहीं परवाह ,समय पर नहीं दी आवेदक को जानकारी ,राज्य सूचना आयोग हुआ सख्त,लगाया जन सूचना अधिकारी पर 50 हजार रुपए का अर्थदंड ,मचा हड़कम्प,जानें और किन किन प्रकरणों से जुड़ी जानकारी छुपा रहा डीईओ कार्यालय

कोरबा। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ जन‌सूचना अधिकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी समय पर नहीं देना भारी पड़ गया है। कोरबा पैरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता नूतनसिंह ठाकुर ने अक्टूबर 2020 को शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दो आवेदन देकर शहर के निजी स्कूलों के अधिसूचित स्कूल फीस तथा इन स्कूलों के फीस का परीक्षण करने संबंधी दस्तावेजो की मांग किया था।

इसी प्रकार दूसरे आवेदन में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली एवं बाल अधिकारों के उल्लंघन पर कोरबा पैरेंट्स एसोसिएशन की शिकायत पर कार्रवाई संबंधी दस्तावेज की मांग किया था। जन‌ सूचना अधिकारी ने आवेदक को मांगी गई जानकारी समय पर उपलब्ध नही कराया जिसके खिलाफ नूतनसिंह ठाकुर ने राज्य सूचना आयोग रायपुर को अपील प्रस्तुत किया। राज्य सूचना आयोग में सूनवाई के दौरान पाया गया कि जन सूचना अधिकारी ने आवेदक को समय पर जानकारी उपलब्ध कराने संबंधी कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। अधिनियम के प्रावधानो के अनुसार प्रथम अपीलीय अधिकारी की जानकारी भी आवेदक को नहीं देना पाया गया। इस संबंध में अधिकारी को जनवरी 2022 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया लेकिन जन‌ सूचना अधिकारी ने इसका जवाब नहीं दिया। राज्य सूचना आयुक्त मनोज त्रिवेदी ने दो प्रकरणों में 14/7/2023 को आदेश पारित करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा कार्यालय में पदस्थ जन सूचना अधिकारी को दोषी मानते हुए 25-25 हजार शास्ति आरोपित करते हुए कुल 50 हजार रुपए अर्थदंड लगाया है। इस संबंध में 8 अगस्त को आदेश जारी करते हुए लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर को दोषी अधिकारी से अर्थदंड वसूलकर शासन‌ के खाते में जमा करने का निर्देश दिया है। नूतनसिंह ठाकुर का कहना है कि इस मामले में साबित होता है कि तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने कोरबा पैरेंट्स एसोसिएशन की शिकायतो पर कोई कार्रवाई नहीं किया था।

वर्षों से एक ही शाखा में जमे हैं अधिकारी कर्मचारी ,कर्तव्य निर्वहन में बेहद अनुशासनहीन समय पर नहीं उपलब्ध कराते जानकारी

कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा में पिछले डेढ़ दो साल से अनुशासनहीनता ने सारी सीमाएं लांघ दी है। 8 से 10 साल से एक ही शाखाओं में जमे एपीओ ,एपीसी,लिपिक सहित अन्य कर्मियों पर अधिकारियों का नियंत्रण नहीं रह गया है। यही वजह है चाहे डीएमएफ हो ,चाहे विभागीय मद से जुड़े कार्य किसी की भी जानकारी आवेदकों को निर्धारित समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराए जा रहे ,लिहाजा अधिकांश प्रकरण संयुक्त संचालक ,शिक्षा संभाग बिलासपुर के यहाँ प्रथम अपील पर जा रहे। डीएमएफ में स्वीकृत निर्माण कार्य ,आत्मानंद सहित अन्य शासकीय स्कूलों को प्रदाय सामाग्री ,दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर 2019 से सेवाएं दे रहे शिक्षकों /व्याख्यातों की जानकारी ,स्कूलों के मरम्मत ,जीर्णोद्धार से जुड़ी जानकारी सहित अन्य सामान्य जानकारी भी महीनों तक लटकाई जा रही । राज्य सूचना आयोग को प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए कम से कम संभाग स्तर पर कार्यालय खोलकर सेवाएं प्रदान करनी होगी ,ताकि आवेदकों के प्रकरणों का समय पर सुनवाई हो सके ,दोषियों पर त्वरित कार्रवाई हो सके।