बढ़ गए किसान ,अमला बढाने नहीं रहा सहकारी बैंक का ध्यानविलंब से पहुंचे 400 किसान ,सीमित भुगतान , लेटलतीफी पर कोरबा ब्रांच में किया हंगामा

हसदेव एक्सप्रेस न्यूज कोरबा। शासन द्वारा इस बार समर्थन मूल्य अंतर (बोनस)की राशि समेत 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने के ऐलान के साथ ही जिले में पंजीकृत किसानों की संख्या में 10 फीसदी से अधिक इजाफा हो गया है,लेकिन इस अनुपात में सहकारी बैंकों में भुगतान के लिए अमला (कर्मचारियों)की संख्या बढ़ाने कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
जिला सहकारी बैंक बिलासपुर की कोरबा ब्रांच में इस अनदेखी एवं के भुगतान टोकन समयावधि समाप्त होने के उपरांत 400 से अधिक किसान के पहुंचने ,चेस्ट बैंकों से विलंब से राशि मिलने की वजह से व्यवस्था अनुरूप सिंगल विंडों से भुगतान व्यवस्था को लेकर किसानों ने नाराजगी जता जमकर हंगामा प्रदर्शन किया । किसानों को उकसाकर कुछ अवसरवादी तत्वों ने भी बैंक प्रबंधन पर अनावश्यक दबाव बनाने की कोशिश की। मामले में मुख्यालय एवं जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है। अब ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने व्यवस्था बिगाड़कर प्रदर्शन के लिए उकसाने वालों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

यहाँ बताना होगा कि छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना धान खरीदी अपेक्स (जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित )बैंक,पंजीकृत आदिवासी सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से संपन्न होता है । सहकारी समितियों के अधीन पंजीकृत किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदकर भुगतान योग्य राशि जिला सहकारी बैंक में खोले गए किसानों के निजी खाते में सीधे अंतरित की जाती है। किसान इसका भुगतान भी जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से प्राप्त करते हैं। इस साल जिले में 31 लाख के क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है। जिसकी पूर्ति में 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से 7 जनवरी तक की स्थिति में जिले में 21 लाख 1 हजार 406 .40 क्विंटल समर्थन मूल्य (2300 प्रति क्विंटल की दर )पर 483 करोड़ 32 लाख 34 हजार 720 रुपए के धान की खरीदी हो चुकी है। पंजीकृत 53 हजार 954 पंजीकृत किसानों में से 36 हजार 253 किसानों ने यह धान बेचा है। उक भुगतान योग्य राशि जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के माध्यम से किया जा रहा है।जिस अनुपात में इस साल करीब 5 हजार किसान बढ़े हैं। उस अनुपात में बैंकों में भुगतान के लिए अमले ही नहीं बढ़ाए गए ,न ही चेस्ट बैंकों से समय पर कैश की व्यवस्था हो पा रही है। जिसका असर बुधवार को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर की कोरबा शाखा में देखने को मिला। जहाँ किसानों ने शाम 4 बजे भुगतान व्यवस्था में लेटलतीफी एवं पक्षपात का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। किसानों का आरोप था कि उनके पूर्व के किसानों को 50 -50 हजार तक भुगतान किया गया जबकि उन्हें 25 हजार का ड्रावल पर्ची भरने की बात कही जा रही। बैंक से बाहर किसानों की कतार मुख्य मार्ग तक पहुंच गई थी। वहीं जब इसकी hasdeo express .Com news ने वास्तविक तथ्यों की पड़ताल की ,बैंक प्रबंधन से बात की तो स्थिति कुछ और ही सामने आई। बैंक प्रबंधन ने भुगतान के लिए दोपहर ढाई बजे तक टोकन देने की व्यवस्था की है। ताकि किसानों को उसी दिन समय पर भुगतान हो जाए ,लेकिन यहाँ टोकन की समयावधि समाप्त होने के बाद 400 किसान भुगतान के लिए पहुंच गए ,जिन्हें टोकन दिया गया। आईडीबीआई और एक्सिस बैंक से जिले के सहकारी बैंकों को भुगतान के किएव कैश ( नगद ) की व्यवस्था की जाती है । प्रतिदिन 8 करोड़ की डिमांड है लेकिन दोनों चेस्ट बैंक 5 से 6 करोड़ ही उपलब्ध करा पा रही हैं। उसमें भी लेटलतीफी हो रही है। बुधवार को कोरबा ब्रांच में कैश काफी विलंब से दोपहर साढ़े 3 बजे बाद मिला। लिहाजा किसानों की अचानक उमड़ी भींड़ को उसी दिन भुगतान करने की चुनौती एवं कर्मचारियों की कमी की वजह से बैंक प्रबंधन से सिंगल काउंटर से भुगतान की व्यवस्था बनाई जिसमें 25 हजार तक कि राशि को कैशियर को बिना लेखापाल ,शाखा प्रबंधक से पास कराए इंट्री कर भुगतान करने का अधिकार है। इससे अधिक की राशि के लिए लेखापाल एवं शाखा प्रबंधक से पासिंग करना पड़ता है। जिसमें काफी समय लगता है। लेकिन सिंगल काउंटर से 25 हजार रुपए तक देने की व्यवस्था कुछ किसानों को रास नहीं आई और अन्य किसानों को भड़काकर उन्होंने बैंक के कर्मचारियों के विरुद्ध नारेबाजी ,आरोप प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिया। स्थिति बिगड़ने के बाद पुलिस आई,व्यवस्था बनाई तब जाकर मामला कहीं शांत हुआ।

