कनकेश्वरधाम कनकी की अद्भुत है कहानी ,जानें जहां गाय गिराती थी दूध कैसे धरती का सीना चीर प्रकट हुए भूफोर महादेव शिवलिंग ,आज सावन के अंतिम सोमवार पर उमड़ेंगे शिवभक्त

कोरबा। कनकेश्वर शिवमंदिर जहां प्रतिदिन भक्तों की भीड़ लगती है वहां मंदिर के वर्तमान पुजारी पुरूषोत्तम यादव के पूर्वज गाय चराया करते थे। पुजारी के अनुसार गायों की टोली में एक ऐसी भी गाय थी जो प्रतिदिन एक स्थान में जाकर अपना दूध गिराया करती थी।चरवाहा को गाय की यह प्रक्रिया नागवार गुजरी। वह गाय को उक्त स्थान से दूर ले जाने की कोशिश करता फिर भी किसी तरह गाय अपनी दूध गिराने उस स्थान पर जरूर पहुंचती। चरवाहा को शिव जी ने स्वप्न देकर बताया कि जिस स्थान पर गाय दूध गिराती है वहां मेरा निवास है। चरवाहा ने जाकर देखा तो स्वप्न की बात सच निकली। ग्राम कनकी में स्वयंभू शिव के प्रकट होने से इसका नाम कनकेश्वर पड़ा।

शहर के श्रद्धालु हसदेव के सर्वमंगला घाट से जल लेकर प्रतिदिन कनकेश्वर धाम कनकी पहुंच रहे हैं। पावन महीने का आखिरी सोमवार होने से मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहेगी। मंदिर के पुजारी पुरूषोत्तम यादव ने बताया कि ऐतिहासिक शिवालय में सावन ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष भर शिव भक्तों का रेला लगातार बढ़ने लगा रहता है। सावन महीना शुरू होने के बाद दर्शनार्थी श्रद्धालुओं की भीड़ जलाभिषेक करने आ रहे हैं। रविवार को कनकेश्वर धाम में हसदेव नदी से जल लेकर श्रद्धालुओं का जत्था नहर मार्ग से पैदल चलकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। पुजारी ने बताया कि कनकेश्वर शिवधाम केवल स्वयं-भू शिव लिंग के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि प्रवासी यहां प्रवासी पक्षी भी दर्शनीय हैं। एशियन बिल स्टार्क नामक पक्षी इस मंदिर परिसर के वृक्षों में प्रतिवर्ष आकर घोसला बनाते है। वंश बढ़ाने के लिए अंडे देते हैं। चूजों के बड़े होने व उड़ान भरने लायक होने पर वापस चले जाते हैं। यह क्रम कई वर्षों से चला आ रहा है।
उल्लेखनीय बात यह है कि पक्षी मंदिर परिसर के पेडों में ही घोसला बनाते हैं। बताना होगा कि कनकेश्वर महादेव के अलाव जिले के तमाम शिव मंदिरों शिव भक्ति का उत्साह है। श्रद्धालुओं द्वारा गंगा जल व दूध से भगवान शिव को अभिषेक किया जा रहा है। उपवास रखने वाले श्रद्धालुओं द्वारा मिट्टी के शिवलिंग का निर्माण कर पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करने का सोमवार व्रत में विधान है। सावन महीना शुरू होने के बाद शिव मंदिरों में प्रत्येक शाम को भजन-कीर्तन व रामचरित्र मानस पाठ जारी है। प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालु क्षेत्र के अलग अलग शिवालयों में पहुंचकर दर्शन करने पहुंच रहे हैं।

पाली शिव मंदिर में भक्त करने पहुंच रहे जलाभिषेक

नवमीं शताब्दी में निर्मित पाली के शिव मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी है। सावन महीने में भक्तजन शिव भक्ति में लीन है। सुबह से शाम तक मंदिरों में श्रद्धालु भक्तों का तांता लगातार देखा जा रहा है। श्रद्धालु भक्त अपने ईष्ट को प्रसन्न करने के लिए सोमवार को निर्जला उपवास रखकर दिनभर शिवभक्ति में लीन रहेंगे। विभिन्न मंदिरों में महामृत्युजंय जाप व रूद्राभिषेक का आयोजन शुरू हो चुका है। शिवालयों में पूजा अर्चना के दौरान श्रद्धालुओं में शिवलिंग को बेल पत्र, कनेर, धतूरा, आंक आदि चढ़ावा अर्पित किया जा रहा है।

शहर के शिवालयों में पूजा-अर्जना का उत्साह

शहरी क्षेत्र के कपिलेश्वर शिवमंदिर, साडा कालोनी स्थित मृत्युंजय शिव मंदिर, सप्तदेव के द्वादश शिवलिंग आदि में पूजा आराधना का दौर जारी है। दर्री स्थिति भवानी मंदिर में भी श्रद्धालु शिव शक्ति का दर्शन करने पहुंच रहे हैं। रविवार की शाम से ही श्रद्धालुओं का जत्था जिले के विभिन्न प्राचीन शिवालयों की ओर जलाभिषेक करने के लिए जाने लगा था। इसी तरह से शंकरगढ़ में भी स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।