कोरबा । देशव्यापी काम बंद हड़ताल का जिले की खदानों में व्यापक असर देखने को मिला।इस हड़ताल में शामिल न होने के लिए एसईसीएल के सीएमडी ने कोयला कामगारों के लिए चेतावनी भरी अपील पिछले दिनो जारी की थी जिसमें उन्होंने कहा था ” काम नहीं तो वेतन नहीं”मतलब हड़ताल वाले दिन हड़ताल में शामिल कोयला कामगारों को उस दिन का वेतन नहीं दिया जाएगा। इस चेतावनी का असर जिले में स्थित खदानो के कामगारों पर नहीं पड़ा।
सुबह से ही कामगार यूनियन का झंडा लेकर धर से बाहर निकले और सभी खदानों में एकत्रित होने लगे, कामगारों के लिए अपनी एकता दिखाना बहुत ही जरूरी और उनके जीवन मरण का प्रश्न यह हड़ताल बन गई थी। बता दें कि पहली पाली में बड़ी संख्या में कर्मी ड्यूटी पर नहीं गए। यूनियन नेताओं ने खदानों के बाहर अपनी आवाज बुलंद की। एसईसीएल के गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा एरिया में हड़ताल का वगपक असर देखा गया।संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में मानिकपुर में कार्यरत ठेकेदारी एवं डिपार्टमेंटल कामगारों ने समर्थन देते हुए एकदिवसीय सांकेतिक हड़ताल में अपनी आवाज़ बुलंद की। जिले के एसईसीएल की कोयला खदान में शुक्रवार को देशव्यापी ट्रेड यूनियन हड़ताल देखने को मिला। हड़ताल में शामिल सभी मजदूर यूनियन की ओर से शुक्रवार की सुबह से ही खदान में कोयला उत्पादन प्रभावित करा दिया। जिससे खदान में कामकाज प्रभावित रहा। खदान क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम भी किए गए थे। हड़ताल में शामिल ट्रेड यूनियन ने खदान क्षेत्र में जुलूस निकाला और सरकार के कथित मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ जमकर नारे भी लगाए। यूनियन नेताओं ने कहा कि जिले मे 16 फरवरी के औद्योगिक हड़ताल को कामयाब करने के लिए रणनीति बनाई गई थी ताकि औद्योगिक हड़ताल को कोरबा जिले मे कामयाब किया जा सके। इसके लिए कन्वेंशन भी किये गये थे उन्होंने आगे बताया कि केंद्रीय श्रम संगठनों ने दिल्ली मे संयुक्त कन्वेंशन कर औद्योगिक हड़ताल का ऐलान किया था। श्रम संघों के नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार जो नीतियां बना रही है उसके चलते देश के मेहनतकश संकट का सामना कर रहे हैं। देश के धरोहर सार्वजनिक उपक्रमों को कमजोर किया जा रहा है। इसी तरह देश के मेहनतकश कामगारों के अधिकारों को छीनकर उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं कुछ चुनिंदा उद्योग घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए श्रम कानून को कमजोर कर श्रम कोड लाया जा रहा है। इसके साथ ही साथ देश का सब कुछ निजी हाथों में देने की ओर सरकार बढ़ रही है। वहीं देश में बेरोजगारी चरम सीमा पर है। इसी तरह देश मे शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग सभी निजी हाथों में देने की ओर सरकार बढ़ रही है, जिसका श्रम संगठन विरोध कर रहे हैं। उन्होंने अंत में कहा कि कोरबा जिले मे हड़ताल कामयाब हो उसके लिए संयुक्त रणनीति बनाई गई थी। जिसका असर भी देखने को मिला है।
एटक के दीपेश मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे जन विरोधी, मजदूर विरोधी उद्योग विरोधी आर्थिक नितियों का खिलाफत करने के लिये देश के 10 केंद्रीय श्रम संगठनों ने 16 फरवरी को राष्ट्र व्यापी औद्योगिक हड़ताल का ऐलान किया था जिसका कोयला उद्योग मे हड़ताल का व्यापक असर पड़ा है विशेष कर कोल इंडिया के खदानों मे कोयला उत्पादन लगभग ठप्प रहा सिर्फ इमरजेंसी सेवा को ही हड़ताल से अलग रखा गया है उन्होंने ने बताया कि एसईसीएल के कोयला खदानों में भी हड़ताल का व्यापक असर रहा है इसी कड़ी मे कोरबा जिले के सभी खदानों मे कोयला उत्पादन को बाधित किया गया है उन्होंने आगे बताया की कोयला प्रबंधन ने हड़ताल को बेअसर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा पर मजदूरों ने प्रबंधन के कोशिश को विफल कर दिया है, दीपेश मिश्रा ने आगे कहा कि आज एक दिन का सिर्फ सांकेतिक हड़ताल था अगर सरकार आगे भी जन विरोधी, मजदूर विरोधी एवं उद्योग विरोधी नितिया जारी रखेगी तो श्रम संगठनों द्वारा देशव्यापी निर्णायक और असरदार आंदोलन छेड़ा जाएगा उन्होंने ने हड़ताल को कामयाब करने के लिए सभी मजदूरों अभार व्यक्त किया।
बीएमएस समर्थक निर्धारित समय पर ड्यूटी पर पहुंचे
केंद्रीय मान्यता प्राप्त 10 श्रमिक संघ ने हड़ताल का आह्वान किया। इसमें भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) शामिल नही है, जबकि वर्तमान में बीएमएस की सदस्य संख्या सबसे ज्यादा है। भाजपा समर्थित होने की वजह से संघ ने पहले ही हड़ताल से बाहर रहने का निर्णय लिया था। इसकी वजह से बीएमएस समर्थित सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता के साथ समर्थक निर्धारित समय पर ड्यूटी पर पहुंचे।
प्रबंधन ने कहा हड़ताल का आंशिक असर
श्रमिक संघ प्रतिनिधियों का दावा है कि हड़ताल शत प्रतिशत सफल रही, पर प्रबंधन ने इसे आंशिक असर बताया। हड़ताल का ज्यादा प्रभाव प्रथम पाली में रहा, पर सामान्य पाली व द्वितीय पाली में असर कम हो गया। अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए खदानों में विभागीय सुरक्षा कर्मी, टीएसआर, सीआइएसएफ के जवान समेत पुलिस बल भी मौजूद रहा।