हैती में युद्ध अब बच्चों के शरीर पर लड़ा जा रहा ,यौन शोषण के मामलों में 10 गुना की वृद्धि, 16 वर्षीय लड़की से हुआ 30 दिन तक गैंगरेप …..

एजेंसी। यूनिसेफ ने चेतावनी दी है कि हैती में युद्ध अब बच्चों के शरीर पर लड़ा जा रहा है. यौन शोषण के मामलों में 10 गुना की वृद्धि हुई है. कई गैंग रेप की घटनाएं भी सामने आई हैं.

एक 16 वर्षीय लड़की को नशीला पदार्थ दिया गया, पीटा गया और एक महीने तक लगातार बलात्कार किया गया.

छोटी बच्चियों को ले गए गोदामों में

यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने जिनेवा में संवाददाताओं को बताया कि 16 वर्षीय लड़की रोजलिन को हथियारबंद लोगों ने अगवा कर लिया और अन्य छोटी लड़कियों के साथ गोदाम में ले गए. वहां उसे बुरी तरह पीटा गया. फिर उसे नशीला पदार्थ दिया गया और उसके अनुसार एक महीने तक लगातार उसके साथ बलात्कार किया गया. जब हथियारबंद समूह को पता चला कि रोजलिन के पास अपहरण की फिरौती देने वाला कोई नहीं है, तो उसे छोड़ दिया गया.’

यौन हिंसा बढ़ी 1,000 प्रतिशत

संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी ने कहा कि हिंसा से तबाह हैती में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा पिछले साल दस गुना बढ़ गई. हैती दशकों से राजनीतिक अस्थिरता से घिरा हुआ है, हाल के वर्षों में आपराधिक गिरोहों के कारण स्थिति और खराब हो गई है, जो और भी शक्तिशाली हो गए हैं. एल्डर ने कहा कि हैती में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा में 1,000 प्रतिशत की चौंका देने वाली वृद्धि ने उनके शरीर को युद्ध के मैदान में बदल दिया है.

द्वीप पर गिरोहों का कब्जा

यूनिसेफ ने कहा कि गिरोह अब राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस के 85 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करते हैं और बच्चे – जिनमें से कुछ आठ साल की उम्र के हैं – अब सभी सशस्त्र समूहों का हिस्सा हैं.

न राष्ट्रपति और न संसद

हैती में कोई राष्ट्रपति या संसद नहीं है और एक संक्रमणकालीन निकाय द्वारा शासित है. यह आपराधिक गिरोहों, गरीबी और अन्य चुनौतियों से जुड़ी अत्यधिक हिंसा को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले साल हैती में गैंग हिंसा के कारण 5,600 से ज़्यादा लोग मारे गए, जो 2023 में मारे जाने वाले लोगों की संख्या से लगभग एक हजार ज़्यादा है.
एक साल पहले की तुलना में तीन गुना ज़्यादा, दस लाख से ज्यादा हैतीवासियों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है. देश में 12 लाख बच्चे लगातार सशस्त्र हिंसा के खतरे में जी रहे हैं. पिछले साल ही सशस्त्र समूहों में बच्चों की भर्ती में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई.