संगठन के पदाधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर टिकी निगाह
कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य के उपमुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन विकास मंत्री अरुण साव के प्रभार जिला कोरबा में नगर पालिक निगम के सभापति चुनाव हेतु पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल के विरुद्ध जाकर चुनाव लड़ने पर आखिरकार नूतन सिंह ठाकुर पर निष्कासन की गाज गिर गई है। पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। इसके साथ ही कोरबा जिला खासकर निगम की राजनीति और गर्म हो चली है।
सवाल पर सवाल उठ रहे हैं कि अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध नूतन सिंह ठाकुर ने अकेले के दम पर खड़े होने की जहमत तो नहीं उठाई होगी, प्रारंभिक तौर पर प्रदेश मंत्री विकास महतो का नाम सामने आ रहा है जिन्होंने इन्हें आगे बढ़ाया और उनके साथ और भी पदाधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं। भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज शर्मा से लेकर सभापति चुनाव के पर्यवेक्षक पुरन्दर मिश्रा की रणनीति भी फेल हो गई। हालांकि, हितानंद अग्रवाल को सभापति प्रत्याशी के रूप में पार्षदों ने ही नकार दिया था,फिर भी उनका नाम लाए जाने के कारण ये हालात बने। अब, नूतन का निष्कासन के बाद क्या पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ने के लिए हवा देने और माहौल तैयार करने वालों पर भी निष्कासन की गाज गिरेगी,तो कब तक?
पार्टी 32 पार्षदों के नाम भी तलाश रही है जिन्होंने अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध जाकर मतदान किया है। वैसे पार्षदों के आंकड़ों पर जाएं तो इसमें कुछ ऐसे भी पार्षद हैं जो दूसरे दल व निर्दलीय होने के बावजूद नूतन को सपोर्ट किए हैं लेकिन भाजपा अपने ही पार्टी के पार्षद पर कार्रवाई कर सकती है, लिहाजा अब पार्षदों की धड़कनें बढ़ी हुई है। सवाल है कि उन पार्षदों की तलाश कैसे पूरी होगी? सूत्र बताते हैं कि कुछ पार्षद पूरी तरह से एक्सपोज हो चुके हैं जिन्होंने खुलकर अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध बगावत की थी जिसमें चंद्रलोक सिंह, लक्ष्मण श्रीवास, राधाबाई महंत भी शामिल हैं।
ढाई साल तक कुर्सी पूरी तरह सुरक्षित
निगम के जानकार बताते हैं कि नूतन सिंह ठाकुर तो सभापति बने रहेंगे। सभापति के चुनाव में पार्टी भले ही अपना समर्थित प्रत्याशी घोषित करती है और उसके पक्ष के पार्षद मतदान में हिस्सा लेते हैं किंतु सभापति का पद दलीय नहीं होता इसलिए नूतन सिंह ठाकुर निर्दलीय ही सही आगामी ढाई वर्ष तक के लिए सभापति बने रहेंगे। उनके विरुद्ध यदि ढाई वर्ष के पश्चात अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो उस अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया जाकर निर्णय लिया जा सकता है।
0 उधर नगर पालिका में भी हो गई क्रॉस वोटिंग, भाजपा हारी
भारतीय जनता पार्टी की कोरबा में हुई कार्रवाई की गूंज अभी सुनाई दे रही है कि उधर बहुमत के बावजूद भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा में भाजपा के पार्षदों ने ही अपने उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी के खिलाफ में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस से उपाध्यक्ष उम्मीदवार दिवाकर सिंह की ताजपोशी करा दी। नगर पालिका उपाध्यक्ष पद के लिए कुल 21 वोट डाले गए। इनमें सभी वोट वैध रही। कोई रद्द नहीं हुई। भाजपा की ओर से चार वोट क्रॉस हुई हैं। नगर की जनता ने नगर सरकार के लिए जनादेश निर्दलीय प्रत्याशी को देकर नगरपालिका अध्यक्ष के लिए दीप्ति रोहित सारथी को जिताया था। उपाध्यक्ष के पद पर भाजपा के पास बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया।