10 साल पहले ले ली जमीन आज पर्यंत नहीं मिला मुआवजा,एसडीएम ने निजी जमीन को बता दी सरकारी ,भूविस्थापितों का छलका दर्द ,कलेक्टर से शिकायत कर मुआवजा भुगतान करने की मांग

राजस्व विभाग व एसईसीएल के अधिकारी एक दूसरे को बता रहे जिम्मेदार

कोरबा-गेवरा। कोरबा जिले में जमीनों का अपना अलग खेल चल रहा है। कोई सरकारी जमीन को निजी बात कर उस पर कब्जा जमाए बैठा है तो एसईसीएल क्षेत्र में एसडीएम के द्वारा निजी जमीन को सरकारी बताकर वर्षों से काबिज ग्रामीणों को ठोकर खाने के लिए मजबूर कर दिया गया है। शासन-प्रशासन से लेकर राजस्व अमले की मनमानी और कार्य करने के मामले में पारदर्शिता कई मामलों में नहीं बरतने का खामियाजा गरीब,आदिवासी, भोले भाले ग्रामीण भुगत रहे हैं जबकि चालाक बाबू, भू माफिया, चालक अधिकारी, भ्रष्ट कारनामों को अंजाम देने वाले चंद राजस्व अमले के लोगों, पढ़े-लिखे होकर भी राजस्व रिकार्डों का सही तरह से संधारण नहीं करने, सही तरह से नाम, वंशावली आदि एंट्री नहीं करने की लापरवाही के कारण हजारों परिवारों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
नौकरी के इंतजार में उम्र ढल रही पर भ्र्ष्टाचार करने वालों की सरकारी तनख्वाह के साथ ऊपरी कमीशन पक रही है तो भला दूसरों की चिंता क्यों करें? सरकारें बदलती रही, विधायक बदलते रहे लेकिन ये भू विस्थापित तब भी और आज भी चप्पल घिस-घिस कर, एडिया रगड़ -रगड़ कर जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के लिए अर्जित पाली अनुविभाग तहसील हरदीबाजार अंतर्गत जोकाहीडबरी, अमगांव के प्रभावितों के मकानों व परिसम्पतियों का मुआवजा भुगतान नही किये जाने से आंदोलन पिछले तीन महीने से चलाया जा रहा है । पाली एसडीएम द्वारा निजी भूमि को शासकीय भूमि दर्शा कर एसईसीएल को अपने पालिसी के अनुसार मुआवजा भुगतान करने सबंधी आदेश जारी होने पर पुनः कलेक्टर से शिकायत करते हुए मुआवजा भुगतान करने की मांग की गई है ।

ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने उक्ताशय की जानकारी देते हुये बताया है कि विगत 16 जनवरी से धरना प्रदर्शन के माध्यम से एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के लिए अर्जित ग्राम पंचायत अमगांव के जोकाहीडबरी के प्रभावितों के परिसम्पतियों का मुआवजा का तत्काल भुगतान करने सहित 5 बिंदुओ में मांग की जा रही है इससे पूर्व भी हमारी संगठन की ओर से एसईसीएल प्रबन्धन व प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया जाता रहा है। और आंदोलन को विस्तार देने का पत्र जारी होने के बाद हरदीबाजार तहसील से एक आदेश जारी किया गया था जिसमे शासकीय भूमि पर मकान निर्मित होने का उल्लेख कर दिया गया है जबकि वहां पर शासकीय भूमि है ही नही जिसके कारण एसईसीएल ने मुआवजा भुगतान करने से मना कर दिया है । उन्होंने कलेक्टर को सम्बोधित पत्र में कहा है कि एसईसीएल गेवरा क्षेत्र अंतर्गत कोयला उत्खनन कार्य हेतु आदेशानुसार CBA (A&D) 1957 SO No 2977 dated 16/11/2004, dated 29/09/2009 ग्राम पंचायत अमगांव, तहसील हरदीबाजार, पाली अनुविभाग जिला कोरबा का फेस 3 का अर्जन उपरान्त विधिवत वर्ष 2015-16 में सन्दर्भित भूमि पर निर्मित मकान, पेड़ पौधों सहित अन्य परिसम्पतियों का भौतिक मूल्यांकन / नापी किया जाकर 142 परिवारों का मुआवजा पत्रक तैयार किया गया था। जिसमे मुआवजा के लिए जिला प्रशासन द्वारा गठित समिति के समस्त सदस्यों (एसईसीएल गेवरा क्षेत्र के सबंधित अधिकारी, लोक निर्माण विभाग वनपरिक्षेत्र अधिकारी, सहायक संचालक उद्यान विभाग तहसीलदार दीपका उपतहसील) द्वारा अनुमोदित किया गया था और संबधितों को पावती प्रदान किया गया है। राजस्व आदेश में 31 लोंगो की स्वयं के निजी हक़ की भूमि पर स्थित मकान पेड़ पौधे, अन्य परिसम्पति होने पर मुआवजा पत्रक में पात्र कहा गया तथा 111 व्यक्तियों की स्वयं की निजी हक की भूमि नही था, अन्य की भूमि पर निर्मित होने के कारण उन्हें अपात्र बताया गया अभी तक 51 लोंगो को पात्र मानते हुये मुआवजा का भुगतान किया जा चुका अथवा कुछ प्रकियाधीन है। जबकि पूर्व में तैयार मुआवजा पत्रक के आधार पर एस ई सी एल मुख्यालय से मुआवजा राशि स्वीकृत होकर गेवरा क्षेत्रीय कार्यालय को जारी भी किया जा चुका है। और एस ई सी एल गेवरा क्षेत्र राजस्व आदेश जारी नहीं होने का बहाना कर मुआवजा भुगतान नहीं कर रही है। सबंधित परिवारों के मुआवजा भुगतान कराने हेतु हरदीबाजार तहसील में प्रकरण के आधार पर हितग्राहियों के द्वारा उनके मकान स्थित होने सबंधी दस्तावेज, बयान, सहमती पत्र इत्यादि जमा कराया जा चुका है किन्तु उक्त मकान को शासकीय भूमि में होना बताकर एसईसीएल को अपने पालिसी के आधार पर भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है जो कि गलत है क्योंकि मूल्याकन कमेटी द्वारा पूर्व में ही निजी भूमि (किसी अन्य की स्वामित्व) पर मकान स्थित होना प्रमाणित किया है, भू-अर्जन के लिए किसी भी नीति में जैसे CBA, आदर्श पुनर्वास नीति, भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनार्व्यव्स्थापन उचित प्रतिकर पारदर्शिता अधिकार अधिनियम 2013 (RFCTLARR) आदि में किसी अन्य के भूमि पर बने मकान अथवा अवस्थित परिसम्पतियों के मुआवजा से वंचित करने का नियम नहीं है। जिला प्रशासन द्वारा गठित समिति द्वारा विधिवत मौक़ा जांच कर व प्रक्रिया पूर्ण कर हितग्राहियों को नापी उपरान्त पावती भी जारी किया गया था जिससे स्पष्ट है कि मौके पर मकान आदि स्थित था और खदान विस्तार को सहयोग करते हुए, उनके द्वारा मकान व परिसम्पतियों को तोड़ कर अन्यत्र चले गए हैं। जिसके कारण वर्तमान समय में मौके पर मकान नहीं होने के कारण मुआवजा भुगतान का आदेश नही किया जा रहा है।
श्री कुलदीप ने कहा हैं कि देश के विकास में योगदान देने वाले भूविस्थापित किसान-ग्रामीणों को अपने परिसम्पतियों के मुआवजा के लिए भटकना पड़ रहा है यह नीति व नैतिक आधार पर उचित नहीं है अन्याय है।