चेन्नई। भारतीय रेलवे ने परिवहन के भविष्य की ओर एक और ठोस कदम बढ़ा दिया है। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफल ट्रायल पूरा कर लिया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस ऐतिहासिक परीक्षण की पुष्टि खुद सोशल मीडिया पर की है।

टेस्ट की पुष्टि और अगला लक्ष्य👇
रेल मंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वीडियो साझा करते हुए बताया कि यह भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ड्राइविंग पावर कार का सफल ट्रायल है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब भारत 1200 हॉर्सपावर वाली पूरी हाइड्रोजन ट्रेन विकसित करने की दिशा में तेज़ी से काम कर रहा है।
क्यों खास है यह ट्रेन?👇
ट्रायल के दौरान जिस कोच की टेस्टिंग हुई, उसे ड्राइविंग पावर कार कहा जाता है। यह पहल केवल तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि भारत की ग्रीन एनर्जी और कार्बन मुक्त भविष्य के लिए प्रतिबद्धता का भी संकेत है।
पारंपरिक ट्रेनों से कैसे अलग?👇
हाइड्रोजन ट्रेनें डीजल या बिजली से चलने वाली ट्रेनों की तुलना में कहीं अधिक पर्यावरण के अनुकूल हैं। इसमें न तो धुआं निकलता है, न ही कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य प्रदूषणकारी गैसें। ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित है, जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रक्रिया से बिजली तैयार होती है।
लागत और योजनाएं👇
रेल मंत्री वैष्णव ने 2023 में राज्यसभा को बताया था कि विरासत के लिए हाइड्रोजन योजना के तहत रेलवे 35 हाइड्रोजन-चालित ट्रेनें लाने की तैयारी कर रहा है। एक ट्रेन की अनुमानित लागत करीब ₹80 करोड़ है।
इसके अलावा, उत्तर रेलवे के जींद सोनीपत रूट पर चलने वाली एक पुरानी डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) को हाइड्रोजन ईंधन पर चलने लायक बनाने के लिए ₹111.83 करोड़ की एक पायलट परियोजना भी शुरू की गई है।