मरवाही वनमंडल में पकड़ाया फर्जीवाड़ा ,फर्जी बिल ,नकली फोटो ,डुप्लीकेट सील से रची गई साजिश बेनकाब

जीपीएम-मरवाही। मरवाही वनमंडल में भ्रष्टाचार की एक और कहानी सामने आई है। इस बार पर्दा खुद उपवनमंडलाधिकारी (SDO) मोहर सिंह मरकाम ने उठाया है, जिन्होंने 18 लाख रुपये से अधिक के फर्जी भुगतान की गहरी साज़िश का खुलासा करते हुए बिलासपुर वनसंरक्षक वृत्त और वनमंडलाधिकारी को शिकायत भेजकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

0 फर्जी बिल, नकली फोटो और डुप्लीकेट सील से रची गई थी करोड़ों की लूट की पटकथा

शिकायत में बताया गया है कि मरवाही रेंज में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के तहत जलसंवर्धन संरचनाओं के रखरखाव का हवाला देते हुए 18लाख 27 हजार 214 रुपये की भारी-भरकम राशि के भुगतान हेतु फर्जी वाउचर तैयार किए गए। इन वाउचरों में डुप्लीकेट SDO की सील और जाली हस्ताक्षर लगाकर सरकारी खजाने को चूना लगाने की साजिश रची गई थी।

0 DFO की सतर्कता से बची बड़ी वित्तीय लूट

तत्कालीन DFO ने जब भुगतान से पहले वाउचरों को जांच के लिए पेण्ड्रा SDO कार्यालय भेजा, तो उपवनमंडलाधिकारी मोहर सिंह ने तुरंत इस धोखाधड़ी की पहचान की और स्पष्ट किया कि न तो यह हस्ताक्षर उनके हैं और न ही सील असली है। इसी सतर्कता के कारण सरकारी राशि की यह लूट रुक गई, वरना विभाग को बड़ा नुकसान हो सकता था।

0 कई अफसर जांच के घेरे में, रेंजर की भूमिका संदिग्ध

शिकायत में मरवाही के अटैच SDO, वनपरिक्षेत्र अधिकारी (रेंजर) और दो बाबुओं के नाम सामने आए हैं, जिनकी मिलीभगत से यह साज़िश रची गई। सबसे गंभीर सवाल यह है कि जिन कार्यों को किया ही नहीं गया, उनके फर्जी फोटो और बिल कैसे बनाए गए? इससे साफ जाहिर होता है कि मरवाही रेंजर पहले भी इस तरह के फर्जी भुगतान में लिप्त रहा है।

0 कड़ी कार्रवाई की मांग, भ्रष्टाचार पर लगे लगाम

यह मामला केवल एक घोटाले तक सीमित नहीं, बल्कि वन विभाग में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। आरोपी रेंजर को तत्काल निलंबित कर उनके पूरे कार्यकाल की जांच होनी चाहिए। साथ ही अटैच अधिकारी और संबंधित कर्मचारियों को भी सस्पेंड कर विस्तृत विभागीय जांच शुरू होनी चाहिए।
यह शर्मनाक घटना छत्तीसगढ़ के वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यदि अब भी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तो यह लापरवाही भविष्य में और भी बड़े घोटालों को न्योता दे सकती है। सरकार को चाहिए कि वह बिना देर किए इस मामले में सख्त कदम उठाए और साबित करे कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उसकी नीति केवल कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर भी लागू होती है।