फेक सर्टिफिकेट का हब बना ग्वालियर ,नकली कागज पर तैयार कर रहे असली नौकरी,जानें मामला ….

मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश का ग्वालियर चंबल अंचल फर्जी प्रमाण पत्र बनाने का बड़ा हब बनता जा रहा है. ग्वालियर में अभी तक फर्जी दिव्यांग्यता प्रमाण पत्र, फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, फर्जी जाति प्रमाणपत्र, फर्जी अनुकंपा प्रमाण पत्र बनाए जाने के मामले सामने आ चुके हैं.

कुछ मामलों में FIR जरूर हुई है, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं होने के कारण फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वालों के हौसले अब भी बुलंद नजर आ रहे हैं.

मध्य प्रदेश के कई विभागों में लोग फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरियां कर रहे हैं. खास बात ये है कि जिन फर्जी प्रमाण पत्रों का उपयोग नौकरी पाने में किया गया था, उनमें अधिकांश फर्जी प्रमाण पत्र ग्वालियर चंबल अंचल में ही बनाए गए हैं.

फर्जी जाति प्रमाणपत्र👇

ग्वालियर चंबल अंचल में बनाए गए फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर मध्य प्रदेश में कई लोगों ने सरकारी नौकरी हासिल की. मामले की शिकायत हुई तो MP में 25 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई. ग्वालियर अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में डॉ. दिनेश मांझी, डॉ विनोद मांझी, इंजीनियर रजनीश और एक महिला डॉक्टर पर भी केस दर्ज किया गया है. फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में 50 और लोगों के नाम भी सामने आए हैं.

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र👇

ग्वालियर चंबल संभाग में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना में बड़ा खुलासा हुआ. जहां जीवित लोगों के मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर लगभग 20 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया. मामले में EOW ने 14 लोगों पर FIR दर्ज की है. EOW की जांच में इरशाद खान, नसीमा खान, नदीम खान, सिमरन, सुनीता बाई, कल्याण माहौर कृष्णा शंखबार, अरुण कुशवाह, राजा बेटी, औतार और सीमा बाई जीवित निकले.

फर्जी दिव्यांग्यता प्रमाण पत्र👇

फर्जी दिव्यांग्यता सर्टिफिकेट के आधार पर मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर की नौकरी हासिल की गई. 123 असिस्टेंट प्रोफेसर के प्रमाणपत्र फर्जी होने के चलते जांच के दायरे में आए. इनमे अधिकांश सर्टिफिकेट ग्वालियर चंबल से जारी हुए थे. MP में शिक्षक भर्ती में दिव्यांग्यता सर्टिफिकेट लगाकर नौकरी पाने वाले 184 में से 66 सर्टिफिकेट फर्जी निकले. ग्वालियर में मूल निवासी दस्तावेज बनाने में भी बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया है.

20 हजार में बनते फर्जी प्रमाण पत्र👇

ग्वालियर चंबल अंचल में लगातार इस तरह के फर्जी प्रमाण पत्रों की जानकारी जुटाने वाले, खासकर दिव्यांग लोगों और उनके अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करने वाले अनूप जौहरी का कहना है कि 15 से 20 हजार रुपए में ग्वालियर चंबल अंचल में फर्जी प्रमाण पत्र आसानी से बन जाते हैं. संबंधित विभागों में मिली भगत कर यह पूरा खेल चल रहा है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि किसी बड़ी जांच एजेंसी से इस पूरे फर्जीबाड़े की पड़ताल कराए और बड़े दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें.

किसी ठोस कार्रवाई की है जरूरत👇

इस तरह के फर्जीवाड़े पर वरिष्ठ पत्रकार महेश शिवहरे का कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है. विभागों और लोगों के बीच दलालों का एक बड़ा समूह काम कर रहा है, उन्हीं के माध्यम से साठगांठ कर संबंधित विभाग से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए जाते हैं. कई मामलों के भी खुलासे हुए, जांच हुई कुछ गिरफ्तारियां भी हुई लेकिन बड़े जिम्मेदार अधिकारी इस पूरी कार्रवाई में बच निकलते हैं. ऐसे में फर्जी दस्तावेजों को बनने से रोकने के लिए जिम्मेदारों पर एक बड़ी और ठोस कार्यवाही करने की जरूरत है.

फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए हासिल की नौकरी 👇

बहरहाल ग्वालियर चंबल अंचल से बने फर्जी प्रमाण पत्रों के कई बार पहले भी मामले सामने आते रहे हैं. यहीं से बने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर कई लोग अलग-अलग विभागों में नौकरियां भी कर रहे हैं, ऐसे में अब एसटीएफ मध्य प्रदेश में कई विभागों के फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे लोगों पर शिकंजा कस रही है. एसटीएफ जब अपनी जांच का दायरा बढ़ाएगा, तो फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी कर रहे और भी लोगों का खुलासा होगा.