बढ़ गए किसान ,लिपिकों की कमी से जूझ रहे दोनों बड़े ब्रांच 👇

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के कोरबा जिले के ब्रांच क्लर्क की कमी से जूझ रहे हैं। सबसे बड़े ब्रांच बरपाली एवं कोरबा में महज शाखा प्रबंधक समेत 4 -4 कर्मचारी हैं। दोनों ब्रांच को कम से कम 2 -2 लिपिक की नितांत दरकार है। ताकि किसी कर्मचारी को मेडिकल या आवश्यक कार्य की वजह से छुट्टी लेने की स्थिति निर्मित हो तो बैंक का कामकाज प्रभावित न हो। बात करें कोरबा की तो कोरबा में कल एक लिपिक कम कैशियर कल अवकाश में थीं,जिसकी वजह से भुगतान व्यवस्था प्रभावित हुई। एक तरफ हर साल किसान बढ़ रहे हैं दूसरी ओर अमले बढाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

सुरक्षा कर्मी की मांग ,पुलिस महकमे ने नहीं दिया ध्यान
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धान खरीदी के दौरान हजारों की संख्या में किसानों को नियमित भुगतान के दौरान हर साल व्यवस्था बिगड़ने के आसार रहते हैं। साथ ही सुरक्षा की भी दरकार रहती है।विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इसके लिए हर साल कोरबा ब्रांच पुलिस विभाग से सुरक्षा कर्मी की मांग करता रहा है,लिखित में भी शाखा प्रबंधक इसकी मांग कर चुकी हैं लेकिन कोरबा ब्रांच को आज तक एक सिपाही धान खरीदी के भुगतान के दौरान के लिए उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके पीछे महकमे के जिम्मदार अधिकारियों की क्या मंशा है वो ही जानें ,लेकिन इससे शासन की महती योजना धान खरीदी अभियान का भुगतान इससे प्रभावित हो रहा है।

वर्जन

स्टॉफ की दरकार , किसानों ने व्यवस्था को किया नजरअंदाज

भुगतान टोकन कटने के समयावधि के बाद करीब 400 किसान भुगतान के लिए आ गए। हमने किसानों की उसी दिन में भुगतान करने सिंगल काउंटर के माध्यम से 25 हजार तक के भुगतान की तत्काल व्यवस्था बनाई लेकिन कुछ किसानों के भड़काने की वजह से विवाद ,व्यवधान मकी स्थिति निर्मित की गई। सारे आरोप प्रत्यारोप निराधार हैं ,व्यवस्था अनुरूप पारदर्शी तरीके से भुगतान किया जा रहा है। स्टॉफ की कमी से कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

श्रीमती सरिता पाठक ,शाखा प्रबंधक ,जिला सहकारी बैंक कोरबा (छग)