कोरबा। रविवार को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में रथयात्रा महोत्सव को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। ग्राम दादरखुर्द में विशेष आराधना की गई। रथयात्रा के अवसर पर 14 दिनों के बाद मंदिर के पट खुलने के इंतजार में श्रद्धालु महाप्रभु के दरबार पर बैठे रहे। ब्रम्हूमुहूर्त पर मंदिर के पट खुलते ही भक्तों की पूजा-अर्चना की।
महाआरती में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
महाप्रभु का विशेष श्रृंगार स्वरूप भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। महाप्रसाद का भोग लगाया। दोपहर में भगवान जगन्नाथ, भैया बलदाऊ और बहन सुभद्रा को फूल, माला, रंग-बिरंग तोरण से सुसज्जित रथ में विराजमान कराया है। नगर भ्रमण कराया गया। महाप्रभु का दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। रथ खींचने के लिए भक्त आतुर दिखे। जगह-जगह स्वागत किया गया। पूजा-अर्चना कर महाप्रभु कर आर्शीवाद लिया। परिवार के सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। देर शाम लगभग आठ बजे महाप्रभु का रथ मौसी के घर गांव के शिव मंदिर पहुंचेगा। इसी तरह शहर के सीतामणी, बालकोनगर, कुसमुंडा, जमनीपाली, रजगामार, पाली, कटघोरा, कुसमुंडा, दीपका से लेकर अन्य उप नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में रथयात्रा निकाली गई। इस अवसर पर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के जयकारे गूंजता रहा।
महास्नान से अस्वस्थ हो गए थे महाप्रभु
ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर प्राचीन परंपरा के अनुसार वेद-मंत्रोपचार से भगवान जगन्नाथ, भैया बलदाउ और बहन सुभद्रा को महास्नान कराया गया था। महास्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो गए थे। महाप्रभु एकांतवास पर चले गए थे। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट बंद हो गए थे। पुजारी परंपरा अनुसार भगवान को जड़ी-बुटी का काढ़ा व अन्य औषधी का भोग लगाया जा रहा था।