पीएमश्री विद्यालयों में फर्म ने बांटे गुणवत्तायुक्त वाद्य यंत्र ,जांच समिति ने गुणवत्ता में पाई कमी, वेंडर से वसूल की गई संपूर्ण राशि,गुणवत्ता युक्त वाद्य यंत्रों की आपूर्ति की प्रक्रिया प्रारंभ ,जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं होने से उठे सवाल ! जानें क्या लगे थे आरोप

कोरबा । पीएमश्री विद्यालयों में वाद्य यंत्रों की सप्लाई में गड़बड़ी, तीन गुना दाम पर हुई खरीदी शीर्षक से समाचार पत्र में प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेकर कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने 03 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था।

जांच समिति में टी. पी. उपाध्याय जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा, श्रीकांत कसेर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग एवं पी. आर. महादेवा वरिष्ठ कोषालय अधिकारी कोरबा शामिल थे। कलेक्टर द्वारा गठित जांच समिति ने पीएमश्री विद्यालयों में वाद्य यंत्रों की सप्लाई में गड़बड़ी पाई। सामग्री की गुणवत्ता उचित नहीं होने पर वेण्डर को राशि जमा करने के निर्देश दिए गए। वेण्डर ने सम्पूर्ण राशि जमा कर दी है। राशि जमा होने के पश्चात् पीएम श्री विद्यालयों में नियमानुसार गुणवत्ता युक्त वाद्य यंत्रों की आपूर्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

लगे थे ये आरोप

केंद्र सरकार की पीएमश्री योजना के तहत कोरबा जिला के 10 स्कूलों को पीएमश्री का दर्जा दिया गया है। इन 10 विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार द्वारा अब तक लाखों रुपए का फंड जारी किया जा चुका है। प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पारंपरिक वाद्य यंत्र की शिक्षा से अवगत कराने के लिए राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा से 19 मार्च 2024 को प्रदेश के 211 पीएमश्री विद्यालयों को फंड का आवंटन किया गया था। प्रत्येक विद्यालय को म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट खरीदी के लिए 75 हजार रुपए की राशि जारी की गई थी। चूंकि प्रदेश में 16 मार्च से ही आदर्श अचार संहिता लागू हो गई थी, ऐसे में सारे शासकीय खरीदी पर प्रतिबंध लगा हुआ था। बावजूद इसके जिला परियोजना अधिकारी मनोज पांडे के द्वारा जिले के सभी 10 विद्यालयों में म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट खरीदी के लिए फंड जारी कर दिया गया। यही नहीं इन म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की खरीदी के लिए बकायदा एक एजेंसी को जिम्मेदारी दे दी गई। अचार संहिता लागू होने के बाद भी पीएमश्री स्कूल के प्रधान पाठकों पर बकायदा उसी एजेंसी से सामान लेने का दबाव बनाकर गुणवत्ताहीन सामानों की सप्लाई कर दी गई। अब इस मामले का खुलासा होने के बाद जिम्मेदारों द्वारा
स्कूल स्तर पर प्रधान पाठकों द्वारा खरीदी किए जाने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ा जा रहा है।

हेड मास्टर की जगह एपीसी ने भेज दिया सप्लाई वेंडर

पीएमश्री विद्यालय के लिए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की खरीदी के लिए राज्य परियोजना कार्यालय से 75 हजार रुपए का आवंटन किया गया था। प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति के पत्र में बकायदा भंडार क्रय नियम के तहत शाला प्रबंधन एवं विकास समिति द्वारा सामानों को क्रय करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन कमीशनखोरी के लिए जिला स्तर पर ही अधिकारियों ने सप्लाई एजेंसी तय कर विद्यालयों में सामानों की सप्लाई करा दी गई। नाम न छापने के शर्त पर शिक्षकों ने बताया कि जिला परियोजना कार्यालय से एपीसी काजी सर के द्वारा सामान लेने के लिए निर्देशित किया गया था। इसी कारण दबाव में आकर उक्त एक ही एजेंसी से सामानों की सप्लाई ली गई।

25 हजार के सामान को तीन गुना दाम पर किया गया सप्लाई

पीएमश्री विद्यालयों के लिए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की खरीदी के लिए राज्य परियोजना कार्यालय से पारंपरिक वाद्य यंत्र खरीदने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने सप्लाई एजेंसी से सांठगांठ कर गुणवत्ताहीन स्तर के हारमोनियम, गिटार, तबला, खंजरी, डबली सहित अन्य वाद्य यंत्र की सप्लाई आनन-फानन में स्कूलों में कर दी गई। म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की सप्लाई के बाद अब स्कूल के शिक्षक ही सामानों की गुणवत्ता पर दबी जुबान सवाल उठा रहे हैं। जिले के 10 विद्यालयों में एक ही एजेंसी द्वारा सप्लाई किए गए सामानों की जब बाजार में वास्तविक कीमत जानने का प्रयास किया गया तो उक्त सारे ब्रांडेंड स्तर के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की कीमत महज 20 से 25 हजार रुपए बताई गई। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि तरह से केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना पर जिला परियोजना कार्यालय के अधिकारियों ने पलीता लगाकर अपनी जेब भरने का काम किया है।

मार्च में भुगतान, अप्रैल में सामानों की आपूर्ति

कोरबा जिले के पीएमश्री विद्यालयों में हुए सामानों की सप्लाई में कई गंभीर गड़बड़ियां सामने आई है। ग्राउंड स्तर पर जब स्कूलों में जाकर म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट खरीदी की जानकारी चाही गई, तो कई शिक्षकों ने नाम न छापने के शर्त पर यह बताया कि मार्च महीने में उनके विद्यालय को फंड का आवंटन किया गया। इसके साथ ही जिला परियोजना कार्यालय के एपीसी के द्वारा फंड लैप्स होने की बात कहकर 31 मार्च से पहले ही सामानों की खरीदी के बिल का भुगतान करने की बात कही गई थी। मुख्यालय स्तर के अधिकारी के दबाव के कारण 27 मार्च को ही पीपीए जनरेट किया गया और 31 मार्च से पूर्व सप्लाई एजेंसी को पेमेंट का भुगतान कर दिया गया। जबकि सामानों की सप्लाई पेमेंट होने के बाद अप्रैल माह में किया गया।

कोरिया जिले की तरह कोरबा में भी किया भ्रष्टाचार

कोरबा जिला में पदस्थ चर्चित डीएमसी मनोज कुमार पांडे पर सामानों की खरीदी में मनमानी का यह कोई पहला मामला नहीं है। आपको बता दें इससे पहले कोरिया जिला में पदस्थापना के दौरान डीएमसी मनोज पांडे ने बालवाड़ी योजना के तहत जिले के 176 प्राथमिक शालाओं के लिए सामानों की खरीदी तीन गुना दर पर की थी। इस मामले में जांच के बाद कोरिया कलेक्टर ने दोषी पाए गए मनोज पांडे पर कार्रवाई के लिए पहले ही शिक्षा सचिव का पत्र लिख चुके हैं।