एसईसीएल गेवरा प्रोजेक्ट गढ़ेगी कीर्तिमान ,भारत की ऊर्जा क्षमता में 70 मिलियन टन का योगदान अर्पित कर बनेगी एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी खदान

कोरबा। पहले ही सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने के कई रेकार्ड कायमम कर चुके एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट गेवरा एक नए कीर्तिमान की ओर अग्रसर है। देश का गौरव के खिताब से विभूषित गेवरा खदान के लिए 70 मिलियन टन वार्षिक कोयला उत्पादन की पर्यावरणीय स्वीकृति मिली है। इस सफलता के सुखद नतीजे यह होंगे कि जल्द ही गेवरा एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी कोयला खदान की ख्याति भी प्राप्त कर लेगी। इस अच्छी खबर से एसईसीएल प्रबंधन की टीम में खुशी की लहर है।

वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो एसईसीएल की गेवरा खदान की उत्पादन क्षमता 52.5 मिलियन टन है, जो पहले ही छत्तीसगढ़ समेत देश के अनेक राज्यों में कोयले की जरूरत पूर्ण कर रही है। इस क्षमता को बढ़ाकर 70 मिलियन टन प्रति वर्ष करने के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति मिल गई है। जिससे खदान के एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि में कोयला मंत्रालय की भूमिका बेहद अहम रही। कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से लागातार समन्वय बनाकर रिकॉर्ड समय में गेवरा परियोजना को 70 मिलियन टन की पर्यावरण स्वीकृति दिलाई। ऊर्जा आकांक्षाओं की पूर्ति में उठाया गया यह महत्वपूर्ण राष्ट्र विकास की दिशा में अहम योगदान सुनिश्चित करेगा। एसईसीएल प्रबंधन ने पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करने में सहयोग और त्वरित कार्रवाई के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के साथ-साथ केंद्र और राज्य की एजेंसियों और छत्तीसगढ़ सरकार का भी आभार व्यक्त किया।

यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन : सीएमडी प्रेमसागर

इस खास उपलब्धि को लेकर एसईसीएल के सीएमडी प्रेम सागर मिश्रा ने एसईसीएल टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में कोल इंडिया एवं एसईसीएल टीम ने आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। हमारा सपना है कि गेवरा अत्याधुनिक खनन तकनीक से युक्त दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बने और आज मिली यह स्वीकृति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।
एसईसीएल प्रबंधन ने गेवरा खदान के लिए पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने में सहयोग के लिए कोयला मंत्रालय का आभार जताते हुए कहा कि यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन है। जल्द ही एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान एसईसीएल और छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित होगी।

40 से अधिक वर्षों से देश की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान

एसईसीएल बिलासपुर के जनसम्पर्क अधिकारी ने बताया कि गेवरा खदान एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट्स में से एक है और पिछले साल वित्त वर्ष 22-23 में 52.5 मिलियन टन कोयला उत्पादन के साथ ही इसने देश की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने का गौरव हासिल किया है। यह खदान लगभग 40 से अधिक वर्षों से देश की ऊर्जा सुरक्षा में अपना योगदान दे रही है। खदान की स्ट्राइक लंबाई लगभग 10 किलोमीटर और चौड़ाई 4 किलोमीटर है। खदान में सरफेस माइनर, रिपर माइनिंग के रूप में पर्यावरण-अनुकूल ब्लास्ट-रहित खनन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। खदान में ओवरबर्डन हटाने के लिए 42 क्यू.मि. शॉवेल और 240-टन डम्पर जैसी उच्चतम क्षमता वाली दुनिया की सबसे बड़ी एचईएमएम मशीनों का उपयोग किया जाता है। इसमें त्वरित और पर्यावरण-अनुकूल कोयला निकासी के लिए कन्वेयर बेल्ट, साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम से सुसज्जित फर्स्ट-माइल कनेक्टिविटी भी है।