आज के दिन भारत के लिए कई मायनों में खास है। जहां एक तरफ राजपथ पर भारत की आन-बान और शान का प्रदर्शन किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर भारी सुरक्षा के बीच हजारों किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रवेश कर रहे हैं। अभूतपूर्व ‘किसान गणतंत्र परेड’ के लिए आगे बढ़ रहे किसानों की पुलिस के साथ भिड़ंत होने की घटना सामने आई है। संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। सिंघू बॉर्डर से किसान की ट्रैक्टर रैली यहां पहुंची थी। इससे पहले किसानों ने टिकरी बॉर्डर के बैरिकेड तोड़े। दरअसल किसानों ने ऐलान किया कि राजपथ पर आधिकारिक गणतंत्र दिवस परेड समाप्त होने के बाद ही उनकी ट्रैक्टर परेड शुरू होगी।
ट्रैक्टर परेड के लिए आए किसान अब वापस नहीं जाएंगे: किसान यूनियन
किसान यूनियनों ने दावा किया कि लगभग दो लाख ट्रैक्टरों के परेड में भाग लेने की उम्मीद है। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि वह तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अडिग हैं और मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर रैली की बात है तो इससे सरकार को हमारी शक्ति के बारे में एक एहसास होगा और उसे पता चलेगा कि आंदोलन केवल हरियाणा या पंजाब तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का आंदोलन है। किसान यूनियनों का कहना है कि ट्रैक्टर परेड के लिए आए किसान अब वापस नहीं जाएंगे तथा प्रदर्शन से जुड़ेंगे।
दिल्ली में हजारों सशस्त्र सुरक्षा कर्मी तैनात
गणतंत्र दिवस समारोह और किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड के मद्देनजर राजपथ और राष्ट्रीय राजधानी की कई सीमाओं पर हजारों सशस्त्र सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। दिल्ली में पहले से बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था का बंदोबस्त किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि गणतंत्र दिवस समारोह के मद्देनजर निगरानी रखने के लिए करीब छह हजार सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है। संदिग्ध लोगों की पहचान करने के लिए दिल्ली पुलिस की चेहरे से पहचान करने वाली प्रणाली भी उचित स्थानों पर स्थापित की गई है। उन्होंने बताया कि राजपथ पर लोगों की जांच करने वाले कर्मी पीपीई किट पहने होंगे तथा मास्क एवं फेस शील्ड (चेहरे के आगे शीशा) लगाए हुए होंगे।

ट्रैक्टर परेड में भड़काऊ संदेशों की इजाजत नहीं: किसान यूनियन
किसान नेताओं ने ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने वाले लोगों से अपील की है कि वे 24 घंटे के लिए पर्याप्त राशन लेकर आएं और सुनिश्चित करें कि परेड शांतिपूर्ण रहे। एक किसान नेता ने कहा कि कोई भी किसी तरह का हथियार न रखे या शराब न पिए। भड़काऊ संदेशों वाले बैनरों की भी इजाजत नहीं है। सिंघू बॉर्डर से शुरू होने वाली ट्रैक्टर परेड संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, बवाना, कुतुबगढ़, औचंदी बॉर्डर और खरखौदा टॉल प्लाजा से गुजरेगी। पूरा मार्ग 63 किलोमीटर लंबा होगा। किसान नेताओं ने बताया कि दूसरा मार्ग 62 किलोमीटर लंबा होगा। यह परेड टिकरी बॉर्डर से शुरू होगी और नांगलोई, बापरौला गांव, नजफगढ़, झाडौदा बॉर्डर, रोहतक बाईपास (बहादुरगढ़) एवं आसौदा टॉल प्लाजा से गुजरेगी। गाजीपुर से शुरू होने वाली ट्रैक्टर परेड अप्सरा बॉर्डर, हापुड़ रोड और लाल कुआं से गुजरेगी। यह 68 किलोमीटर का मार्ग तय करेगी जो सबसे लंबा है।

हर ट्रैक्टर पर तिरंगा लगा होगा
किसान नेता अपनी कारों में सबसे आगे होंगे। किसान नेताओं ने बताया कि सभी गाड़ियों को वहां लौटना होगा जहां से वे निकले थे। कोई भी बिना कारण के आधे रास्ते में न रूके। हर टैक्टर पर तिरंगा लगा होगा और लोक गीत तथा देश भक्ति के गाने बजाए जाएंगे। इसके अलावा, दिल्ली यातायात पुलिस ने यात्रियों से उन मार्गों से बचने को कहा है जहां प्रदर्शनकारी किसान गणतंत्र दिवस पर अपनी ट्रैक्टर परेड करेंगे। संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) मीनू चौधरी ने कहा कि पहली रैली सिंघू बॉर्डर से संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, डीटीयू, शाहाबाद डेयरी, बरवाला गांव, पूठ खुर्द गांव, कंझावला टी-पॉइंट, कंझावला चौक, कुतुबगढ़, औचंदी बॉर्डर और खरखौदा टोल प्लाजा को जाएगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-44 और जीटी करनाल रोड की ओर जाने वाले यातायात को सिंघू शनि मंदिर, अशोक फार्म / जंती टाल, हमीदपुर, सुंदरपुर माजरा, जिंदोपुर मुखमेलपुर, कादीपुर, कुशक कॉलोनी, मुकरबा चौक और जीटीके डिपो से मोड़ा जाएगा।

अपनी मांगों पर अडे हैं किसान
बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर हजारों किसान, जिनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, 28 नवंबर से दिल्ली के कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने का सरकार का प्रस्ताव एक ‘‘सर्वश्रेष्ठ पेशकश” है और उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकरी किसान संगठन इस पर पुनर्विचार करेंगे तथा अपने फैसले से अवगत कराएंगे। सरकार और 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी। दसवें दौर की वार्ता में सरकार ने नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने की पेशकश की थी, लेकिन किसान यूनियनों ने इसे खारिज कर दिया था।