कुबरेश्वर धाम सीहोर में रुद्राक्ष वितरण के दौरान अव्यवस्थाओं से मची भगदड़ ,2 महिलाओं की मौत,मचा बवाल ,उठे सवाल….

मध्यप्रदेश। कुबरेश्वर धाम सीहोर में रुद्राक्ष वितरण के दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई। व्यवस्था बिगड़ने से दो महिलाओं की दबकर मौत हो गई और 10 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए। लेकिन सुरक्षा में तैनात चार DSP, सात TI समेत 400 पुलिसकर्मी क्या करते रहे?

सावन मास की पवित्र बेला में सीहोर के कुबेरेश्वर धाम पर उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब मंगलवार को हृदयविदारक हादसे में तब्दील हो गया। भारी सुरक्षा बंदोबस्त और प्रशासनिक दावों के बावजूद रुद्राक्ष वितरण के दौरान अफरातफरी मच गई, जिसमें दो महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई और कई श्रद्धालु घायल हो गए। हादसा उस समय हुआ जब अचानक रुद्राक्ष वितरण को बीच में ही रोक दिया गया, जिससे बेकाबू भीड़ में धक्का-मुक्की शुरू हो गई।

बड़ी संख्या में तैनात थे पुलिसकर्मी, फिर भी फेल हुई व्यवस्था 👇

कुबेरेश्वर धाम में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 400 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जिनमें 4 डीएसपी, 7 थाना प्रभारी (टीआई) और 30 सब-इंस्पेक्टर शामिल थे। इसके बावजूद जब रुद्राक्ष वितरण अचानक रोका गया तो प्रशासन भीड़ को संभालने में नाकाम रहा। चंद मिनटों में स्थिति इतनी बिगड़ गई कि भीड़ में दबने से दो महिलाओं की जान चली गई। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि धार्मिक आयोजनों की योजना और प्रबंधन पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।

धाम में उमड़ा आस्था का सैलाब, लेकिन धराशायी हो गईं व्यवस्थाएं👇

छह अगस्त को निकली जाने वाली कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा में शामिल होने के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु सीहोर पहुंचे हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, सूरत और बेंगलुरु जैसे महानगरों से आए भक्तों से पूरा इलाका भर गया है। नतीजन, धार्मिक स्थलों, धर्मशालाओं, होटलों और लॉजों में तिल भर जगह नहीं बची। भोजन, पानी, रुकने और दर्शन की व्यवस्थाएं भीड़ के सामने पूरी तरह टूट गईं।

अस्पताल में हुई मौत की पुष्टि, मृतकों की पहचान जारी👇

हादसे में घायल श्रद्धालुओं को तत्काल जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने दो महिलाओं को मृत घोषित कर दिया। दोनों की उम्र लगभग 50 वर्ष बताई गई है। फिलहाल मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाई है, जबकि दो अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। प्रशासन ने हादसे के बाद मेडिकल सुविधाओं को सक्रिय किया, लेकिन घटनास्थल पर प्राथमिक चिकित्सा टीमों की अनुपस्थिति ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया।

अधिकारियों ने लिया था जायजा, फिर भी नहीं रोक पाए हादसा👇

घटना से ठीक एक दिन पहले अपर कलेक्टर वृंदावन सिंह और एसडीएम तन्नय वर्मा ने कुबेरेश्वर धाम में पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया था। पर वास्तविकता यह रही कि जब भीड़ ने विकराल रूप लिया तो समन्वय और नियंत्रण की पूरी प्रणाली चरमरा गई। न तो पर्याप्त पुलिस बल वहां मौजूद था और न ही त्वरित राहत पहुंचाने वाली टीमें।

पुलिस ने भगदड़ से किया इनकार, लेकिन मौतों की पुष्टि👇

एएसपी सुनीता रावत ने घटना को भगदड़ मानने से इनकार किया है, लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि रुद्राक्ष वितरण के रुकने से उपजे तनाव में धक्का-मुक्की हुई, जिसमें दो महिलाओं की मौत और तीन-चार अन्य के घायल होने की पुष्टि हुई है। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि भीड़ पूरी तरह बेकाबू हो गई थी और वहां से निकलना भी मुश्किल हो गया था।

भगदड़ की घटना पर विधायक ने क्या कहा?👇

सीहोर के कुबरेश्वर धाम में भगदड़ में दो लोगों की मौत के मामले पर मीडिया से बातचीत में स्थानीय विधायक सुदेश राय ने कहा कि अत्यंत दुख भरा समाचार है। मैंने मुख्यमंत्री जी को भी बताया है। भीड़ प्रबंधन में कोई कमी नहीं थी। बहुत ज्यादा भीड़ होने की वजह से हादसा हो जाता है। मैं जाकर देखता हूं कि क्या हुआ है।

श्रद्धालुओं में गहरा आक्रोश, आयोजन समिति और प्रशासन पर उठे सवाल👇

इस घटना के बाद श्रद्धालुओं में गहरा आक्रोश है। लोग पूछ रहे हैं कि जब पहले से इतनी बड़ी संख्या में भीड़ आने की आशंका थी, तो प्रशासन और आयोजन समिति ने समुचित इंतजाम क्यों नहीं किए? रुद्राक्ष वितरण जैसा भावनात्मक और संवेदनशील कार्यक्रम बिना ठोस योजना के क्यों संचालित किया गया?
आस्था के इस आयोजन में मची अफरातफरी ने यह साफ कर दिया है कि श्रद्धा की भीड़ को केवल पुलिस तैनात कर नियंत्रित नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके लिए चाहिए ठोस रणनीति, समयबद्ध क्रियान्वयन और संवेदनशीलता।